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भोजपुर से 1896 में गए थे मोहित रामगुलाम, फिर... बिहार से मॉरीशस तक रामगुलाम फैमिली की हिस्ट्री

मॉरीशस में करीब 70 फीसदी आबादी भारतीय मूल की है. भोजपुरी भी यहां बड़े पैमाने पर बोली जाती है. धर्म के नजरिए से देखें तो मॉरीशस की कुल आबादी में करीब 50 फीसदी हिंदू हैं.

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पीएम मोदी का मॉरीशस के पीएम नवीनचंद्र  ने किया स्वागत.
पीएम मोदी का मॉरीशस के पीएम नवीनचंद्र ने किया स्वागत.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय यात्रा पर मॉरीशस पहुंच गए हैं. मॉरीशस के पीएम नवीनचंद्र रामगुलाम ने एयरपोर्ट पर पीएम मोदी का भव्य स्वागत किया. पीएम नवीनचंद्र रामगुलाम का भारत से गहरा नाता है. उनके परिवार की जड़ें बिहार के भोजपुर जिले से जुड़ी हैं. साथ ही मॉरीशस की आजादी में भी उनके परिवार की सबसे बड़ी भूमिका थी. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर कौन हैं नवीनचंद्र रामगुलाम? उनका भारत से क्या रिश्ता है? उनका परिवार कैसे मॉरीशस पहुंचा और उनकी पारिवारिक जर्नी कैसी रही है?

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जानें रामगुलाम परिवार की हिस्ट्री

रामगुलाम परिवार की हिस्ट्री और जर्नी जानने से पहले हमें थोड़ा मॉरीशस का इतिहास समझना होगा. मॉरीशस अफ्रीका का एक छोटा देश है, जिसकी कुल आबादी करीब 12 लाख है. इस छोटे से द्वीप पर बड़ी शक्तियों के कब्जे का लंबा इतिहास रहा है. 1715 में मॉरीशस पर फ्रांस ने कब्जा किया था. लेकिन 1803 के बाद हुए युद्ध के बाद ब्रिटिश ने इसपर कब्जा कर लिया. ब्रिटिश कब्जे के बाद भारत से कई मजदूरों को मॉरीशस से जाया गया. 

1834 से लेकर 1924 तक अंग्रेज भारत से मजदूरों को मॉरीशस ले जाते रहे. इसी क्रम में 1896 में 'द हिंदुस्तान' नामक एक जहाज से बिहार के भोजपुर जिले के हरिगांव से 18 वर्षीय मोहित रामगुलाम नामक एक शख्स को भी मॉरीशस ले जाया गया.

यह भी पढ़ें: मॉरीशस में PM मोदी का भव्य स्वागत... पीएम नवीन रामगुलाम के साथ विपक्षी नेता, जज और 200 VVIP पहुंचे एयरपोर्ट 

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अब जानें रामगुलाम परिवार की जर्नी

मोहित रामगुलाम के भाई भी मॉरीशस गए थे. मोहित ने पहले एक मजदूर के रूप में काम किया लेकिन बाद में वो क्वीन विक्टोरिया सुगर इस्टेट में नौकरी करने लगे. इस दौरान उनकी मुलाकात बासमती से हुई जो विधवा थीं. मोहित ने 1898 में उनसे शादी कर ली. दो साल बाद उनके बेटे शिवसागर का जन्म हुआ. मोहित ने धीरे-धीरे मॉरीशस में भोजपुरी भाषा और हिंदू धर्म के रिवाजों को लेकर पहल शुरू की और हिंदुओं को जोड़ना शुरू किया.

मोहित के बेटे शिवसागर ने किया कमाल

मोहित की शादी के दो साल बाद साल 1900 में शिवसागर का जन्म हुआ. लेकिन जब शिवसागर 12 साल के थे तभी उनके पिता मोहित का निधन हो गया. लेकिन शिवसागर ने हिम्मत नहीं छोड़ी. उन्होंने अपनी मां को बिना बताए स्कूल में दाखिला ले लिया. बाद में अपने भाई की मदद से वह इंग्लैंड पढ़ने के लिए गए. इंग्लैंड में शिवसागर की मुलाकात भारत के कई दिग्गजों से हुई जो अंग्रजों से आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे. शिवसागर उनसे बहुत प्रभावित हुए. 

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1935 में फिर मॉरीशस लौटे शिवसागर

शिवसागर 1935 में इंग्लैंड से फिर मॉरीशस पहुंचे. उन्होंने मजदूरों के अधिकारों की लड़ाई और वोटिंग राइट के लिए मॉरीशस लेबर पार्टी के गठन में अहम भूमिका निभाई.

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आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका

 1940 से लेकर 1953 के बीच शिवसागर ने मॉरीशस की कई जगहों पर प्रदर्शन में हिस्सा लिया. पार्टी दफ्तर खोले. मजदूरों के अधिकारों के लिए उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत की खूब आलोचना की. धीरे-धीरे पूरे मॉरीशस में शिवसागर हीरो की तरह उभरने लगे.  आखिरकार 12 मार्च 1968 को मॉरीशस को आजादी मिल गई. 

शिवसागर बने पहले पीएम और कहलाए मॉरीशस के राष्ट्रपिता

शिवसागर ने मॉरीशस की आजादी में अहम भूमिका निभाई थी. लिहाजा उन्हें आजादी के बाद राष्ट्रपिता की उपाधि दी गई. वो पहले पीएम भी बने. उनके कार्यकाल में सरकार ने मुफ्त शिक्षा की पहल की. उन्हें मॉरीशस में अंकल कहकर बुलाते थे.

1982 तक शिवसागर की पार्टी का मॉरीशस में जलवा देखने को मिला. उनकी पार्टी 1982 के आम चुनावों में हार गई. एस भी सीट पर जीत नहीं मिली. शिवसागर भी अपनी सीट हार गए. 

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फिर बेटे ने संभाली सत्ता

शिवसागर के निधन के बाद उनके बेटे नवीनचंद्र रामगुलाम ने सियासत संभाली. नवीनचंद्र 1995-2000 और 2005 से लेकर 2014 तक देश के पीएम रहे. इसके बाद 2024 में वो तीसरी बार प्रधानमंत्री बने. आसान शब्दों में कहें तो रामगुलाम परिवार का मॉरीशस की सियासत में बड़ा प्रभाव है.

मॉरीशस की करीब 70 फीसदी आबादी भारतीय

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मॉरीशस में करीब 70 फीसदी आबादी भारतीय मूल की है. भोजपुरी भी यहां बड़े पैमाने पर बोली जाती है. धर्म के नजरिए से देखें तो मॉरीशस की कुल आबादी में करीब 50 फीसदी हिंदू हैं. इसके बाद करीब 32 फीसदी आबादी ईसाई धर्म को मानने वाली है, जबकि 15 फीसदी के करीब इस्लाम को मानने वाले हैं. 

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