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....तो दुनिया से एड्स का हो जाएगा खात्‍मा

लाइलाज ह्यूमैन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस (एचआईवी) से संक्रमित रोगियों की संख्या में आ रही गिरावट को देखते हुए विशेषज्ञों को उम्मीद है कि बेहतर दवाओं की उपलब्धता के कारण एड्स का खात्मा हो सकता है.

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लाइलाज ह्यूमैन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस (एचआईवी) से संक्रमित रोगियों की संख्या में आ रही गिरावट को देखते हुए विशेषज्ञों को उम्मीद है कि बेहतर दवाओं की उपलब्धता के कारण एड्स का खात्मा हो सकता है.

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इस आशय की बात संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कही गई. रिपोर्ट के मुताबिक 2011 तक 3.4 करोड़ लोग एड्स से प्रभावित थे. दुनिया भर में रक्त या वीर्य से संक्रमित होने वाले एड्स के नए प्रभावितों की संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है.

2011 में एड्स के नए प्रभावितों की संख्या 25 लाख थी, जो 2001 के आंकड़े से 20 फीसदी कम है. एड्स से मरने वालों की संख्या भी 2011 में 17 लाख रही, जो 2005 के सर्वाधिक 23 लाख और 2010 के 18 लाख से कम है. रिपोर्ट में कहा गया कि इससे सम्भावना जगी है कि एड्स के पूर्ण सफाए की बुनियाद रखी जा सकती है.

समाचार पत्र डेली मेल के मुताबिक 2012 में ब्रिटेन में एक लाख से अधिक लोगों में एचआईवी है और इनमें से करीब एक चौथाई को पता नहीं है कि वे वायरस से संक्रमित हैं. अफ्रीका महादेश के दक्षिणी क्षेत्र के देशों में हालांकि एड्स की सर्वाधिक सघन मौजूदगी है और हर 20 में से एक व्यक्ति यहां एड्स से पीड़ित है और यह अनुपात एशिया से 25 गुणा अधिक है.

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