पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ का रविवार को निधन हो गया. स्थानीय मीडिया ने यह जानकारी दी. उनका इलाज संयुक्त अरब अमीरात के अमेरिकी अस्पताल में चल रहा था. पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक अमाइलॉइडोसिस बीमारी से जूझ रहे थे.
अंतिम दिनों में कुछ ऐसा था हाल
परवेज मुशर्रफ का जो आखिरी वीडियो सामने आया उसमें देखा गया कि वह चलने में असमर्थ थे. वे पूरी तरह व्हील चेयर के भरोसे थे और खाना भी नहीं खा पा रहे थे.
लंबे वक्त से थे बीमार
एमाइलॉयडोसिस की शिकायत के बाद मुशर्रफ को पिछले साल 10 जून को संयुक्त अरब अमीरात के अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जो धीरे-धीरे मल्टी ऑर्गन फेल्योर में बदल गया. उन्हें पिछले साल जून में वेंटिलेटर पर रखा गया था. लंबे समय की बीमारी के बाद आज उनका निधन हो गया.
दिल्ली में जन्मे परवेज मुशर्रफ
11 अगस्त 1943 को परवेज मुशर्रफ का जन्म दरियागंज नई दिल्ली में हुआ था. 1947 में उनके परिवार ने पाकिस्तान जाने का फैसला किया. विभाजन के महज कुछ दिन पहले ही उनका पूरा परिवार पाकिस्तान पहुंचा था. उनके पिता सईद ने नए पाकिस्तान सरकार के लिए काम करना शुरू किया और विदेश मंत्रालय के साथ जुड़े.
तुर्की में भी बीता जीवन
इसके बाद उनके पिता का तबादला पाकिस्तान से तुर्की हुआ, 1949 में ये तुर्की चले गए. कुछ समय यह अपने परिवार के साथ तुर्की में रहे, वहीं उन्होंने तुर्की भाषा बोलनी भी सीखी. मुशर्रफ अपने युवा काल में खिलाड़ी भी रहे हैं. 1957 में इनका पूरा परिवार फिर पाकिस्तान लौट आया. इनकी स्कूली शिक्षा कराची के सेंट पैट्रिक स्कूल में हुई और कॉलेज की पढ़ाई लहौर के फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज में हुई.
मुशर्रफ को मिली थी फांसी की सजा
आपको बता दें कि परवेज मुशर्रफ वह शख्स हैं जिन्हें कि पाकिस्तान में फांसी की सजा सुनाई गई थी. पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार पेशावर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस वकार अहमद सेठ की अध्यक्षता में विशेष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने ऐसी सजा सुनाई गई थी.
पाकिस्तान में 3 नवंबर, 2007 को इमरजेंसी लगाने और और दिसंबर 2007 के मध्य तक संविधान को निलंबित करने के जुर्म में परवेज मुशर्रफ पर दिसंबर 2013 में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था. मुशर्रफ को 31 मार्च, 2014 को दोषी ठहराया गया था. 79 वर्षीय मुशर्रफ ने 1999 से 2008 तक पाकिस्तान पर शासन किया था. मुशर्रफ मार्च 2016 से दुबई में रह रहे थे.