पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट को पहली महिजा जज मिल गई हैं. आयशा मलिक पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनी हैं. सोमवार को उन्होंने शपथ ली. उनका शपथ ग्रहण समारोह सोमवार को शीर्ष अदालत में आयोजित किया गया था और पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद ने उन्हें शपथ दिलाई.
आयशा मलिक लाहौर हाई कोर्ट की जज थीं, जिन्हें अब सुप्रीम कोर्ट में काम करने का मौका मिला है. ये पाकिस्तान के न्यायिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण माना जा रहा है.
कानून मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी एक अधिसूचना के अनुसार, आयशा मलिक की पदोन्नति को राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने मंजूरी दे दी गई थी.
नोटिफिकेशन में कहा गया था कि पाकिस्तान के इस्लामी गणराज्य के संविधान के आर्टिकल- 177 के क्लॉज (1) के तहत राष्ट्रपति को लाहौर उच्च न्यायालय की न्यायाधीश श्रीमती आयशा ए. मलिक को पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करते हुए प्रसन्नता हो रही है.
खारिज किया गया सीनियरिटी प्रिंसिपल
इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान के न्यायिक आयोग (जेसीपी) द्वारा नामांकन भेजा गया था. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सीनेटर फारूक एच नाइक की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने उनके नामांकन को मंजूरी देते हुए सीनियरिटी प्रिंसिपल को खारिज कर दिया. न्यायमूर्ति आयशा मलिक लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सीनियरिटी सूची में चौथे स्थान पर थीं.
पिछले साल खारिज हुआ था नाम
नाइक ने कहा, "हमने राष्ट्रहित में न्यायमूर्ति आयशा के नाम को मंजूरी दे दी है." आम तौर पर, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की पदोन्नति को मंजूरी देते समय वरिष्ठता को ध्यान में रखा जाता है. यही कारण था कि पिछले साल जेसीपी ने उनका नाम खारिज कर दिया था. यहां तक कि 6 जनवरी को हुई जेसीपी की नवीनतम बैठक ने भी मलिक के नामांकन को मंजूरी देने से पहले इस मुद्दे का जोरदार विरोध किया, जिसमें मलिक का समर्थन करने वाले पांच सदस्यों का मामूली अंतर था, जबकि चार ने उनके नामांकन का विरोध किया था.
मलिक ने पेरिस, न्यूयॉर्क और कराची से की है पढ़ाई
आयशा मलिक को मार्च 2012 में लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. वह अब जून 2031 में अपनी सेवानिवृत्ति तक सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में काम करेंगी. वह जनवरी 2030 में भी मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में होंगी.
बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय में सेवा की वरिष्ठता के आधार पर की जाती है. लाहौर उच्च न्यायालय की वेबसाइट के अनुसार, 1966 में जन्मी मलिक ने अपनी बुनियादी शिक्षा पेरिस, न्यूयॉर्क और कराची के स्कूलों से पूरी की. लाहौर हाई कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, उन्होंने पाकिस्तान कॉलेज ऑफ लॉ, लाहौर से कानून की पढ़ाई की और हार्वर्ड लॉ स्कूल से एलएलएम किया. उन्होंने जून 2021 में अपना ऐतिहासिक फैसला दिया जब उन्होंने यौन उत्पीड़न पीड़ितों की जांच के लिए वर्जिनिटी टेस्ट को "अवैध और पाकिस्तान के संविधान के खिलाफ" घोषित किया था.