भारत और चीन के बीच जारी तनातनी के बीच दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने फोन पर बात की है ताकि राजनयिक और राजनीतिक माध्यम से तनाव को कम किया जा सके.
बातचीत के टेबल पर दोनों देश साथ आएं, यह विचार आगे रखते हुए विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने बीजिंग को दृढ़ता के साथ बताया कि नई दिल्ली ने चीन के इरादों को देखा है. विदेश मंत्रालय की एक प्रेस विज्ञप्ति में डॉ. जयशंकर और वांग यी के बीच हुई बातचीत का विवरण दिया गया है, जिसमें डॉ. जयशंकर ने यी को बताया कि गलवान की घटना “पूर्व नियोजित थी" जिसमें 20 भारतीय सैनिकों की शहादत हुई.
विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक, “चीनी पक्ष ने एलएसी के हमारी तरफ गलवान घाटी में एक ढांचा खड़ा करना चाहा. विवाद का यही आधार बना और चीनी पक्ष ने पूर्व नियोजित कार्रवाई की जिसके कारण हिंसा भड़की और कई लोग हताहत हुए. भारतीय विदेश मंत्री के बयान के अनुसार, इस घटना में सभी समझौतों के तथ्यों को बदलने की मंशा साफ दिखाई देती है.
विदेश मंत्रालय के अनुसार, मंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि इस "अभूतपूर्व" घटना का द्विपक्षीय संबंधों पर "गंभीर" प्रभाव पड़ेगा. जबकि जरूरत इस बात की है कि चीन इस घटना के बाद "सुधारात्मक" कदम उठाते हुए और उचित कार्रवाई करे.
बयान में कहा गया है कि “दोनों पक्षों को 6 जून को वरिष्ठ कमांडरों की ओर से रखे गए सुझावों को ईमानदारी से लागू करना चाहिए. दोनों पक्षों के सैनिकों को भी द्विपक्षीय समझौते और प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए. उन्हें इसका कड़ाई से सम्मान करना चाहिए और वास्तविक नियंत्रण रेखा का निरीक्षण करना चाहिए. साथ ही इसे बदलने के लिए एकतरफा कार्रवाई नहीं करनी चाहिए.