‘इंटरनेट के मामले में भारत फिसड्डी है. लेकिन वहां की सरकार अगर अपने करोड़ों नागरिकों को तेज रफ्तार और बढ़िया क्वालिटी वाले इंटरनेट की सुविधा मुहैया कराए, तो गूगल जैसी अगली कंपनी कोई भारतीय उद्दमी ही बनाएगा.’ ये कहना है गूगल के संस्थापक और कार्यकारी चेयरमैन एरिक श्मिट का. इंटरनेशनल कंसलटेंसी फर्म मैकिंजी की एक किताब में श्मिट ने एक आर्टिकल लिखा है. उसी में ये खयाल जाहिर किए गए हैं.
श्मिट के मुताबिक इंटरनेट के मामले में भारत अभी उस जगह है, जहां अमेरिका 1994 में था. यानी गूगल के जन्म से भी चार साल पहले की हालत. उन्होंने कहा कि भारत को शहरों और कस्बों में इंटरनेट का प्रसार करना चाहिए जिसका उसकी अर्थव्यवस्था और समाज पर सकारात्मक असर होगा.
गूगल के पूर्व मुख्य कार्यकारी ने कहा कि उन्होंने सिलिकॉन वैली में अपने आसपास भारत के लोगों की रचनात्मक क्षमता देखी है.सिलिकॉन वैली में 40 प्रतिशत नयी कंपनियां भारतीय मूल के उद्यमियों की हैं. उन्होंने कहा कि अंदाजा लगाइए कि यदि भारत के उद्यमी नव-प्रवर्तक अपने शुरुआती दौर में, अपने ही देश में संस्थागत सहयोग पाकर बड़ी वैश्विक कंपनियां बनाने में कामयाब होते हैं तो क्या होगा. वे दुनिया बदल देंगे. इंटरनेट पर केंद्रित सैकड़ों कंपनियों की स्थापना होगी और ये भारतीय उपभोक्ताओं की रुचियों पर ध्यान केंद्रित कर सफल होंगी. उन्होंने लेख में यह सवाल पूछा कि क्या उनमें से कोई कंपनी अगली गूगल बन सकती हैं? फिर खुद ही जवाब दिया कि हां, बिल्कुल.श्मिट ने कहा ऐसे कुछ समय तक नहीं होगा. लेकिन यदि भारत की नीतियां सही होती हैं तो हम जल्द देखेंगे कि भारतीय इंजीनियर औ छोटे कारोबारी भारतीयों की समस्या का समाधान कर निर्यात में लग जाएंगे.उन्होंने लिखा कि गौरतलब है कि भारत की कुल आबादी 1.2 अरब है जिनमें से 60 करोड़ मोबाइल फोन धारक हैं लेकिन इंटरनेट कनेक्शन करीब 15 करोड़ के पास है.