श्रीलंका आर्थिक संकट के बुरे दौर से गुजर रहा है. हालात ये हो गए हैं कि पावर प्लांट बंद हो चुके हैं, जिस वजह से 2.20 करोड़ घरों में बिजली सप्लाई ठप हो चुकी है. हर दिन में 12-12 घंटे तक बिजली कटौती की जा रही है. कई महत्वपूर्ण कल कारखाने बंद हो चुके हैं. बसों और वाणिज्यिक वाहनों के लिए फिलिंग स्टेशनों में डीजल-पट्रोल नहीं बचा है. श्रीलंका में सार्वजनिक परिवहन की सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो गई हैं. श्रीलंका में ईंधन-गैस, खाद्य और आवश्यक वस्तुओं की किल्लत की वजह से कीमतें आसमान छू रही हैं.
दवाएं खत्म हो गईं, लोगों के पास पैसे भी नहीं
कोलंबो के 69 वर्षीय थॉमस ने इंडिया टुडे को बताया कि कोलंबों में ईंधन खत्म हो चुका है. दवाओं की कमी होती जा रही है. उन्होंने बताया कि मैंने अपने जीवन में पहली बार देश में ऐसे हालात देखे हैं. हम ऐसी परिस्थियों का सामना करने में सक्षम नहीं हैं. हमें न तो कोई सैलरी मिलती और न ही अब हमारे पास पैसे बचे हैं. थोड़े बहुत पैसे बचे हैं लेकिन बाजार में सामान नहीं बचा है. कोलंबो की दुकानों में दाल, चावल, बेड कुछ भी नहीं बचा है. एक पाउंड ब्रेड की कीमत 100 श्रीलंकाई रुपये हो गई है, एक कप चाय 100 श्रीलंकाई रुपये में मिल रही है.
बिजली कटौती से सब कुछ ठप
श्रीलंका में लंबे समय तक बिजली कटौती ने देश में संचार नेटवर्क को प्रभावित कर दिया है. भारी कर्ज और घटते विदेशी भंडार के कारण श्रीलंका ने अब आयात के लिए भुगतान करने में भी असमर्थ हो गया है. यही वजह है कि इससे देश में ईंधन सहित कई सामान की किल्लत हो गई है.
निर्यात का तरीका न बदलना पड़ा भारी
श्रीलंका के आर्थिक संकट के लिए सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि निर्यात में विविधता न लाने की वजह से हालात बिगड़े. इसके अलावा पारंपरिक नगदी स्रोतों जैसे चाय, वस्त्र और पर्यटन के अलावा आयातित वस्तुओं के उपभोग के तरीके में परिवर्तन न करने की वहज से देश इस संकट से गुजर रहा है.
कोविड ने भी बिगाड़ी आर्थिक स्थिति
कोविड -19 महामारी ने श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को भारी झटका दिया. सरकार ने पिछले दो वर्षों में $ 14 बिलियन के नुकसान का अनुमान लगाया.
हालात बिगड़ने पर आपातकाल लागू
श्रीलंका में आगजनी, हिंसा, प्रदर्शन, सरकारी संपत्तियों में तोड़ फोड़ चल रही है. देश में हालात बिगड़ते देख राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने आपातकाल लागू कर दिया है. श्रीलंका के राष्ट्रपति कार्यालय से जारी आदेश में कहा गया है कि देश में कानून व्यवस्था कायम रखने, आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई को जारी रखने के लिए ऐसा करना जरूरी हो गया है.
कल होगा देशव्यापी आंदोलन
आर्थिक संकट के विरोध में दो दिन पहले राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के घर के बाहर जमकर प्रदर्शन हुआ था. सुरक्षाबल ने उन पर आंसू गैस के गोले दागे थे. इसके बाद विरोध हिंसक हो गया था. उन्होंने कई गाड़ियों को आग लगा दी थी. पुलिस से झड़प में 10 लोग जख्मी हो गए थे. 54 से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए गए. इसके बाद देश में आपालकाल लागू कर दिया गया है. वहीं 3 अप्रैल को देशव्यापी विरोध का आह्वान किया गया है.