बांग्लादेश में पहले तख्तापलट और फिर राजनैतिक उथल-पुथल के बीच अब अंतरिम सरकार की रूपरेखा तय हो गई है. नई सरकार में 15 सदस्य शामिल होंगे और गुरुवार यानी आज रात 8.30 बजे ढाका में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित होगा. ये सरकार नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में जिम्मेदारी संभालेगी. दूसरा नाम बांग्लादेश नेशनल पार्टी (BNP) के एक्टिंग चीफ तारिक रहमान (56 साल) का भी चर्चा है. माना जा रहा है कि तारिक रहमान बांग्लादेश के नए प्रधानमंत्री बन सकते हैं. हालांकि, सरकार को लेकर अभी तस्वीर साफ नहीं हुई है. जानिए तारिक रहमान के बारे में...
तारिक रहमान 16 साल यानी 2008 से लंदन में रह रहे हैं. वो पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे हैं. अंतरिम सरकार की तैयारियों के बीच तारिक जल्द ही बांग्लादेश पहुंचेंगे. BNP महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने बताया कि पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान की बहुत जल्द स्वदेश वापसी होगी. उन्होंने कहा, आप सभी जानते हैं कि हमारे नेता तारिक रहमान को झूठे मामलों के कारण अन्यायपूर्ण तरीके से विदेश में निर्वासित किया गया है. उन्होंने इस आंदोलन (स्टूडेंट मूवमेंट) का पूरा समर्थन किया है और हमने उन्हें तुरंत देश वापस लाने के लिए कदम उठाए हैं. इंशाअल्लाह, हम सफल होंगे.
जानिए कौन हैं तारिक रहमान?
तारिक रहमान वर्तमान में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के उपाध्यक्ष हैं. उनकी मां खालिदा जिया BNP की अध्यक्ष हैं. तारिक का जन्म 20 नवंबर 1967 को हुआ. उन्होंने ढाका यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया और बाद में राजनीति में सक्रिय हो गए. तारिक ने 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में अपनी मां की सरकार के दौरान विभिन्न राजनीतिक और आर्थिक सुधारों में हिस्सा लिया. तारिक रहमान पर कई भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. 2007 में एक सैन्य समर्थित अंतरिम सरकार के दौरान उन्हें गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में चिकित्सा कारणों से उन्हें जमानत मिल गई और वे लंदन चले गए.
'इंडिया आउट' कैंपेन के मास्टरमाइंड रहे तारिक
तारिक रहमान काफी समय से बांग्लादेश में विपक्ष के चेहरे के तौर पर पहचाने जाते हैं. उन्हें इस साल की शुरुआत में बांग्लादेश में हुए 'इंडिया आउट' कैंपेन का मास्टरमाइंड माना जाता है. 2018 में खालिदा जिया को जेल गया तो तारिक रहमान ने ही पार्टी की कमान संभाली और सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी का नेतृत्व किया है. 2004 में तारिक पर ग्रेनेड हमले की साजिश रचने के आरोप लगा. इस मामले में 6 साल पहले तारिक को कोर्ट ने दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई. तारिक रहमान पर आरोप था कि उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की चुनावी अभियान रैली में घातक हमले का प्लान बनाया था. इस हमले में हसीना घायल हो गई थीं और कम से कम 20 लोग मारे गए थे. कोर्ट ने जब तारिक को दोषी ठहराया, तब वो मौजूद नहीं थे. इस मामले में रहमान का कहना था कि सारे आरोप मनगढ़ंत हैं. उन्होंने आरोप लगाया था कि जांच करने वाले पुलिस अधिकारी को हसीना ने चुनाव के लिए टिकट देकर पुरस्कृत भी किया है.
जब BNP का महीनेभर चला विरोध-प्रदर्शन...
तारिक की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने पिछले साल प्रधानमंत्री और अवामी लीग की प्रमुख शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर महीनों तक विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें कम से कम 11 लोग मारे गए थे और हजारों समर्थकों को गिरफ्तार किया गया था.
तारिक के पिता राष्ट्रपति और मां रहीं पीएम
तारिक के परिवार ने वर्षों तक देश में शासन किया. तारिक के पिता जियाउर्रहमान बांग्लादेश के 8वें राष्ट्रपति बने और उनका कार्यकाल 1977 से 1981 तक रहा. जियाउर्रहमान सेना प्रमुख भी रहे हैं. जियाउर्रहमान की पत्नी खालिदा जिया दो बार प्रधानमंत्री रहीं. उनका 1991 से 1996 तक और 2001 से 2006 तक कार्यकाल रहा. 2018 में भ्रष्टाचार के आरोप में जिया को जेल भेजा गया. बाद में जिया की सेहत बिगड़ी तो उन्हें ढाका के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. पार्टी की कमान रहमान ने संभाली. वे रोजाना वीडियो और फोन कॉन्फ्रेंस के जरिए कार्यकर्ताओं के संपर्क में रहे और बातचीत करते रहे.
खालिदा के कार्यकाल में राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार और विपक्षी दलों के साथ भेदभाव रवैया अपनाने का आरोप लगा है. 2018 में खालिदा जिया को एक भ्रष्टाचार मामले में दोषी ठहराया गया और जेल की सजा सुनाई गई. BNP उनकी रिहाई की मांग करती रही है. वहीं, जियाउर रहमान बांग्लादेश के राष्ट्रपति रहे और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के संस्थापक भी थे. वे बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता के तौर पर भी जाने गए. 1981 में उनकी हत्या कर दी गई थी.
राजनीति में कट्टर विरोधी बन गईं हसीना और जिया
1981 में जियाउर्रहमान की हत्या के बाद उनकी पत्नी खालिदा जिया ने लोकतंत्र को बहाल करने के लिए हसीना के साथ मिलकर काम किया, लेकिन 1990 के दशक में दोनों के बीच राजनीतिक सत्ता के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ गई और दोनों एक- दूसरे की कट्टर विरोधी बन गईं. हसीना के सत्ता में आने से कुछ समय पहले ही तारिक रहमान ने बांग्लादेश छोड़ दिया और लंदन में नया ठिकाना बना लिया.
15 साल से सत्ता में थीं शेख हसीना
शेख हसीना साल 2009 से सत्ता में काबिज रहीं. वे लगातार 15 साल तक बांग्लादेश की पीएम रहीं. चार दिन पहले बांग्लादेश की राजनीति में मोड आया और हिंसक भीड़ ने पीएम हाउस पर हमला कर दिया. शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा और भारत आकर सेफ हाउस में रुकी हैं. हसीना ने पद से भी इस्तीफा दे दिया है. बांग्लादेश 1971 में आजाद हुआ. तब से तारिक रहमान और शेख हसीना के परिवारों के हाथों में ही देश की सत्ता रही है. बांग्लादेश दुनिया के आठवें सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है.
नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार
गुरुवार को नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार शपथ लेगी. इससे पहले राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने हसीना शेख का इस्तीफा मंजूर किया था और संसद को भंग कर दिया था. उन्होंने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनाए जाने का ऐलान किया है. बांग्लादेश में हफ्तों से आरक्षण को लेकर आंदोलन चल रहा है. सोमवार को ढाका में मार्च निकाला गया और हिंसा शुरू हो गई. सेना ने कमान संभाली, लेकिन भीड़ को काबू में नहीं कर सकी. अपराधियों ने प्रधानमंत्री आवास लेकर संसद तक में घुसपैठ की और तोड़फोड़ की. शेख हसीना के सोमवार को सत्ता से हटने के बाद से देश में सुरक्षा संबंधी टेंशन बढ़ गई. सुरक्षाकर्मियों पर घातक हमलों की खबरों के बीच थाने से पुलिस भी गायब हो गई.
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मंगलवार तक देशभर में हसीना की अवामी लीग पार्टी के कम से कम 29 समर्थकों के शव बरामद किए गए. जुलाई में पहली बार विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से लगभग तीन सप्ताह में मरने वालों की कुल संख्या 469 हो गई है.
अंतरिम सरकार को लेकर 15 नामों की सूची तैयार की गई है. गुरुवार को स्वदेश लौटने के बाद अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस (84 साल) से चर्चा होगी. उसके बाद सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा. सूत्रों के अनुसार, छात्र आंदोलन के नेताओं ने बुधवार को बीएनपी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर से मुलाकात की और सूची पर चर्चा की. स्टूडेंट मूवमेंट विंग ने विभिन्न पक्षों के साथ सूची पर चर्चा करने के लिए एक संपर्क समिति का भी गठन किया है.
इससे पहले प्रदर्शनकारी छात्र नेताओं ने यूनुस को सलाहकार नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा था. यूनुस को 1970 के दशक में माइक्रोफाइनेंस के अग्रणी के रूप में पहचान मिली और इससे देश के सबसे गरीब लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद मिली. यूनुस को 2006 में नोबेल पुरस्कार मिला. साल 2007 में यूनुस ने राजनीति में एंट्री की, लेकिन बाद में उन्होंने पॉलिटिक्स को अलविदा कह दिया.