नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई ने शनिवार को घोषणा की कि उन्होंने यूनीफाइड कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूपीसीएन-माओवादी) से नाता तोड़ लिया है. द हिमालयन टाइम्स की रपट के अनुसार, भट्टराई ने काठमांडू में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है.
भट्टराई ने यह भी कहा कि उन्होंने संसद सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है और संसद अध्यक्ष सुभाष चंद्र नेमबांग को इस्तीफा सौंप दिया है. पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि वह स्वतंत्र रूप से राजनीति में बने रहेंगे.
संसद और पार्टी से इस्तीफे की घोषणा करने के बावजूद भट्टराई ने कहा कि देश के सामने खड़ी मौजूदा राजनीतिक समस्याओं को सुलझाने में वह अपना समर्थन दे सकते हैं. भट्टराई ने घोषणा की कि वह प्रगतिशील राट्रवाद की वकालत करेंगे और फर्जी राष्ट्रवाद के खिलाफ लड़ेंगे.
देश के नए संविधान पर उनके विचार पार्टी में अन्य लोगों से अलग रहे हैं. उन्होंने खुलेआम मधेस आधारित पार्टियों और उनके विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया , जबकि पार्टी अध्यक्ष ने मधेसी पार्टियों से वार्ता में शामिल होने और सत्ताधारी नेपाली कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनीफाइड मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट (सीपीएन-यूएमएल) के साथ हाथ मिलाने का आग्रह किया था.
उन्होंने कहा कि भारत ने नेपाल पर एक अघोषित नाकेबंदी लागू कर रखी है. उन्होंने सरकार से कहा कि इस मुद्दे को यथाशीघ्र जल्द से जल्द सुलझाने के लिए कूटनीतिक पहल की जाए. भट्टराई ने कहा, 'इसके पहले तराई-मधेस में विरोध प्रदर्शनों को सुलझाया जाए.'
भट्टराई पहली संविधान सभा के दौरान अगस्त 2011 से मार्च 2013 तक प्रधानमंत्री थे.
इनपुट...IANS.