भारत के पड़ोसी देश नेपाल इन दिनों राजनीतिक संकट से गुजर रहा है. आज नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड संसद में शुक्रवार को विश्वास प्रस्ताव का सामना करेंगे. शक्ति परीक्षण में प्रचंड के फेल होने की संभावनाएं हैं, क्योंकि नेपाली कांग्रेस (नेका) के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और सीपीएन-यूएमएल प्रमुख के पी शर्मा ओली ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर उनके (प्रचंड) खिलाफ मतदान करने को कहा है. साथ ही देउबा और ओली ने नई सरकार के गठन पर मंथन शुरू कर दिया है.
प्रचंड को अपनी सरकार बचाने के लिए सदन में विश्वास मत जीतने के लिए 138 सीटों की जरूर होगी, जबकि सिर्फ 63 मत ही मिलने की संभावनाएं हैं. ऐसे में फ्लोर टेस्ट में प्रचंड सरकार का गिरना लगभग तय माना जा रहा है.
किसके पास कितना संख्याबल
नेपाल के निचले सदन की सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के साथ सत्ता का साझा समझौता करने के बाद केपी शर्मा ओली की पार्टी ने मौजूदा सत्तारूढ़ गठबंधन से खुद को बाहर कर लिया है. इस स्थिति में प्रचंड की कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी सेंटर) के पास महज 32 सीटें हैं, जबकि सीपीएन-यूएमएल के पास 78 सीटें हैं और नेपाली कांग्रेस के पास 89 सीटें हैं. नेका और सीपीएन-यूएमएल गठबंधन के पास अब 167 सीटों की ताकत है.
सत्ता में लौटेगी देउबा और ओली की जोड़ी!
275 सदस्यीय प्रतिनिधि वाले नेपाल के निचले सदन में सरकार का गठन के लिए 138 सदस्यों की जरूरत होती है, जबकि नेका और सीपीएन-यूएमएल गठबंधन के पास 167 सदस्यों की ताकत है जो कि निचले सदन में बहुमत के आंकड़े से कहीं ज्यादा है. जिससे उम्मीदें लगाई जा रही हैं कि देउबा और ओली की सत्ता में वापसी हो सकती है. नेका और सीपीएन-यूएमएल के बीच हुए समझौते के मुताबिक ओली और देऊबा बारी-बारी से तीन साल तक पीएम पद संभालेंगे.
नेका और सीपीएन-यूएमएल ने जारी किया व्हिप
वहीं, गुरुवार को नेपाली कांग्रेस ने अपने सांसदों को सदन में मौजूद और पीएम प्रचंड के खिलाफ मतदान के लिए व्हिप जारी किया है. सीपीएन-यूएमएल ने भी इसी तरह का व्हिप जारी किया था.