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बाइडेन से मैक्रों की सऊदी अरब और यूएई के बारे में कानाफूसी हुई लीक

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को बताया कि उन्होंने यूएई के राष्ट्रपति से फोन पर बात की है और वो तेल उत्पादन बढ़ाने के मूड में नहीं हैं. उन्होंने बाइडेन को बताया कि सऊदी और यूएई दोनों ही देश फिलहाल तेल के उत्पादन पर राजी नहीं है. सऊदी छह महीने बाद तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी कर सकता है.

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों जी-7 सम्मेलन के दौरान (Photo- Reuters)
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों जी-7 सम्मेलन के दौरान (Photo- Reuters)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • तेल उत्पादन नहीं बढ़ाएंगे सऊदी और यूएई
  • अमेरिका के कहने का नहीं कोई असर
  • मैक्रों ने यूएई के राष्ट्रपति से की बात, दी बाइडेन को जानकारी

सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने अमेरिका के बार-बार के अनुरोध के बावजूद तेल का उत्पादन बढ़ाने से इनकार कर दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को ये बात फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने जी-7 सम्मेलन के दौरान अपनी मुलाकात में भी बताई. मैक्रों ने जो बाइडेन को बताया कि यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल-नाहयान से उन्होंने बात की है और राष्ट्रपति ने ही उन्हें ये जानकारी दी. 

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पेट्रोलियम निर्यातक देशों, ओपेक देशों में सऊदी अरब और यूएई के पास ही वो तेल उत्पादन क्षमता है जिससे तेल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाई जा सकती है.

सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे एक वीडियों में मैक्रों बाइडेन से अपनी एक बातचीत के दौरान कह रहे हैं, 'मैंने मोहम्मद बिन जायद से फोन पर बात की है. उन्होंने मुझे दो बातें बताईं. पहला ये कि मैं यूएई जितना तेल उत्पादन कर सकता था, उतना कर रहा है, जैसा कि ये उनका दावा है.'

मैक्रों आगे कहते दिख रहे हैं, 'दूसरी बात जो उन्होंने कही वो ये कि सऊदी अरब 150 हजार बैरल प्रति दिन तक बढ़ सकता है. वो इससे थोड़ा और अधिक उत्पादन भी बढ़ा सकता है लेकिन इसके लिए उसे छह महीने का वक्त लगेगा. आखिरी बात कि अब रूस के तेल को लेकर हमें क्या करना है?' 

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समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूएई के शीर्ष ऊर्जा अधिकारी ने देश की सरकारी समाचार एजेंसी से मैक्रों के बयान की पुष्टि की है. ऊर्जा मंत्री सुहैल बिन मोहम्मद अल मजरूई ने कहा, 'हाल की मीडिया रिपोर्टों के संदर्भ में, मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि ओपेक में यूएई की जितनी उत्पादन क्षमता है, वो उसका अधिकतम उत्पादन कर रहा है.'

तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का कारण

कोरोनावायरस महामारी के दौरान मांग में हुई भारी कमी को देखते हुए ओपेक देशों ने उत्पादन कम कर दिया था. जब स्थिति सामान्य हुई तो कोरोना के दौरान हुए नुकसान की भरपाई के लिए तेल उत्पादन को ज्यादा बढ़ाया नहीं गया और उसकी कीमतों को बढ़ने दिया गया.

इसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध ने तेल की कीमतों में और अधिक आग लगाने का काम किया. तेल का एक प्रमुख निर्यातक रूस यूक्रेन पर हमले को लेकर प्रतिबंधों का सामना कर रहा है. रूसी तेल पर प्रतिबंध के कारण वैश्विक बाजार में आपूर्ति पर असर पड़ा है और कीमतें बढ़ी हैं.

सऊदी अरब फिलहाल एक करोड़ पांच लाख बैरल प्रतिदिन तेल का उत्पादन कर रहा है. ओपेक में इसकी उत्पादन क्षमता एक करोड़ 20 लाख बैरल प्रतिदिन है. इसका मतलब है कि सऊदी अपने उत्पादन को 15 लाख बैरल प्रतिदिन तक बढ़ा सकता है.

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वहीं, यूएई लगभग 30 लाख बैरल प्रतिदिन तेल का उत्पादन कर रहा है. इसकी क्षमता 34 लाख बैरल है. यूएई अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाने पर काम कर रहा है.

प्रतिबंधों से पहले रूस यूरोप को 20 लाख बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल और 20 लाख बैरल रिफाइंड पेट्रोलियम मुहैया कराता था लेकिन युद्ध के बाद से लगे प्रतिबंधों के कारण यूरोप के बाजार में रूसी पेट्रोलियम उत्पाद नहीं आ पा रहे. इसी कमी को पूरा करने के लिए यूरोपीय देश और अमेरिका खाड़ी देशों से उत्पादन बढ़ाने की उम्मीद कर रहे हैं. 

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