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दुनिया को सिरिसेना ने दी चेतावनी, 'मुस्लिम प्रभाकरन' को पैदा न होने दें

ईस्टर संडे अटैक का दर्द झेल चुके श्रीलंका ने 'मुस्लिम प्रभाकरन' को न पनपने देने को लेकर दुनिया को चेतावनी दी है. श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने दुनिया के सभी देशों से एकजुटता दिखाने का आग्रह किया है. सिरिसेना ने माना कि देश अब विभाजित हो चुका है.

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श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना.
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना.

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ईस्टर संडे अटैक का दर्द झेल चुके श्रीलंका ने 'मुस्लिम प्रभाकरन' को न पनपने देने को लेकर दुनिया को चेतावनी दी है. श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने दुनिया के सभी देशों से एकजुटता दिखाने का आग्रह किया है. सिरिसेना ने माना कि देश अब विभाजित हो चुका है.

लिब्रेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) के पूर्व गढ़ मुल्लातिवु में उन्होंने कहा कि देश में धार्मिक नेता और राजनेता अब बंटे हुए हैं. कोलंबो गजट की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वे 'मुस्लिम प्रभाकरन के पैदा होने के लिए कोई जगह न छोड़ें'. वेलापुल्लई प्रभाकरन LTTE का संस्थापक था.

इस आतंकवादी संस्था का मकसद पूर्वी और उत्तरी श्रीलंका में तमिलों के लिए नए देश की स्थापना करना था. श्रीलंका ने लंबे वक्त तक गृह युद्ध का दंश झेला है, जिसमें हजारों लोगों ने जान गंवाई है. साल 2009 में श्रीलंकाई सेना ने प्रभाकरन को मौत के घाट उतार दिया था.

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राष्ट्रपति सिरिसेना ने कहा, ''अगर हम विभाजित होकर अलग हो जाते हैं तो पूरा देश हार जाएगा और एक अन्य युद्ध छिड़ जाएगा.'' उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि ज्यादातर राजनेताओं का फोकस इस साल के आखिर में चुनाव पर केंद्रित है, देश पर नहीं. उन्होंने कहा कि विभाजन देश को आगे बढ़ने से रोक रहा है.

रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति ने कहा कि वह तमिलों द्वारा झेली जा रही मुश्किलें समझते हैं और उनमें से कुछ का समाधान निकालेंगे. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अतीत को अलग रखकर सबको एकजुट होकर देश को आगे ले जाना चाहिए. सिरिसेना ने कहा कि चरमपंथियों के पनपने के लिए कोई जगह नहीं रहनी चाहिए.

गौरतलब है कि 21 अप्रैल को श्रीलंका सिलसिलेवार बम धमाकों से दहल उठा था. देश के कई गिरिजाघरों और तीन लग्जरी होटलों में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) ने बम धमाकों को अंजाम दिया था. इन बम धमाकों में 11 भारतीयों सहित 250 से ज्यादा लोग मारे गए थे. इस दिन ईस्टर संडे था और काफी तादाद में लोग गिरिजाघरों में प्रार्थना के लिए पहुंचे थे.  

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