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तुर्की (तुर्कीये) और सीरिया में भूकंप आए करीब 80 घंटे हो गए हैं. लेकिन अभी भी मलबों में शवों के मिलने का सिलसिला जारी है. जहां सोमवार से पहले ऊंची ऊंची इमारतें थीं, वहां अब सिर्फ मलबा है, मलबों से निकलती लाशें हैं. तुर्की और सीरिया में तबाही का मंजर लगभग एक जैसा है. अब तक दोनों देशों में 16000 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.
तुर्की और सीरिया में कई भूकंप प्रभावित इलाके तो ऐसे हैं, जहां रेस्क्यू टीम अभी तक पहुंच ही नहीं पाई है. जैसे जैसे समय बीत रहा है, मलबों में दबीं जिंदगियों के बचने की आस कम होती जा रही है. बर्फबारी और भीषण ठंड के चलते हालात और मुश्किल हो गए हैं. तुर्की में भूकंप प्रभावित गाजियांटेप शहर में लोग सबसे ज्यादा खौफ में हैं. यह शहर भूकंप के केंद्र से सबसे करीब था. ऐसे में लोगों ने यहां से पलायन शुरू कर दिया है. जो लोग किसी वजह से शहर नहीं छोड़ पा रहे, उन्होंने मॉल, स्टेडियम और मस्जिद में शरण ले ली है.
तुर्की का हताए शहर सीरिया बॉर्डर से लगा है. यहां सीरिया से आए करीब 5 लाख शरणार्थी रहते हैं. भूकंप से हताए को काफी नुकसान पहुंचा है. यहां भूकंप के चलते सड़कें तबाह हो गईं, इतना ही नहीं प्रांत की राजधानी में स्थित एयरपोर्ट को भी नुकसान पहुंचा है, ऐसे में यहां मदद नहीं पहुंच पा रही है.
आंखों के सामने दम तोड़ते अपने
भूकंप प्रभावित इलाकों में लोगों को खाने और शेल्टर के लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा है. कुछ लोग ऐसे हैं, जिनके अपनों ने उनकी आंखों के सामने मदद मांगते-मांगते दम तोड़ दिया. लेकिन वे चाहकर भी उन्हें बचा नहीं पाए.
तुर्की के हताए में सेमिर कोबन ने बताया कि उनकी भतीजी, भाभी और भाभी की बहन मलबे में दबे हैं और अब उनके बचने की उम्मीद नहीं है. वे कहते हैं, हमने उनसे बात करने की कोशिश की, लेकिन वे जवाब नहीं दे रहे हैं. हम मदद के लिए इंतजार कर रहे हैं, लेकिन 48 घंटे बाद भी हम तक मदद नहीं पहुंची.
सीरिया युद्ध से ज्यादा बदतर स्थिति
अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, हताए के रेहानली में रहने वाली दो महिलाओं ने बताया कि वे 7 साल पहले अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए सीरिया से भागकर यहां आई थीं. दोनों के पतियों की सीरिया युद्ध में मौत हो चुकी है. उन्होंने बताया कि जब भूकंप आया, वे किसी तरह से घर से बाहर निकलने में सफल रहीं. लेकिन अब स्थिति सीरिया में हुई बमबारी से भी बदतर हो गई है.
उन्होंने बताया कि जब वे सीरिया में थीं और लड़ाकू विमान बमबारी करने आते, तो उनकी आवाज सुनकर हमें छिपने का समय मिल जाता था. लेकिन भूकंप ये मौका नहीं देता. इसलिए ठंड के बावजूद अब हम अपने टूटे हुए घरों में नहीं जा पा रहे हैं. हम पेड़ के नीचे ही रह रहे हैं और आग जलाकर खुद को ठंड से बचाने की कोशिश कर रहे हैं.
महिलाएं कहती हैं, ''अब हम फिर से बेघर हो गए हैं, पिछली दो रातें कुर्सियों पर बैठकर बिताई हैं, ठंड की वजह से एक मिनट भी नहीं सोए.'' प्रशासन ने कुछ जगहों पर शेल्टर टेंट लगाना शुरू किया है. लेकिन हम तक कोई मदद अब तक नहीं पहुंची. बच्चों के लिए खाना तक नहीं मिल रहा है, अगर कहीं बिस्किट या थोड़ा बहुत मिल रहा है, तो वह बहुत महंगा है. लोग सामानों के लिए दोगुनी-तीन गुनी कीमत वसूल रहे हैं.
हर कीमत में शहर छोड़कर जाना चाहते हैं लोग
ऐसी ही स्थिति गाजियांटेप की है, यहां सैकड़ों लोग सड़कों पर टेंट में रहने को मजबूर हैं. लोगों के घर तबाह हो चुके हैं. लोग रात-रात भर आग जलाकर इस मुश्किल वक्त को काट रहे हैं. यूक्रेन की शरणार्थी मारिया होंचारुक कहती हैं कि वे अभी भी गाजियांटेप से निकलने की कोशिश में हैं. उन्होंने बताया कि जब भूकंप के बाद वे शहर छोड़ने के लिए बस स्टैंड पहुंचीं, तो यहां भारी भीड़ थी. लोग हर कीमत में यहां से निकलना चाहते थे. ऐसे में मारिया यहां से नहीं निकल सकीं.
तुर्की-सीरिया में अब तक 16000 की मौत
तुर्की और सीरिया में सोमवार को 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था. भूकंप का केंद्र तुर्की और सीरिया के बॉर्डर के पास था. ऐसे में दोनों देशों में भारी तबाही हुई है.
तुर्की और सीरिया में भूकंप से अब तक 16000 लोगों की मौत हो चुकी है. तुर्की में अब तक 12,873 लोगों की मौत हुई है. जबकि सीरिया में 3,162 लोगों की जान गई है. दोनों देशों में 11 हजार से ज्यादा इमारतें तबाह हुई हैं.