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चिड़िया आजाद हुई या एक आदमी के पिंजरे में कैद? क्या Twitter से दुनिया बदल देंगे मस्क

एलन मस्क ने ट्विटर को खरीदते ही कई बड़े वादे कर दिए हैं. वे कह रहे हैं कि अब चिड़िया आजाद हो गई है. लेकिन ये आजादी क्या सही मायनों में हुई है? क्या एलन मस्क के एक फैसले ने ट्विटर को पिंजरे में कैद नहीं कर दिया है?

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एलन मस्क की ट्विटर डील (रॉयटर्स)
एलन मस्क की ट्विटर डील (रॉयटर्स)

एलन मस्क ने ट्विटर की नीली चिड़िया को 3 लाख 62 हज़ार करोड़ रुपये देकर खरीद लिया है. और उनका कहना है कि.. इस चिड़िया को उन्होंने आज़ाद करने के लिए खरीदा है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या ट्विटर असल में आजाद हुआ है या ये एक आदमी के पिंजरे में कैद हो गया है? दूसरा सवाल ये कि क्या एलन मस्क ट्विटर के जरिए इस दुनिया को बदल सकते हैं?

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ट्विटर डील की पूरी ABCD

अब इन सवालों का जवाब जानने के लिए सबसे पहले एलन मस्क की इस ट्विटर डील को विस्तृत तरीके से समझना जरूरी है. इसकी शुरुआत अप्रैल महीने में हुई थी, जब एलन मस्क ने पहली बार ये ऐलान किया था कि वो ट्विटर कम्पनी को खरीदना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने कम्पनी के बाकी शेयरहोल्डर्स को एक ऑफर दिया था. और ये ऑफर बहुत सरल था. एलन मस्क चाहते थे कि ट्विटर में जितने भी शेयरहोल्डर्स हैं, वो अपनी तमाम हिस्सेदारी उन्हें बेच दें और वो ट्विटर के इकलौते मालिक बन जाएं. और 23 अक्टूबर तक ट्विटर में पांच बड़े शेयरहोल्डर्स थे और इनमें भी कम्पनी में 9.2 प्रतिशत की हिस्सेदारी अकेले एलन मस्क के पास थी. 

जबकि अमेरिकी की मशहूर Investment Management Company.. Vanguard Group के पास 10.3 प्रतिशत.. अमेरिका की ही एक और Investment Banking Company.... Morgan Stanley के पास 8.4 प्रतिशत. BlackRock के पास 6.5 प्रतिशत और सऊदी अरब के प्रिंस अल-वलीद बिन तलाल के पास Twitter में 5.2 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी. लेकिन क्योंकि एलन मस्क ट्विटर के इकलौते मालिक बनना चाहते थे इसलिए उन्होंने कम्पनी को एक शानदार ऑफर दिया, जिसके तहत वो ट्विटर को 44 Billion US Dollars यानी आज के हिसाब से 3 लाख 62 हज़ार करोड़ रुपये में खरीदने के लिए तैयार थे. और बाद में जब ऐसा लग रहा था कि ये डील फाइनल होने वाली है, तभी जुलाई महीने में एलन मस्क ने अपना मन बदल लिया और ये कहा कि वो अब ट्विटर को नहीं खरीदना चाहते क्योंकि कम्पनी ने Fake Bot Accounts को लेकर उनसे कई महत्वपूर्ण जानकारियां छिपाई हैं.

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हालांकि इसके बाद ट्विटर ने एलन मस्क पर कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाया और ये मामला अमेरिका की एक अदालत में पहुंच गया. बड़ी बात ये है कि, अदालत ने एलन मस्क को 28 अक्टूबर यानी आज की डेडलाइन दी थी और ये कहा था कि अगर वो इस तारीख तक ट्विटर को खरीदने की प्रक्रिया पूरी नहीं करते तो उन्हें अदालत में कानूनी मुकदमे का सामना करना होगा. और एलन मस्क ने भी ना ना करते हुए आज ट्विटर को खरीद ही लिया. और ये डील उतनी ही कीमत में हुई, जो अप्रैल महीने में तय हुई थी. यानी एलन मस्क को ये कम्पनी.. 3 लाख 62 हज़ार करोड़ रुपये की पड़ी है. और अब वो इस कम्पनी के इकलौते मालिक बन गए हैं.

घाटे में चल रही चिड़िया आजाद कैसे?

आज एलन मस्क ने अपने एक ट्वीट में ये भी लिखा कि.. ट्विटर की चिड़िया अब आज़ाद हो चुकी है. लेकिन सवाल है कि क्या वाकई में ऐसा है?..असल में इस डील को लेकर दुनियाभर की बड़ी बड़ी कम्पनियां और उद्योगपति शुरुआत से ही हैरानी जता रहे हैं. क्योंकि Twitter एक ऐसी कम्पनी है, जो पिछले कई वर्षों से लगातार घाटे में है. वर्ष 2010 से 2021 के बीच ट्विटर कम्पनी सिर्फ दो साल ही फायदे में रही है जबकि 9 साल इस कम्पनी को ज़बरदस्त घाटा हुआ. वर्ष 2021 में इसे 1820 करोड़ और 2020 में 11 हज़ार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ था. और ये घाटा.. हम भारतीय रूपये में आज के हिसाब से आपको बता रहे हैं. और ये जानने के बाद आपके मन में भी ये सवाल ज़रूर होगा कि जो कंपनी शुरुआत से ही घाटे में है, उसे Elon Musk ने 3 लाख 62 हज़ार करोड़ रुपये में कैसे खरीदा? और आखिर Twitter में ऐसा क्या है कि एलन मस्क को ये घाटा नज़र नहीं आ रहा?

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एलन मस्क ने एक चिट्ठी के ज़रिए इस सवाल का जवाब देने की कोशिश की है. इसमें उन्होंने लिखा है कि, उन्होंने ट्विटर को पैसा कमाने के लिए नहीं खरीदा है बल्कि उन्होंने ये डील मानवता के लिए की है. जिससे वो सबसे ज्यादा प्यार करते हैं. इसी चिट्ठी में वो ये भी लिखते हैं कि, वो ट्विटर को आने वाली पीढ़ियों के लिए एक ऐसा Common Digital Platform बनाना चाहते हैं, जहां अलग अलग विचारधारा के लोग बिना हिंसा और नफरत के एक दूसरे के साथ अपनी बातें साझा कर सकें. 

यानी इस चिट्ठी में एलन मस्क ये लिख रहे हैं कि वो इस सोशल मीडिया Platform के ज़रिए ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि दुनिया में Twitter का इस्तेमाल करने वाले लोगों को इसके माध्यम से अभिव्यक्ति की आज़ादी मिलती रहे. और वो इस Platform के माध्यम से अपने विचार और अपनी बात दुनिया तक पहुंचाते रहे. लेकिन यहां बड़ा सवाल आज ये है कि.. क्या इस डील के पीछे सिर्फ मानवता है और अभिव्यक्ति की आज़ादी है?.. तो ऐसा बिल्कुल नहीं है. 

ट्विटर की वो शक्तियां जो मस्क ने समझ लीं

असल में एलन मस्क ने Twitter को घाटे में होने के बावजूद इसलिए खरीदा क्योंकि वो जानते हैं कि आज के इंटरनेट युग में जो काम एक ट्वीट कर सकता है, वो काम एक बम भी नहीं कर सकता. यानी एलन मस्क ट्विटर की क्षमता को समझते हैं और वो जानते हैं कि अगर Twitter का नियंत्रण उनके हाथों में आ गया तो वो दुनिया के बड़े बड़े Influencers और Blue Tick वाले लोगों को आसानी से प्रभावित कर पाएंगे. यानी वो Twitter की Soft Power का इस्तेमाल करना चाहते हैं. ट्विटर दुनिया का एकमात्र ऐसा सोशल मीडिया Platform है, जो दुनिया के एक बड़े हिस्से की विचारधारा को प्रभावित करने की ताकत रखता है. दुनिया में Twitter के कुल Users की संख्या 33 करोड़ के आसपास है. और ये अमेरिका की कुल आबादी के लगभग बराबर है. यानी आज अगर ट्विटर नाम का देश होता है तो इसकी आबादी अमेरिका जितनी होती. 

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अभी अमेरिका में ट्विटर के सबसे ज्यादा साढ़े सात करोड़, जापान में 5 करोड़ 90 लाख, भारत में 2 करोड़ 36 लाख, ब्राज़ील में 1 करोड़ 90 लाख और इंडोनेशिया में ट्विटर के 1 करोड़ 80 लाख Users हैं. यानी Facebook से तुलना करें तो ट्विटर बहुत छोटा Platform है, क्योंकि फेसबुक के दुनिया में 291 करोड़ Users हैं. लेकिन बड़ा Point ये है कि.. ट्विटर का प्रभाव उसके बिज़नेस के साइज़ और Users की संख्या से काफ़ी बड़ा है. क्योंकि ये Platform लोगों को एक ऐसा मंच देता है, जहा ख़बरें भी ब्रेक होती हैं और Narratives भी गढ़े जाते हैं. और यही बात ट्विटर को एक शक्तिशाली Tool यानी हथियार के रूप में स्थापित करती हैं. 

आज ट्विटर को खरीदने से एलन मस्क के पास दुनिया के करोड़ों लोगों का Data उपलब्ध हो गया है, जिनमें Celebrities से लेकर दुनिया के प्रभावशाली लोग भी हैं. यानी आज अगर एलन मस्क चाहें तो वो किसी भी देश की सरकार और वहां के समाज पर अपनी नीतियों के हिसाब से असर डाल सकते हैं. हालांकि हम ये नहीं कह रहे कि.. वो ऐसा करेंगे. लेकिन उनके पास ये ताकत ज़रूर आ गई है

दुनिया में नैरेटिव सेट करने वाला ट्विटर

वैसे.. Twitter की Soft Power का अन्दाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि... आज दुनिया के जो एक हज़ार सबसे प्रभावशाली लोग हैं, उनमें से 900 से ज्यादा इस Platform पर मौजूद हैं. और सबसे अहम..आज ट्विटर पर दिनभर कोई ना कोई मुद्दा या ख़बर ट्रेंड करती रहती है. और इन्हीं Trends में कई बार Fake Narrative भी होते हैं, जिनकी पहचान करना मुश्किल होता है. 

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ट्विटर के एक पूर्व कर्मचारी ने एक बार कहा था कि.. ये Platform.. विचारों को नहीं बल्कि नैरेटिव को गढ़ने का काम करता है. और ये नैरेटिव कई बार इतने शक्तिशाली होते हैं कि.. इनकी मदद से बड़ी से बड़ी सरकारें भी दबाव में आ जाती हैं और इस पर कई अंतर्राष्ट्रीय विवाद खड़े हो जाते हैं.

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