विदेश मंत्री सुषमा स्वराज संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 73वें सत्र (73rd Session) को संबोधित करते हुए पाकिस्तान पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि भारत अपने पड़ोसी पाकिस्तान के आतंकवाद से पीड़ित है. पाकिस्तान आतंकवादी घटना को अंजाम देने में ही माहिर नहीं है, बल्कि इसको नकारने में भी महारथ हासिल है. इसकी सबसे बड़ी मिसाल है ओसामा बिन लादेन का पाकिस्तान में पाया जाना.
उन्होंने कहा, 'अमेरिका के इतिहास में 11 सितंबर 2001 की घटना सबसे बड़ी आतंकी घटना के रूप में देखी जा रही है. इसीलिए इस घटना के मास्टर माइंड ओसामा बिन लादेन को अमेरिका अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता था और पूरी दुनिया में उसे खोज रहा था. लेकिन अमेरिका को यह नहीं मालूम था कि उसका सबसे बड़ा दोस्त बताने वाला देश पाकिस्तान ही उसको छिपाकर रखे हुए है. ये अमेरिका के खुफिया तंत्र की सफलता है कि उन्होंने ओसामा बिन लादेन को खोज निकाला.'
स्वराज ने कहा, 'यह अमेरिका की सैन्य शक्ति की उपलब्धि है, उन्होंने उसको पाकिस्तान में ही मार गिराया. लेकिन पाकिस्तान की हिमाकत देखिए कि सारा सच सामने आ जाने के बाद भी उसके माथे पर शिकन नहीं दिखी. ऐसा लगता है कि जैसे पाकिस्तान ने कोई गुनाह किया ही न हो. पाकिस्तान का यह सिलसिला अब भी लगातार जारी है.'
मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए विदेश मंत्री ने कहा, '9/11 का मास्टरमाइंड तो मारा गया, लेकिन 26/11 का मास्टरमाइंड हाफिज सईद आज भी खुला घूम रहा है. वह रैलियां कर रहा है, चुनाव लड़वा रहा है और सरेआम भारत को धमकियां दे रहा है. हालांकि एक बात अच्छी है कि दुनिया ने पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को पहचान लिया है और इसीलिए Financial Action Task Force (FATF) ने आतंकवाद को आर्थिक सहायता देने के लिए पाकिस्तान को निगरानी सूची में रखा है.'
उन्होंने कहा, 'हम पर आरोप लगाया जाता है कि हम पाकिस्तान के साथ बातचीत करने के लिए तैयार नहीं होते हैं. यह पूरी तरह असत्य है. हमारा तो मानना है कि दुनिया के जटिल से जटिल मुद्दे सिर्फ बातचीत से ही सुलझाए जा सकते हैं और सुलझाए जाने भी चाहिए. इसीलिए पाकिस्तान के साथ अनेक बार वार्ता शुरू की गई. वार्ताओं के अनेक दौर भी चले हैं, लेकिन हर बार पाकिस्तान की हरकतों की वजह से वार्ता रुकी है.'
विदेश मंत्री ने कहा, 'भारत में अनेक राजनीतिक दलों की सरकारें आईं, लेकिन हर सरकार ने यह कोशिश की कि बातचीत के द्वारा हमारे विवाद सुलझ जाएं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो अपने शपथग्रहण समारोह के पहले ही सार्क के सभी देश के नेताओं को आमंत्रित करते सरकार बनने से पहले ही यह शुरुआत कर दी थी. मैंने खुद इस्लामाबाद जाकर कंप्रीहेंसिव दि्वपक्षीय बातचीत की शुरुआत कर दी थी. किंतु महज तीन हफ्ते बाद पठानकोट एयरबेस पर हमला कर दिया गया. उन्होंने संयुक्त राषट्र से सवाल किया कि आखिर ऐसे माहौल में बातचीत कैसे आगे बढ़ सकती है.'
विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान में नई सरकार आने के बाद वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर यह इच्छा जताई कि अगर न्यूयॉर्क में दोनों देश के विदेश मंत्रियों की मुलाकात हो जाए, तो अच्छा हो जाएगा. हमने उनका प्रस्ताव मंजूर कर लिया, लेकिन चंद घंटों बाद ही जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों का अपहरण किया गया और फिर उनको मारकर फेंक दिया गया. उन्होंने सवाल किया कि क्या ये हरकतें बातचीत की नीयत को दर्शाती हैं? क्या ऐसे में वातावरण में मुलाकात हो सकती है?
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा, '20वीं शताब्दी के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि यह 21वीं सदी में शांति और समृद्धि का युग प्रारंभ होगा, लेकिन 9/11 के न्यूयॉर्क की घटना और 26/11 के मुंबई की आतंकी घटना ने इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया. आज आतंकवाद का राक्षस कहीं धीमी गति से और कहीं तेज गति से विश्व के हर देश तक जा पहुंचा है.'
स्वराज ने कहा, 'भारत तो कई दशकों से इसका दंश झेलता रहा है. हमारा तो दुर्भाग्य है कि हमारे यहां आतंकवाद की चुनौती कहीं दूर देश से नहीं, बल्कि सीमा पार अपने पड़ोसी देश से ही आई है. यह देश सिर्फ आतंकवाद फैलाने में ही माहिर नहीं है, बल्कि अपने किए हुए को नकारने में भी उसने महारथ हासिल कर ली है.'
उन्होंने कहा कि आए दिन पाकिस्तान हम पर मानवाधिकार के उल्लंघन का आरोप लगाता है. जबकि हकीकत यह है कि मानवाधिकारों का सबसे उल्लंघन आतंकवादी करते हैं. वो निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार देते हैं, लेकिन पाकिस्तान किसकी पैरवी करता है. वो मारने वालों की पैरवी करता है और जो मारे जाते हैं, उन पर चुप्पी साध लेता है. भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करना, फर्जी तस्वीरें दिखाकर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाना पाकिस्तान की आदत बन गई है. यह फर्जी तस्वीर दिखाने की घटना पिछले साल संयुक्त राष्ट्र महासभा में ही घटी थी, जब पाकिस्तान कि प्रतिनिधि ने उत्तर देने का उपयोग करते हुए दूसरे देश की तस्वीर दिखाकर भारत पर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया था.
उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों से लगातार भारत इस मंच से कहता आ रहा है कि केवल एक सूची और दूसरी सूची में आतंकवाद का नाम डालने से मसला हल नहीं हो जाएगा. जब तक हम आतंकवादियों पर किसी अंतरराष्ट्रीय कानून की गिरफ्त में नहीं लाएंगे, तब तक यह सिलसिला चलता रहेगा.
उन्होंने कहा कि भारत ने 1996 में एक प्रस्ताव पेश किया था, वो आजतक अटका हुआ है. इसके अटकने का सिर्फ एक ही कारण है कि हम आतंकवाद की परिभाषा पर सर्वसम्मति नहीं बना पा रहे हैं. जटिल समस्या यह है कि हम आतंकवाद से लड़ना भी चाहते हैं, लेकिन आतंकवाद कौन है, उसको निर्धारित नहीं कर पाते हैं.
उन्होंने यही वजह है कि दुनिया के आतंकवादी दूसरे देशों में फ्रीडम फाइटर कहे जाते हैं और उन आतंकवादियों की क्रूरता वीरता कही जाती है. पाकिस्तान की सरकार उनके सम्मान में डाक टिकटें निकालकर उनको महिला मंडित करती है. उन्होंने कहा कि ऐसे कारनामों को संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश कब तक चुपचाप देखकर सहते रहेंगे. अगर हम समय पर नहीं जागे, तो वो दिन दूर नहीं जब आतंकवाद का दानव पूरी दुनिया को निगल जाएगा और इस दावानल में पूरा विश्व जल जाएगा.
उन्होंने कहा कि भारत वसुधैव कुटुंबकम में यकीन करता है. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को परिवार की तरह चलाना चाहिए.
विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र दुनिया का सबसे बड़ा मंच हैं, जहां सबके दुख-सुख साझे किए जाते हैं. जहां अविकसित और कम विकसित देशों के लिए योजनाएं बनाई जाती हैं. जहां विश्व को बेहतर बनाने के लिए लक्ष्य निर्धारित किए जाते हैं. साल 2015 में हमने साल 2030 का एजेंडा निर्धारित करते हुए टिकाऊ विकास के लक्ष्यों की रचना की थी. उसी समय से यह कहा जा रहा है कि अगर भारत इन लक्ष्यों को हासिल कर लेगा, तभी हम सफल हो पाएंगे, वरना हम फेल हो जाएंगे.
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा से कहा, 'आज मैं आप सबको विश्वास दिलाना चाहती हूं कि भारत आपको कभी फेल नहीं होने देगा. वर्ष 2030 के एजेंडा और टिकाऊ विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए भारत पूरी तरह प्रतिबद्ध है. पीएम मोदी ने जिस गति और जिस पैमाने पर इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कई कार्यों को शुरू किया है. हम समय से पहले ही इन लक्ष्यों को हासिल कर लेंगे.'
उन्होंने कहा कि भारत में विश्व के सबसे बड़े वित्तीय समावेश की योजना चलाई जा रही है, जिसका नाम है- जनधन योजना. इसके तहत 32 करोड़ 61 लाख ऐसे लोगों के खाते खोले गए हैं, जिन्होंने पहले कभी बैंक का दरवाजा भी नहीं देखा गया है. अब डायरेक्ट बेनिफिट के जरिए सरकार द्वारा दी जाने वाली धनराशि सीधे इनके खाते में डाल दी जाती है. इसके कारण गरीब को पूरा पैसा मिलने लगा है और भ्रष्टाचार खत्म हो गया है.
इस मुद्दे पर भारत दुनिया को कभी फेल नहीं होने देगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए मोदी सरकार जनधन योजना और आयुष्मान भारत योजना चला रही है. आयुष्मान भारत योजना मील का पत्थऱ साबित होगा.
यहां देखें वीडियो:
#WATCH Live: External Affairs Minister Sushma Swaraj addresses United Nations General Assembly in New York https://t.co/5SPtCijfDD
— ANI (@ANI) September 29, 2018
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने स्वच्छ भारत और स्वस्थ्य भारत का संकल्प लिया है. जिन विकसित देशों ने प्रकृति का विनाश करके अपना विकास किया है, उनको इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी. उनको इससे मुंह नहीं मोड़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन आज सबसे बड़ी समस्या है.
इससे पहले गुरुवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ब्रिक्स समूह के सदस्यों से कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में काफी समय से लंबित सुधारों को हासिल करने के महत्वपूर्ण मुद्दों पर सदस्यों के बीच मतभेद नहीं होने चाहिए और इस मुद्दे पर उन्हें दृढ़ता से बात रखनी चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र से इतर ब्रिक्स के विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए स्वराज ने कहा कि ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के पांच सदस्यीय समूह की शुरुआत एक दशक पहले अंतरराष्ट्रीय संगठनों में यथास्थिति खत्म करने और बहुपक्षवाद की विकृतियों को सुधारने के लिए हुई थी. उन्होंने कहा कि एक दशक बाद बहुपक्षवाद का आह्वान इस यथास्थिति को मजबूत करने के लिए नहीं बल्कि उसे बदलने का होना चाहिए.
स्वराज ने कहा, ‘व्यापक स्तर पर, अगर ब्रिक्स को ज्यादा मजबूत होकर उभरना है, तो हमें आने वाले वर्षों में साझे सरोकार के मुद्दों पर बेहतर समझ और सहमति विकसित करना होगी.’ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुपक्षवाद में सुधार के आह्वान का जिक्र करते हुए कहा कि संयुक्त सुरक्षा सुरक्षा परिषद में सुधार का सबसे अहम एजेंडा अभी तक अधूरा है. बता दें कि भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार और अपनी सदस्यता की मांग कर रहा है.
विदेश मंत्री ने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार पर चर्चा अनंत काल की कवायद नहीं हो सकती. सुरक्षा परिषद की वैधता और साख लगातार कम हो रहा है. ब्रिक्स में अतंरराष्ट्रीय शासन के अहम क्षेत्र में आपस में विभाजित होने की जगह हमें ज्यादा मजबूत आवाज में अपनी बात रखनी चाहिए.’
स्वराज ने आतंकवाद निरोध पर संयुक्त कार्रवाई के लिए ब्रिक्स देशों की रणनीति को रेखांकित करते हुए कहा, ‘आतंकवादी संगठनों के समर्थन के बुनियादी ढांचे को ध्वस्त करना पहला कदम होगा. लश्कर-ए-तैयबा, आईएसआईएस, अल-कायदा, जैश-ए-मोहम्मद, तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकवादी संगठन ऐसे संगठित गिरोह हैं, जो सरकारी समर्थन पर फलते-फूलते हैं.’
विदेश मंत्री ने ब्रिक्स देशों से आग्रह किया कि वे आतंवादियों और उनके संगठनों को सूचीबद्ध करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद निरोधी तंत्र को बेहतर बनाने के लिए हाथ मिलाएं. उन्होंने कहा, ‘सभी अधिकार-क्षेत्रों में एफएटीएफ (वित्तीय कार्रवाई कार्यबल) मानकों का क्रियान्वयन आतंकवाद से निबटने में अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को मजबूत करेगा.’
इस बैठक में ब्राजील के विदेश मंत्री अलॉयसियो नून्स फेरेरा फिल्हो, रूस के विदेश मंत्री सर्जेइ लावराव, चीन के विदेश मंत्री वांग यी और दक्षिण अफ्रीका की विदेशी संबंध एवं सहयोग मंत्री लिंडिवे सिसुलू शामिल हुए. स्वराज ने कहा कि पिछले दशक में ब्रिक्स ने अनेक प्रभावशाली कदम उठाए और उसे आगे ले जाने के लिए पांच देशों के इस मंच को और भी मजबूत बनाने की जरूरत है.