यूक्रेन में अभी भी रूसी सेना कहर बरपा रही है, लेकिन अमेरिका जिस तरह से अभी भी यूक्रेन को भड़काने में लगा हुआ है, उसे देखकर यही लग रहा है कि क्या अमेरिका विश्वयुद्ध करवाना चाहता है. पहले अमेरिकी उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस ने यूक्रेन के पड़ोसी देश और NATO के सदस्य पोलैंड का दौरा किया था और अब खुद राष्ट्रपति जो बाइडेन पोलैंड के दौरे पर जाने वाले हैं. पुतिन को लेकर बाइडेन जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रहे है, उससे पुतिन भड़के हुए हैं. ऐसे में सवाल ये है कि जब रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत की कोशिशें हो रही हैं तब अमेरिकी राष्ट्रपति का ये दौरा कहीं आग में घी डालने वाला तो साबित नहीं होगा...
यूक्रेन के राष्ट्र्रपति जेलेंस्की को अब भी यकीन है कि अमेरिका और नाटो देश उनके लिए कुछ न कुछ जरूर करेंगे. लेकिन सवाल ये है आखिर नाटो और अमेरिकी देश क्या कर सकते हैं, वो भी तब जब पुतिन खुल्लम खुल्ला यूक्रेन की मदद करने वालों को सबसे बुरा अंजाम भुगतने की चेतावनी दे चुके हैं.
तो फिर शुरू हो जाएगा विश्व युद्ध ?
1. अगर... नाटो देशों ने यूक्रेन ने सेना भेजी
2. अगर... नाटो ने यूक्रेन को नो फ्लाई जोन बनाया
3. अगर... नाटो ने यूक्रेन को अपने ग्रुप में शामिल किया
25 मार्च को बाइडेन का पोलैंड दौरा
हर हालत में दुनिया दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ी तबादी देखेगी. रूस का प्रहार उस दौर में पहुंच जाएगा जहां से लौटना नामुमकिन होगा. अब सवाल ये है कि क्या अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के पोलैंड दौरे में इन तीनों संभावनाओं पर कोई मुहर लगेगी. जो बाइडेन इसी हफ्ते बेल्जियम के ब्रसेल्स में जी-7, नाटो और यूरोपीय संघ के नेताओं से यूक्रेन को लेकर बैठक करने वाले हैं. फिर 25 मार्च को वह पोलैंड आएंगे. जो बाइडेन (Joe Biden) के आने से पहले अमेरिका की ओर से संकेत दिया जा रहा है कि NATO भले ही अपनी सेना यूक्रेन न भेजे, लेकिन नाटो का कोई देश यूक्रेन में अपनी शांति सेना भेज सकता है.
ब्रिटेन के PM भी पीछे नहीं
यही नहीं, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री युद्ध के बीच में यूक्रेन के साथ एकजुटता दिखाने के लिए राजधानी कीव जाना चाहते हैं. जॉनसन ने एक इंटरव्यू में कहा है, ''मैं किसी भी तरह से यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का समर्थन करने की बहुत-बहुत मजबूत इच्छा रखता हूं. क्या यह मेरा समर्थन दिखाने का एक उपयोगी तरीका होगा, मुझे नहीं पता, लेकिन पुतिन के असफल होने और ज़ेलेंस्की के सफल होने के लिए यह बहुत बड़ा रणनीतिक, राजनीतिक, आर्थिक, नैतिक महत्व है.''
NATO देशों की शह पर रूस के खिलाफ मुखर जेलेंस्की!
पिछले कुछ हफ्तों में पोलैंड, स्लोवेनिया और चेक गणराज्य के प्रधानमंत्री कीव की यात्रा कर चुके हैं. बॉरिस जॉनसन इसे ही आगे बढ़ाना चाहते हैं, वो भी तब जब यूक्रेन में चारों तरफ रूस बम बरसा रहा है, लेकिन अमेरिका और नाटो देशों का यही रवैया जेलेंस्की का हौसला बढ़ा रहा है और वह रूस से बातचीत के बीच नाटो की मदद से रूस को सबक सिखाने का दम भी भर रहे हैं. वह भी ऐसे वक्त में जब नाटो खुद अपने देशों की सुरक्षा के लिए रणनीति बनाने में जुटा है.
नाटो देशों को रूस से डर लगता है: जेलेंस्की
यूक्रेनी टीवी चैनल से बातचीत में जेलेंस्की कहते हैं, नाटो कहे कि वो हमें स्वीकार करता है या खुलकर कहे कि स्वीकार नहीं करता क्योंकि उसे रूस से डर लगता है, और ये बात सही है. तब हम कहेंगे कि ठीक है कुछ नाटो देश हैं जो हमें नाटो की सदस्यता के बगैर सुरक्षा की गारंटी दे सकते हैं. यही समझौता हो सकता है. यही युद्ध का अंत हो सकता है.
रूस की बढ़ती जा रही बौखलाहट
जेलेंस्की, पुतिन को ललकार रहे हैं और नाटो को मदद मांगने के साथ ही धिक्कार भी रहे हैं, लेकिन फिर भी उन्हें भरोसा है कि पश्चिमी देश उनके लिए कुछ ना कुछ जरूर करेंगे. जेलेंस्की के इन तेवरों और लंबे खिंचते युद्ध से रूस की बौखलाहट बढ़ती जा रही है, वो अमेरिका के साथ अपने संबंधों के टूटने के लिए जो बाइडेन को दोष दे रहा है. पुतिन को वॉर क्रिमिनल बताने पर आपत्ति जता रहा है. लेकिन उसकी सबसे बड़ी चिंता जेलेंस्की का रवैया है, जो बाइडेन की पोलैंड यात्रा से अचानक पहले के मुकाबले ज्यादा आक्रामक हो गया है.
दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध में झोंक सकता है बाइडेन का दौरा!
नाटो से दोस्ती करने के फेर में जेलेंस्की अपने ही मुल्क की ईंट से ईंट बजा चुके हैं. फिर भी उनका नाटो प्रेम कम होने का नाम नहीं ले रहा. जेलेंस्की की इसी जिद से रूस के साथ समझौते की गुंजाइश और कम नजर आ रही है. अब सबसे नजरें जो बाइडेन के पोलैंड दौरे पर हैं. जिनकी रूस पर दबाव बढ़ाने की रणनीति दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध में झोंक सकती है.
(कीव में राजेश पवार, मॉस्को से गीता मोहन और पोलैंड से गौरव सावंत के साथ आजतक ब्यूरो)