विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चीन ने बॉर्डर एग्रीमेंट का उल्लंघन किया है. उन्होंने कहा कि तनाव जारी रहने से इस रिश्ते पर स्वाभाविक रूप से असर पड़ेगा. कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस थिंक-टैंक में एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ हमारे अपने संबंधों को लेकर मुझे लगता है कि यह एक लंबी कहानी है, लेकिन संक्षेप में कहें तो सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए हमारे बीच समझौते हुए थे, लेकिन चीन ने उन समझौतों का उल्लंघन किया.
जयशंकर न कहा कि जब तक अग्रिम मोर्चे पर तैनातियों पर ध्यान नहीं दिया जाता, तब तक तनाव जारी रहेगा. अगर तनाव जारी रहता है, तो इससे बाकी रिश्तों पर स्वाभाविक रूप से असर पड़ेगा. इसलिए पिछले 4 साल से हमारे रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं. बता दें कि जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई थी.
भारत ये कहता रहा है कि जब तक सीमा क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते. दोनों पक्षों ने गतिरोध को हल करने के लिए अब तक कोर कमांडर लेवल की 21 दौर की मीटिंग्स की हैं. भारत पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पर देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों से हटने का दबाव बना रहा है. दोनों पक्षों ने फरवरी में उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता का अंतिम दौर आयोजित किया था.
जयशंकर ने कहा कि जब व्यापार की बात आती है, तो वैश्विक स्तर पर चीन वैश्विक विनिर्माण का लगभग 31-32 प्रतिशत हिस्सा है. कई दशकों से अंतरराष्ट्रीय व्यापार जो मुख्य रूप से पश्चिमी नेतृत्व वाला है, उसने आपसी लाभ के लिए चीन के साथ सहयोग करना चुना है.
जयशंकर ने कहा कि भारत ने कभी भी डॉलर को सक्रिय रूप से टारगेट नहीं किया है और यह उसकी आर्थिक, राजनीतिक या रणनीतिक नीति का हिस्सा नहीं है. उन्होंने कहा कि अमेरिका की कुछ नीतियों के कारण भारत के लिए अपने कुछ व्यापारिक साझेदारों के साथ डॉलर-व्यापार करना मुश्किल हो गया है. जयशंकर ने कार्यक्रम के दौरान डी-डॉलराइजेशन पर पूछे गए सवाल का जवाब दिया.