BREXIT यानी ब्रिटेन का यूरोपियन यूनियन से एग्जिट होना. ऐतिहासिक रेफरेंडम में ब्रिटेन यूरोपियन संघ से बाहर हो गया है. जनमत संग्रह का फैसला आने के बाद भारत समेत दुनियाभर के शेयर बाजार में इसका असर देखने को मिला है. लेकिन इन सबसे पहले यह भी जानना जरूरी है कि क्यों ब्रिटेन को ईयू से अलग होने की मांग उठी? अलग होने से भारत को क्या नुकसान हो सकते हैं और क्या है यूरोपियन यूनियन.
क्यों उठी ईयू से ब्रिटेन के अलग होने की मांग?
साल 2008 में ग्रेट ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ गई. देश में बेरोजगारी बढ़ गई. इसकी वजह से एक बहस ने जन्म लिया कि क्या ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से अलग हो जाना चाहिए? इस मांग को 2015 में ब्रिटेन में हुए आम चुनावों में यूनाइटेड किंगडम इंडिपेंडेंस पार्टी (यूकेआईपी) ने उठाया. इस धड़े का मानना है कि अगर ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन से अलग हो जाता है तो देश की सारी दिक्कतें दूर हो जाएंगी.
जनमतसंग्रह की जरूरत क्यों पड़ी?
ब्रिटेन में ही एक धड़ा यह भी मानता है कि ब्रिटेन का यूरोपियन यूनियन से अलग होना देश के लिए बड़ा झटका होगा. प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और कंजर्वेटिव पार्टी का भी यही मानना है. ब्रिटेन के नागरिकों की राय भी इस मसले पर बंटी हुई है. इसलिए मामले पर जनमतसंग्रह करवाना सही समझा गया. तकरीबब 4 करोड़ 60 लाख लोग जनमतसंग्र में हिस्सा लेने के योग्य हैं.
ब्रिटेन को फायदा
- ब्रिटेन को सालाना यूरोपियन यूनियन के बजट के लिए 9 अरब डॉलर नहीं देने होंगे.
- ब्रिटेन की सीमाओं पर बिना रोक-टोक के आवाजाही पर लगाम लगेगी.
- फ्री वीजा पॉलिसी की वजह से ब्रिटेन को हो रहा नुकसान भी कम होगा.
ब्रिटेन को नुकसान
- ब्रिटिश जीडीपी को 1 से 3 प्रतिशत नुकसान का अनुमान.
- ब्रिटेन के लिए सिंगल मार्केट सिस्टम खत्म हो जाएगा.
- दूसरे यूरोपीय देशों में ब्रिटेन को कारोबार से जुड़ी दिक्कतें होंगी.
- पूरे यूरोपियन यूनियन पर ब्रिटेन का दबदबा खत्म हो जाएगा.
क्या है यूरोपियन यूनियन?
-28 यूरोपीय देशों का संगठन है ईयू.
-1957 में 6 देशों (बेल्जियम, फ्रांस, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड्स) ने नींव रखी.
- साल 2015 तक के आंकड़ों के मुताबिक यूरोपियन यूनियन की आबादी 50 करोड़ से ज्यादा.
- इसके सभी सदस्य देशों की एक ही करेंसी है.
- EU में शामिल देशों के नागरिक 28 देशों में से किसी भी देश में रह सकते हैं और व्यापार (फ्री ट्रेड) कर सकते हैं.
भारत को हो सकता है नुकसान
- ब्रिटेन के ईयू से अलग होने पर पाउंड 12 प्रतिशत तक लुढ़क सकता है.
- कमजोर पाउंड की वजह से डॉलर की मांग में इजाफा होगा.
- मजबूत डॉलर के कारण रुपये की कीमत 70 के लेवल तक पहुंच सकती है.
भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के डाटा के मुताबिक 2015-16 में ब्रिटेन के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 14.02 अरब डॉलर यानी 945 अरब रुपये रहा. खास बात यह है कि हमने ब्रिटेन से 5.19 अरब डॉलर का आयात किया और 8.83 अरब डॉलर का निर्यात किया. भारत को इस कारोबार में 3.64 अरब डॉलर का फायदा हुआ.
कुछ अध्ययनों के मुताबिक ब्रिटेन के ईयू से अलग होने पर उसके आयात में 25 प्रतिशत की कमी आएगी. ऐसे में भारत के कारोबार को नुकसान हो सकता है.
ब्रिटेन भारत के लिए ईयू का 'एंट्री गेट'
सिर्फ ब्रिटेन में 800 भारतीय कंपनियां है. जिसमें 1 लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं. भारतीय आईटी कंपनियों की 6 से 18 प्रतिशत कमाई ब्रिटेन से होती है. भारतीय कंपनियां ब्रिटेन के रास्ते ही यूरोप के 28 देशों तक पहुंचती हैं. अगर ब्रिटेन ईयू से बाहर निकला तो यह पहुंच बंद हो जाएगी. यूरोप के देशों से भारत को नए करार करने होंगे. इससे कंपनियों के खर्च में इजाफा होगा. साथ ही हर देश के नियम-कानूनों को भी पालन करना होगा.