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Exclusive: भारत का डर, मसूद अजहर ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का नाम बदला

आजतक-इंडिया टुडे को मिली एक्सलूसिव जानकारी के मुताबिक भारत द्वारा लगातार संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर के खिलाफ वैश्विक प्रतिबंध लगाने के लिए बनाए जा रहे दबाव की वजह से जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तान में अपना नाम बदलने को मजबूर हुआ है.

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जैश के नए नाम से प्रचार-प्रसार
जैश के नए नाम से प्रचार-प्रसार

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ऐसे वक्त में जब अमेरिका आतंकियों को सुरक्ष‍ित पनाह देने वाले पाकिस्तान की रक्षा सहायता में कटौती की तैयारी कर रहा है, बेहद गोपनीय तरीके से आतंकी मसूद अजहर ने अपने संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का नाम बदल दिया है. आजतक-इंडिया टुडे को मिली एक्सलूसिव जानकारी के मुताबिक भारत द्वारा लगातार संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर के खिलाफ वैश्विक प्रतिबंध लगाने के लिए बनाए जा रहे दबाव की वजह से जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तान में अपना नाम बदलने को मजबूर हुआ है.

अब इस नाम से फैलाएगा आतंक

खुफिया एजेंसियों को मिली जानकारी के मुताबिक इस संगठन ने अपनी संरचना में बदलाव किया है और अपनी नई पहचान बना ली है. इस आतंकी संगठन ने अपना नाम बदलकर अब 'अल मुरबितून' कर लिया है और वह अपनी गतिविधियों को इसी नाम से अंजाम दे रहा है. खुफिया एजेंसियों को मिली जानकारी के अनुसार जैश-ए-मोहम्मद नए अवतार में न केवल दूसरे आतंकी संगठनों की फंडिंग कर रहा है, बल्कि यह अपनी नई छवि की आंड़ में पूरे पाकिस्तान की यूनिवर्सिटी और कॉलेज कैम्पस में अपने पांव जमाने की कोशिश कर रहा है.

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आजतक-इंडिया टुडे को इस बात के दस्तावेजी साक्ष्य मिले हैं कि मसूद अजहर ने इस नए संगठन के जरिए इस्लामाबाद, कराची, लाहौर और रावलकोट के स्कूलों-कॉलेजों में भाषण और वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया है.

खुफिया एजेंसियों का मानना है कि मसूद अजहर ने काफी सोच-समझ कर JeM का नाम बदला है और इस तरह वह एक तीर से कई शिकार करना चाहता है. एक खुफिया सूत्र ने बताया, 'इस तरह से संगठन अपने ऊपर अमेरिका या भारत की तरफ से लगाए जा सकने वाले किसी तरह के प्रतिबंध से बचना चाहता है. इस तरह से उन्हें फंड मिलने में भी दिक्कत नहीं होगी और दूसरी पीढ़ी का नेतृत्व भी तैयार किया जा सकेगा.' हालांकि खुफिया एजेंसियों का मानना है कि इसकी एक बड़ी वजह यह है कि जैश पाकिस्तान और पीओके में अपनी भर्ती और विस्तार करना चाहता है, जो पिछले चोले में संभव नहीं था.

आजतक-इंडिया टुडे को जैश के नए अवतार अल मुरबितून के नाम से जारी कई पैम्फलेट मिले हैं, जिनमें युवाओं से वाद-विवाद में शामिल होने का आह्वान किया गया है. वैसे तो यह सामान्य बात लग रही थी, लेकिन संगठन की पोल तब खुल गई जब ऐसे तमाम वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में जैश के नेताओं को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया. जानकारों का कहना है कि ऐसे इस्लामी या राजनीतिक विषयों पर वाद-विवाद आयोजित कर युवाओं के ब्रेनवाश की कोशिश की जाती है और उन्हें संगठन से जुड़ने के लिए प्रेरित किया जाता है.

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मजे की बात है कि इस तरह की प्रतिस्पर्धाओं में फर्स्ट प्राइज जीतने वाले को सबसे बड़ी तलवार दी जाती है, जिस पर प्रायोजक के रूप में मसूद अजहर का नाम 'अमीर ऑफ मुजाहिदीन्स' के रूप में अंकित होता है.

खुलेआम घूम रहा मसूद अजहर

गौरतलब है कि पठानकोट हमले के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज ने दावा किया था कि मसूद अजहर को नजरबंद किया गया है, जबकि आजतक को जानकारी मिली है कि मसूद न सिर्फ अपने कार्यों को खुलेआम अंजाम दे रहा है, बल्कि पाकिस्तान के बड़े- बडे लीडरान की उसको सरपरस्ती हासिल है. वह पाकिस्तान और पीओके में खुलेआम भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल हो रहा है.

आजतक-इंडिया टुडे को मिली जानकारी के अनुसार हाल के दिनों की बात करें तो 19 नवंबर को लाहौर में आयोजित गजवा-ए-हिंद सम्मेलन में अजहर मसूद शामिल हुआ था. इसके बाद वह 2 दिसंबर को पीओके के हिलटॉप होटल में रावलकोट के एक कार्यक्रम में शामिल हुआ था. संयोग से पुलवामा में हाल में मारा गया जैश आतंकी अब्दुल शकूर भी रावलकोट का ही था.

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