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नेपाल में डेढ़ घंटे के अंदर दो बार महसूस किए गए भूकंप के झटके

एक बार फिर नेपाल की धरती कांपी है. भूकंप विज्ञान केंद्र के अधिकारी राजेश शर्मा के मुताबिक भूकंप में जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है, लेकिन अचानक आए भूकंप के झटकों के कारण लोग दहशत में आ गए थे. देर रात 12 बजे भूकंप आने के बाद लोग अपने घर सोने चले गए थे, लेकिन डेढ़ बजे आए दूसरे झटके के बाद लोगों में डर और बढ़ गया.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

भारत के पड़ोसी देश नेपाल की धरती एक बार फिर कांपी है. यहां देर रात दो बार भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.8 और 5.9 बताई जार ही है. इसका केंद्र नेपाल के बाजुरा जिले के दाहाकोट में बताया गया है. नेपाल के स्थानीय समय के मुताबिक वहां भूकंप का पहला झटका करीब 12 बजे के आसपास आया वहीं, दूसरे झटके का समय रात डेढ़ बजे बताया जा रहा है.

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नेपाल के भूकंप विज्ञान केंद्र के अधिकारी राजेश शर्मा के मुताबिक भूकंप में जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है, लेकिन अचानक आए भूकंप के झटकों के कारण लोग दहशत में आ गए थे. देर रात 12 बजे भूकंप आने के बाद लोग अपने घर सोने चले गए थे, लेकिन डेढ़ बजे आए दूसरे झटके के बाद लोगों में डर और बढ़ गया.

नेपाल में पहले भी भूकंप के झटके दर्ज किए जाते रहे हैं. इससे पहले दोलखा के सूरी में 1 अप्रैल को भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. तब भूकंप का केंद्र राजधानी काठमांडू से 180 किलोमीटर पूर्व में था. भूकंप के यह झटके दोपहर 11.30 बजे दर्ज किए गए थे.

इससे पहले जनवरी में भी उत्तराखंड के पास नेपाल के दिपायल सिलगढ़ी के पास स्थित है गोत्री-बजुरा इलाके में 5.8 तीव्रता का भूकंप आया था. भूकंप का झटका इतना तेज था कि दिल्ली-NCR के साथ-साथ उत्तर-भारत भी कांप गया था. इसका असर चीन के शिक्वान्हे समेत दक्षिण-पश्चिम इलाके तक देखने को मिला था.  इससे पहले 8 नवंबर 2022 की रात करीब 1:57 बजे भी एक भूकंप आया था. जिसकी तीव्रता 6.3 थी. गहराई जमीन से 10 किलोमीटर नीचे थी. आज जो भूकंप आया था, उसकी गहराई भी जमीन में 10 किलोमीटर नीचे थी. 

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पिछले साल यानी 2022 में नेपाल के अंदर कुल 28 भूकंप आए थे. जिनमें 8 नवंबर को आया भूकंप सबसे तीव्र था. नेपाल में छोटे-मोटे भूकंप तो आते रहते हैं. उनसे घबराने की जरुरत भी नहीं होती. क्योंकि धरती के टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल, टकराहट और घर्षण से बनने वाला प्रेशर इन छोटे-मोटे भूकंपों के जरिए निकलता रहता है. लेकिन प्रेशर कई दिनों या महीनों तक बनता रहे तो बड़े भूकंप की आशंका होती है.

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