पाकिस्तान की बहादुर बेटी मलाला युसुफजई पर हमले के आरोप में 25 साल की सजा काट रहे 10 में से 8 आरोपियों को चोरी-छुपे रिहा कर दिया गया है.
10 में से सिर्फ दो आरोपी ही फिलहाल जेल में है. मीडिया में आलोचना से बचने के लिए आरोपियों के चुपचाप रिहा कर दिया गया और किसी को इसकी भनक भी नहीं लगी. इस बात की पुष्टि पाकिस्तान सुरक्षा विभाग के सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है.
उन्होंने बताया कि गुप्त रूप से हुए ट्रायल में 10 में 8 आठ आरोपियों को जेल से रिहा कर दिया गया. सुनवाई के दौरान न तो कोई गवाह था न ही, विरोध करने वाला. सिर्फ जज और सराकरी वकील की मौजूदगी में सब कुछ हुआ.
तालिबानी आतंकियों ने किया था हमला
गौरतलब है कि तालिबान के फतवे की परवाह न करते हुए 14 साल की मलाला 9 अक्टूबर 2012 को स्कूल गई थी, वहां तालिबानी आतंकवादियों ने उस पर हमला कर दिया. मलाला के सिर में गोली लगी थी, लेकिन वह किसी तरह बच गई. करीब दो महीने तक उसका ब्रिटेन के अस्पताल में इलाज चला और फिर वह दुनिया के लिए मिसाल बन गई. ठीक 2 साल एक दिन बाद 10 अक्टूबर 2014 को मलाला यूसुफजई को नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया. मलाला ने दुनिया में सबसे कम उम्र में नोबेल पुरस्कार जीतने का कीर्तिमान कायम किया.