नए संविधान के विवादित मसौदे पर शनिवार को होने वाले निर्णायक जनमत संग्रह से पहले लोगों को अपने पक्ष में करने के लिए इस्लामी समर्थन प्राप्त राष्ट्रपति मोहम्मद मुरसी और धर्मनिरपेक्ष विपक्ष ने शुक्रवार को रैलियां निकालीं और दोनों पक्षों में कई जगहों पर झड़पें भी हुईं.
इस्लामवादी मसौदे वाले संविधान पर दो चरणों में मतदान होगा जिसमें करीब 5.1 करोड़ मतदाता भाग लेंगे. यही जनमत संग्रह ध्रुवों में बंटे देश का भविष्य तय करेगा. एलेक्जेंड्रिया के अल-कैद इब्राहिम मस्जिद के बाहर जनमत संग्रह के समर्थकों और विरोधियों के बीच झड़प हुई.
दोनों पक्षों की ओर से प्रदर्शन कर रहे लोगों ने एक दूसरे पर पत्थर मारे. संविधान का विरोध करने वाले सैकड़ों लोग प्रदर्शन करने के लिए पहले से मस्जिद के बाहर जमा थे. सरकारी संवाद समिति एमईएनए की खबर के अनुसार, एलेक्जेंड्रिया सहित 10 प्रांतों में कल पहले चरण में संविधान पर जनमत संग्रह होना है. अन्य नौ प्रांत हैं- काहिरा, दकाहलिआ, शरकिया, असिउत, सोहाग, अस्वान, गरबिया, उत्तरी सिनाई और दक्षिणी सिनाई. दूसरे चरण का जनमत संग्रह 22 दिसंबर को बाकि 17 प्रांतों में होगा.
विपक्षी समूहों के 'नेशनल साल्वेशन फ्रंट' ने अपने समर्थकों को जनमत संग्रह का बहिष्कार करने के बजाए उसके खिलाफ मतदान करने की अपील करने के बाद शुक्रवार राष्ट्रपति भवन और काहिरा के ऐतिहासिक तहरीर चौक पर प्रदर्शन किया. विपक्ष को डर है कि संविधान के मसौदे में इस्लामी कानूनों पर बहुत ज्यादा बल दिया गया है. वे अधिकारों और स्वतंत्रता पर ज्यादा जोर देना चाहते हैं. विशेष तौर पर संविधान के खिलाफ मतदान करने वाले लोग कामगारों और महिलाओं के लिए ज्यादा अधिकारों की मांग कर रहे हैं.
काहिरा की मुख्य सड़क पर मौजूद मुरसी समर्थकों ने हाथों में तख्तियां पकड़ी हुई थीं जिनपर लिखा था. 'संविधान के लिए हां.’ मुरसी और संविधान के मसौदे के समर्थन में हजारों लोग काहिरा के नासर शहर के रब्बा अल-अदाविया मस्जिद में जमा हुए थे. इस बीच नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मोहम्मद अलबरदेई ने 'गृह युद्ध के साये’ से बचने के लिए मुरसी से इस मतदान को टालने की अपील की है. इस्लामी नेता अलबरदेई ने गुरुवार एक टेलीविजन संदेश में कहा, 'अल्लाह से डरें डॉक्टर मुरसी और जनमत संगह को टालिए.'