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फिजी के विपक्ष ने मोदी के भाषण का किया बहिष्कार, बैनीमरामा ने मांगी माफी

नरेंद्र मोदी ने जब ऑस्ट्रेलिया की संसद को संबोधित किया तो सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्ष ने भी भारतीय प्रधानमंत्री की प्रशंसा की. बुधवार को अपने एक दिवसीय दौरे पर पीएम मोदी ने फिजी की संसद को भी संबोधि‍त किया , लेकिन यहां सबकुछ ऑस्ट्रेलिया जैसा नहीं था क्योंकि फिजी की विपक्षी पार्टी ने मोदी के लिए आयोजित संसद के विशेष सत्र का बहिष्कार किया.

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फिजी के प्रधानमंत्री के साथ पीएम मोदी
फिजी के प्रधानमंत्री के साथ पीएम मोदी

नरेंद्र मोदी ने जब ऑस्ट्रेलिया की संसद को संबोधित किया तो सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्ष भी भारतीय प्रधानमंत्री की प्रशंसा की. बुधवार को अपने एक दिवसीय दौरे पर पीएम मोदी ने फिजी की संसद को भी संबोधि‍त किया , लेकिन यहां सबकुछ ऑस्ट्रेलिया जैसा नहीं था क्योंकि फिजी की विपक्षी पार्टी ने मोदी के लिए आयोजित संसद के विशेष सत्र का बहिष्कार किया.

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हालांकि विपक्ष का यह बहिष्कार इसलिए था कि फिजी सरकार ने विपक्ष को धन्यवाद प्रस्ताव लाने के लिए दी गई मंजूरी वापस ले ली, लेकिन इस कारण फिजी के प्रधानमंत्री वोरेक बैनीमरामा को माफी मांगनी पड़ी. बैनीमरामा ने बहिष्कार को लेकर माफी मांगी और इसे अक्षम्य आचरण करार दिया. फिजी के प्रधानमंत्री ने नरेंद्र मोदी के संबोधन से पहले ही इस ओर माफी मांगते हुए इसे दुर्भाग्य बताया.

बैनिमरामा ने कहा, 'दुर्भाग्य से विपक्ष ने इस सत्र का बहिष्कार करने को ठाना है क्योंकि उन्हें गलतफहमी हो गई है कि उन्हें इन बैठकों से अलग-थलग करने का प्रयास किया जा रहा है. यह सच्चाई से कोसों दूर है. प्रधानमंत्री मोदी, मैं आपसे फिजी की जनता की ओर से इस अक्षम्य व्यवहार के लिए माफी मांगता हूं और इसका दोनों देशों के बीच संबंध से कोई लेना देना नहीं है. यह केवल यह दर्शाता है कि हममें से कुछ को लोकतंत्र, शासनकला और राष्ट्रीय धर्म के बारे में कुछ सबक लेने की जरूरत है.'

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गौरतलब है कि मोदी 1981 के बाद फिजी की यात्रा करने वाले पहले प्रधानमंत्री है. वर्ष 1981 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने फिजी की यात्रा की थी. फिजी में विपक्ष सोडेपला के नेता आर टी केपा ने कहा कि सरकार ने विपक्ष को संसद में धन्यवाद प्रस्ताव लाने देने का कदम वापस ले लिया. उसके बदले में सोडेपला के पंद्रह सदस्यों ने कहा कि वे उस सत्र में नहीं जायेंगे, जिसमें मोदी भाषण देंगे. केपा ने कहा, 'सरकार का फैसला संसदीय श्रेष्ठ परिपाटी की उपेक्षा है. इस परिपाटी के तहत प्रधानमंत्री स्वागत भाषण देते हैं और विपक्ष धन्यवाद प्रस्ताव लाता है.'

-इनपुट भाषा से

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