अफगानिस्तान में ईद-उल अजहा यानी बकरीद के पाक मौके पर भी आतंक का साया पसरा रहा. कंधार के अलग-अलग हिस्सों में काबिज हो चुके तालिबान के खौफ की वजह से ईद-उल अजहा की नमाज तक सामूहिक रूप से नहीं पढ़ी गई. सरकार ने तालिबान के आतंक के चलते सुरक्षा कारणों से मस्जिद और ईदगाहों में नमाज पढ़ने पर रोक लगा दी है.
इंडिया टुडे की एक टीम कंधार पहुंची है, जहां लोगों में तालिबान का खौफ साफ नजर आ रहा है. वहीं सड़क पर ईद मना रहे कुछ बच्चे बेखौफ नजर आए. उन्हें जरा भी अंदाजा नहीं है कि शहर को तालिबान ने पूरी तरह से घेर लिया है. काबुल के बाद अफगानिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा शहर कंधार, खौफ के साए में है.
अफगानिस्तान में भारत से एक दिन पहले ही ईद-उल अजहा का त्योहार मानाया जा रहा है. बच्चे बेखौफ सेलिब्रेशन मोड में नजर आ रहे हैं, वहीं बड़ों में लगातार तालिबान को लेकर आशंका बनी हुई है. कंधार के हालात हर दिन बिगड़ रहे हैं. तालिबान ने पूरे शहर को घेर लिया है. यही वजह है कि किसी भी जगह पर ईद की नमाज एक साथ नहीं हुई.
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इस फैसले से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि दशकों के बाद कंधार में ऐसे हालात पैदा हुए हैं, जब ईद के मौके पर भी नमाज नहीं पढ़ी गई. अफगानिस्तान में 62 लाख की आबादी वाला कंधार शहर, तालिबान के लड़ाकों की ओर से घेरा जा चुका है. अफगान आर्मी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कैसे तालिबान से ऐतिहासिक शहर को बचाया जा सके.
कंधार छोड़कर जा रहे हैं लोग
इंडिया टुडे की ग्राउंड रिपोर्ट में इस बात का खुलासा भी हुआ है कि कंधार में पुलिसकर्मियों और सेना के जवानों की तैनाती हो गई है, जिसकी वजह से कई लोग काबुल और विदेश की ओर जाने की फिराक में हैं, जिससे वे अपनी जान बचा सकें.
राजनीतिक बंदियों को छुड़ाने की फिराक में तालिबान
कंधार के दक्षिणी इलाके में अफगान आर्मी और तालिबान आमने-सामने हैं. तालिबान कंधार की जेल के वॉच टॉवर को निशाना बना लिया है. वहां बड़ी संख्या में हथियारों को रखा गया है. तालिबान की मांग है कि सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा कर दिया जाए. इंडिया टुडे की पड़ताल में यह जानकारी सामने आई है कि कंधार जेल में ही करीब 600 राजनीतिक बंदी हैं, जिन्हें तालिबान छुड़ाना चाहता है.
कई चौकियों पर अफगानिस्तान का कब्जा
तालिबान के बढ़ते आतंक के बीच अफगानिस्तान से भारत, ईरान और दूसरे देशों ने अपने अधिकारियों और लोगों को वापस बुला लिया है. तालिबानियों की संख्या कंधार में ज्यादा है, इसलिए आसपास के क्षेत्रों को वे अपने आधीन करना चाहते हैं. स्थितियां ऐसी बन पड़ी हैं कि अफगानी सेना ने यहां पर कई पुलिस और सुरक्षा पोस्ट को खाली कर दिया है, जिसकी वजह से तालिबान ने कब्जा जमा लिया है.
पाकिस्तान से आए तालिबानी लड़ाके!
आसपास के गांवों से पिछले कुछ दिनों से कंधार आए ग्रामीण दावा करते हैं कि तालिबान लड़ाकों की संख्या बहुत अधिक है और वे उन पर नियंत्रण कर रहे हैं. अफगानों का दावा है कि इनमें से अधिकांश तालिबान लड़ाके, पाकिस्तान से अफगानिस्तान में अपने वाहनों और हथियारों के साथ चाम क्रॉसिंग के रास्ते से आए हैं.