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Exclusive: अफगानिस्तान पर कंट्रोल को लेकर पाकिस्तान सेना प्रमुख और ISI में ठनी

इंटेलिजेंस एजेंसी के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पाकिस्तानी सेना प्रमुख, फैज हामिद को उनके पद से हटाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं. लेकिन वो अब तक ऐसा नहीं कर पाए हैं. क्योंकि हामिद का जासूसी एजेंसी पर काफी प्रभाव है.

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तालिबान सरकार को लेकर ISI और पाकिस्तानी सेना प्रमुख में भी संघर्ष (फाइल फोटो)
तालिबान सरकार को लेकर ISI और पाकिस्तानी सेना प्रमुख में भी संघर्ष (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • तालिबान सरकार को लेकर ISI और पाकिस्तानी सेना प्रमुख में भी संघर्ष
  • पाकिस्तान के बढ़ते प्रभाव को लेकर अब गुटों में विवाद
  • दूसरे देशों के साथ संबंध पर भी पड़ रहा है असर

अफगानिस्तान में जब से तालिबानी सरकार बनी है, तब से वहां पर पाकिस्तान का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. इसके साथ ही पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और ISI चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद के बीच संघर्ष भी बढ़ता जा रहा है. इंटेलिजेंस एजेंसी के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पाकिस्तानी सेना प्रमुख, फैज हामिद को उनके पद से हटाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं. लेकिन वो अब तक ऐसा नहीं कर पाए हैं. क्योंकि हामिद का जासूसी एजेंसी पर काफी प्रभाव है.

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पिछले कई सालों से ISI, तालिबान के नेताओं की देखभाल करता रहा है. इस दौरान ISI अपनी सुविधानुसार अफगानिस्तान के अंदर अपने हित में ऑपरेशन भी चलवाता रहा है. ऐसे में जब तालिबान के हाथों में अफगानिस्तान की सत्ता आई है तो पाकिस्तान सेना प्रमुख अब उनके फैसले में अपना दखल चाहते हैं. लेकिन ISI अब इसमें दखल दे रही है.

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तालिबान के नेताओं के साथ ISI के काफी मजबूत संबंध हैं. हक्कानी ग्रुप समेत सभी अन्य गुटों में इनकी गहरी पैठ है. सूत्रों का मानना है कि ISI ने अफगानिस्तान में सिपहसालार के तौर पर अपने लोग बैठा रखे हैं.

वहीं पाकिस्तानी आर्मी प्रमुख भी वहां अपना एजेंडा चलाना चाहते हैं. लेकिन हामिद ऐसा होने नहीं दे रहे हैं. तालिबान के ज्यादातर गुट और उनके नेताओं ने पेशावर और क्वेटा में ISI सेफ हाउस का प्रयोग करते हुए अमेरिका के साथ लड़ाई लड़ी थी. सूत्रों का कहना है कि अफगानिस्तान सरकार में पाकिस्तान के प्रभाव को लेकर अब तालिबान के कई गुटों में दरार भी दिखाई देने लगा है.

 

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तालिबान, ISI की वजह से कई महत्वपूर्ण फैसले लेने में परेशानी झेल रहा है. जबकि इन फैसलों पर ही अफगानिस्तान का संबंध अन्य देशों के साथ तय होना है. दरअसल ISI चाहता है कि अफगानिस्तान को पश्चिमी देशों से जो सहयोग और पैसा मिल रहा है उसमें वह भी भागीदार बने. पाकिस्तान ने हमेशा ही अफगानिस्तान को "बी टीम" के तौर पर समझा है और इसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ रणनीति के तौर पर करना चाहा है. ऐसे में तालिबान के अलग अलग गुटों में अब कंट्रोल को लेकर विवाद शुरू हो गया है. 

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