जानलेवा इबोला वायरस के पुख्ता इलाज की दवा का विकास जल्द होने की संभावना है, क्योंकि वैज्ञानिकों ने यह पता लगा लिया है कि यह वायरस हमारी स्वाभाविक प्रतिरक्षा प्रणाली(इम्यून प्रणाली) को किस प्रकार बाधित करता है.
अमेरिका में वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के गया अमरासिंघे ने कहा, 'हमें लंबे समय से यह पता था कि इबोला वायरस एक महत्वपूर्ण प्रतिरक्षा यौगिक पदार्थ 'इंटरफेरॉन' के निर्माण में बाधा डालता है. लेकिन अब हमें यह पता चल गया है कि इबोला वायरस ऐसा किस प्रकार करता है, इसलिए अब इस बीमारी के इलाज के विकास में मदद मिलेगी.'
इबोला वायरस बेहद खतरनाक है, क्योंकि इस वायरस का 'प्रोटीन वीपी 24' संक्रमण के खिलाफ शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में बाधा पैदा करता है. माउंट सिनाई स्थित इकॉन स्कूल ऑफ मेडिसिन के क्रिस बेसलर ने कहा, 'वीपी 24 प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में किस प्रकार बाधा पैदा करता है, इसकी जानकारी से इसका इलाज ढूंढने में सहायता मिलेगी.'
शोधकर्ताओं के मुताबिक, 'प्रतिलेखन कारक एसटीएटी 1 के कार्य में बाधा पैदा करता है. एसटीएटी 1 इंटरफेरॉन वायरस रोधी संदेश को कोशिका के नाभिक तक ले जाता है, जहां से शरीर की स्वाभाविक प्रतिरक्षा का नियंत्रण होता है. ऐसा न होने से शरीर खुद की रक्षा नहीं कर पाता और संक्रमित व्यक्ति आसानी से मौत के आगोश में चला जाता है.'
यह अध्ययन पत्रिका 'सेल होस्ट एंड माइक्रोब' में प्रकाशित हुआ है.