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अमेरिकी चुनाव के दौरान एलन मस्क के कैंपेन पर वोट खरीदने के आरोप, राइवल कंपनी का $100 देने का ऐलान

मशहूर कार्ड गेम कंपनी 'कार्ड्स अगेंस्ट ह्यूमैनिटी', जो पहले से ही मस्क की आलोचक रही है, इस कंपनी ने ऐलान किया कि वो उन लोगों को $100 तक का भुगतान करेगी, जिन्होंने 2020 में वोट नहीं दिया था.

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 टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क। (फोटो: रॉयटर्स)
टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क। (फोटो: रॉयटर्स)

पिछले हफ्ते, टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने स्विंग राज्यों के मतदाताओं से याचिका पर हस्ताक्षर कराने के लिए $47 देने का ऑफर दिया. यह याचिका  फ्री स्पीच और बंदूक के अधिकारों के समर्थन में है. कहा जा रहा है कि मस्क की टीम इस याचिका के जरिए मतदाताओं की जानकारी इकट्ठा कर रही है ताकि डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव अभियान को आखिरी वक्त में ताकत दी जा सके.

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हालांकि मस्क के इस कदम का एक अनोखा जवाब आया है. मशहूर कार्ड गेम कंपनी 'कार्ड्स अगेंस्ट ह्यूमैनिटी', जो पहले से ही मस्क की आलोचक रही है, इस कंपनी ने ऐलान किया कि वो उन लोगों को $100 तक का भुगतान करेगी, जिन्होंने 2020 में वोट नहीं दिया था. शर्त यह है कि उन्हें इसके लिए माफी मांगनी होगी, आगामी चुनाव में वोटिंग की योजना बनानी होगी और सार्वजनिक रूप से यह लिखकर पोस्ट करना होगा कि "डोनाल्ड ट्रंप एक मानव शौचालय हैं."

कंपनी के मुताबिक, स्विंग राज्यों के लोगों के पास इस ऑफर के तहत सबसे ज्यादा पैसा कमाने का मौका है. न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, अब तक 1,150 से अधिक लोगों को इस योजना के तहत भुगतान किया जा चुका है. अमेरिका में वोट खरीदना गैरकानूनी है, लेकिन कार्ड्स अगेंस्ट ह्यूमैनिटी का दावा है कि वो "कानून की एक खामी का फायदा उठाकर ब्लू-वोटरों (डेमोक्रेट्स समर्थक) को पैसे दे रहे हैं."

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इस मुद्दे पर द गार्जियन ने UCLA के प्रोफेसर और चुनाव कानून के विशेषज्ञ रिचर्ड हैसन से बात की. उनका कहना है कि वोट खरीदने और किसी को वोट करने के लिए पैसे देने में एक बड़ा फर्क है.
हासन ने मस्क के ऑफर को गैरकानूनी नहीं माना, क्योंकि मस्क सीधे तौर पर वोट के लिए पैसे नहीं दे रहे हैं. वह केवल उन लोगों की जानकारी जुटा रहे हैं जो याचिका पर हस्ताक्षर कर सकते हैं. हालांकि, अगर मस्क ने वोट करने के लिए पैसे देने की बात की होती, तो स्थिति अलग होती.

वहीं, कार्ड्स अगेंस्ट ह्यूमैनिटी का ऑफर कानून की सीमा के करीब नजर आता है, क्योंकि इसमें उन लोगों को पैसे दिए जा रहे हैं जो मतदान की योजना बना रहे हैं. फिर भी इसे साफ तौर पर "वोट खरीदना" नहीं कहा जा सकता. कुछ समय पहले, डोनाल्ड ट्रंप ने एक किराने की दुकान में $100 की ग्रॉसरी खरीदी थी. इस पर प्रोफेसर हैसन का कहना है कि इसमें कानून का उल्लंघन नहीं हुआ, क्योंकि ट्रंप ने किसी को वोट देने या पंजीकरण कराने के लिए पैसे नहीं दिए थे.

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