फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा (पूर्व नाम फेसबुक) से 11000 कर्मचारियों की छंटनी की गई है. कंपनी के इस कदम के बाद कई कर्मचारी अपनी पीड़ा सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं. भारत के रहने वाले एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को भी मेटा ने छंटनी के तहत ज्वाइन करने के दो दिन बाद निकाल दिया. कंपनी के इस फैसले की लोग आलोचना कर रहे हैं. वहीं, अब यह इंजीनियर नई नौकरी की तलाश में है.
आईआईटी खड़गपुर से पासआउट सॉफ्टवेयर इंजीनियर हिमांशु वी ने अपनी दुखभरी आपबीती लिंक्डइन पर शेयर की. वह मेटा ज्वाइन करने से पहले गिटहब, एडोब, फ्लिपकार्ट जैसी नामी कंपनियों में काम कर चुके हैं. हिमांशु ने अपने पोस्ट में लिखा कि उन्हें मेटा ज्वाइन करने के दो दिन बाद ही निकाल दिया गया. मेटा में ज्वाइनिंग के लिए वह भारत से कनाडा गए थे.
लिंक्डइन पोस्ट में उन्होंने लिखा, 'मैं मेटा ज्वाइन करने के लिए कनाडा गया था, लेकिन ज्वाइनिंग के दो दिन बाद ही मेरी जर्नी खत्म हो गई. बड़ी संख्या में जो छंटनी हुईं, उसका असर मुझ पर भी पड़ा. मेरा दिल हर उस शख्स के लिए दर्द महसूस कर रहा है जो इस हालात को झेल रहा है.'
मेटा के पूर्व कर्मचारी हिमांशु वी ने कहा अब उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि आगे क्या करना है? उन्होंने लिंक्डइन यूजर्स से निवेदन किया कि अगर कोई सॉफ्टवेयर इंजीनियर (कनाडा या भारत) की पोजीशन हो तो इस बारे में उन्हें सूचित करें.
हिमांशु के इस पोस्ट पर लोगों को विश्वास नहीं हुआ तो कई ऐसे थे जिन्होंने उनके साथ संवेदना व्यक्त की. कई यूजर्स ने उन्हें सॉफ्टवेयर जॉब से रिलेटेड लिंक्स भी शेयर किए.
एक यूजर ने कमेंट में लिखा, 'मुझे अंदाजा नहीं है आखिर ऐसा कैसे हुआ? क्या कंपनी को इस बारे में अंदाजा नहीं था कि जिस शख्स को नौकरी के लिए दूसरे महाद्वीप से लाया जा रहा है, उसे दो दिन बाद ही निकाल दिया जाएगा! यह बात श्योर है कि उन्होंने छंटनी करने वाले लोगों की लिस्ट पहले से ही तैयार की होगी.' एक दूसरे शख्स ने कमेंट में लिखा कि मैं आपका दर्द समझ सकता हूं, मैं खुद इसी सिचुएशन में हूं. पॉजिटिव रहने की जरूरत है, कोई न कोई तो हमारी मदद करेगा, ऑल द बेस्ट!.
रेवेन्यू में कमी आई, इसलिए लिया फैसला!
फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा ने बुधवार को 11,000 कर्मचारी निकालने का फैसला किया था. मेटा के चीफ एग्जीक्यूटिव मार्क जकरबर्ग ने अपने ब्लॉग पोस्ट में इस बात का ऐलान किया. जकरबर्ग का कहना था कि कंपनी के रेवेन्यू में कमी आई है, इस कारण फैसला किया गया है. जकरबर्ग ने छंटनी को बहुत ही कठिन फैसला करार दिया.