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कम खाद्य कीमतें, बहुत नौकरशाही... फ्रांस में ट्रैक्टर के साथ सड़क पर क्यों आए किसान?

फ्रांस में किसानों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. खाद्य कीमतों और अत्यधिक वीआईपी कल्च से किसान नाराज हैं और चाहते हैं कि सरकार खाने-पीने की कीमतें ठीक करे ताकि किसानों को नुकसान ना उठाना पड़े. नाराजगी पर फ्रांस के प्रधानमंत्री भी किसानों को संबोधित करने वाले हैं.

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फ्रांस में किसानों का प्रदर्शन (रॉयटर्स)
फ्रांस में किसानों का प्रदर्शन (रॉयटर्स)

फ्रांस के राष्ट्रपति इमौनुएल मैक्रौं इन दिनों भारत में हैं और उनके देश के किसानों ने उधर मोर्चा खोल दिया है. किसानों ने ट्रैक्टर के साथ पेरिस कूच कर दिया. शहर के आसपास की सड़कों को जाम कर दिया. उत्तरी शहर लिले और बेल्जियम को जोड़ने वाले प्रमुख सड़क को भी किसानों ने घेर लिया. किसान कम खाद्य कीमतों और अत्यधिक नौकरशाही का विरोध रहे हैं, जिससे लंबा ट्रैफिक जाम लग गया.

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किसान यूनियन ने किसानों से पेरिस और उसके आसपास की सड़कों को ब्लॉक करने की अपील की है. आरोप है कि इमैनुएल मैक्रों की सरकार उनकी मदद के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है जिससे खाद्य कीमतें कम हुई हैं और इससे किसान परिवारों को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. विरोध-प्रदर्शन में आए एक किसान ने कहा, "हम अपने गुस्से, अपनी शिकायतों को उजागर करने के लिए सीधे पेरिस जाएंगे."

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फ्रांस के प्रधानमंत्री किसानों को करेंगे संबोधित

किसानों की एफएनएसईए यूनियन की पेरिस इकाई ने ए6, ए10 और ए13 नेशनल हाईवे सहित पेरिस के आसपास कम से कम 11 सड़कों को ब्लॉक करने की योजना बनाई है. किसानों के विरोध को देखते हुए फ्रांस के प्रधानमंत्री गेब्रियल अटल ने उन्हें संबोधित करने की बात कही. मसलन, पेरिस से 800 किलोमीटर दूर स्पेनिश सीमा के पास स्थित गांव में अपना संबोधन देंगे और किसानों से बातचीत करेंगे.

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मैक्रों शासन से क्यों नाराज हैं किसान?

तनाव को कम करने के नजरिए से फ्रांस के वित्त और कृषि मंत्रियों ने खाद्य उपज की कीमतों पर किसानों से चर्चा की. किसानों का कहना है कि वे कम उपभोक्ता कीमतों से परेशान हैं और सरकार से कीमतें बढ़ाने की मांग की है. किसानों का आरोप है कि महंगाई को कम करने के लिए सरकार ने खाद्य कंपनियों पर कीमतें कम करने का दबाव बनाया था. कीमतें कम करने की वजह से किसानों की आय प्रभावित हुए, जिससे किसानों का गुस्सा भड़क उठा.

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ईंधन पर सरकारी टैक्स, अनाज के आयात से परेशान हैं किसान

यूरोपीय संघ के सबसे बड़े कृषि उत्पादक फ्रांस में कई किसानों का कहना है कि उन्हें खुदरा विक्रेताओं से अपनी कीमतें कम करने के लिए बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है और इससे उनकी आजीविका को खतरा है. फार्म यूनियनों ने ट्रैक्टर ईंधन पर सरकारी टैक्स, विदेशी अनाज के सस्ते आयात, पानी तक पहुंच, अत्यधिक वीआईपी कल्चर और पर्यावरण नियमों का भी हवाला दिया है. फ्रांस में ग्रामीण क्षेत्रों में दो सप्ताह तक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. जर्मनी और पोलैंड और अन्य यूरोपीय देशों के किसान सरकारी नीतियों से परेशान हैं और बीते कुछ दिनों में विरोध-प्रदर्शन भी किया है.

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