भारत और फ्रांस ने कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली साथ मिलकर विकसित करने के लिए संभवत: करीब 30,000 करोड़ रूपए के रक्षा सौदे पर गुरुवार को वार्ता पूरी की जबकि फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रैंकोइस होलांदे ने भारत के लिए राफेल लड़ाकू जेट की बिक्री पर फिर जोर दिया.
भारत और फ्रांस ने यहां जारी एक संयुक्त बयान में कहा,‘दोनों पक्षों ने मध्यम बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान (एम-एमआरसीए) कार्यक्रम पर वार्ता की प्रगति पर गौर किया और वे उसके समापन पर आशान्वित हैं. सतह से हवा में मार करने वाली कम दूरी की मिसाइल (एसआर-एसएएम) परियोजना को अंतिम रूप देने के लिए कदम उठाये जा रहे हैं.’
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, ‘एम-एमआरसीए अनुबंध पर चर्चा आगे बढ़ रही है. हमने एसआर-एसएएम पर भी वार्ता पूरी की है. सरकार से इस पर मुहर लगाने के बाद इसे भारत में साथ मिलकर तैयार किया जाएगा.’ एम-एमआरसीए अनुबंध के तहत भारत ने सौदे के लिए फ्रांसीसी राफेल लड़ाकू विमान को चुना है और यह सौदा 50,000 करोड़ का होने की आशा है. दोनों पक्ष वाणिज्यिक मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं.
रक्षा सहयोग की प्रगति पर संतोष जताते हुए सिंह ने कहा कि एमएमआरसीए अनुबंध पर विचार विमर्श सही दिशा में बढ़ रहा है. हमने सतह से हवा में मार करने वाली कम दूरी की मिसाइल पर वार्ता भी पूरी की. सरकार से मंजूरी पा चुकी यह मिसाइल भारत में फ्रांस के सहयोग से विकसित और निर्मित होनी है. सिंह ने कहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध नये स्तर पर पहुंचने की तैयारी में हैं.
तीस हजार करोड़ रूपये की एसआर-एसएएम परियोजना भारत और फ्रांस का सह विकसित संयुक्त उपक्रम है और इसे भारत के डीआरडीओ तथा फ्रांस के एमबीडीए द्वारा विकसित किया जाएगा. सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली को भारतीय वायुसेना और नौसेना द्वारा तैनात किया जाएगा.
होलांदे के साथ फ्रांस के बड़े व्यापारियों का समूह भी आया है जिसमें ‘डासाल्ट’ कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इरिक ट्रेपियर शामिल हैं जिनकी कंपनी भारत को 126 राफेल लड़ाकू विमान बेचने का समझौता करने की आशा कर रही है. इस समझौते पर फिलहाल चर्चा जारी है.
उधर, होलांदे ने कहा कि वह भारत और फ्रांस की रणनीतिक साझेदारी को ‘और नये स्तर’ पर ले जाने के लिए आए हैं. उन्होंने कहा कि रक्षा सहयोग फ्रेंच तकनीक को लेकर भारत के भरोसे और भारत द्वारा तकनीक के उपयोग को लेकर फ्रांस के विश्वास को दर्शाता है. दोनों पक्षों ने रेलवे क्षेत्र के एक समझौते सहित कुल चार समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए.
एक संयुक्त बयान में कहा गया कि सुरक्षा और आतंकवाद निरोधक क्षेत्रों में भारत और फ्रांस एक दूसरे का सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने माना कि आतंकवाद अफगानिस्तान की सुरक्षा और स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा है और इससे असरदार तरीके से निबटने के लिए क्षेत्र के देशों द्वारा संयुक्त प्रयासों और मदद की जरूरत है जिसमें आतंकवाद के सुरक्षित पनाहों का खात्मा सहित अन्य कदम शामिल हैं.
बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि पाकिस्तान को मुंबई आतंकी हमले के साजिशकर्ताओं को शीघ्रता से न्याय के कटघरे में खड़ा करने की प्रतिबद्धता का पालन करना चाहिए. दोनों नेताओं ने माली में आतंकवाद को पछाड़ने के उददेश्य वाले प्रयासों को अपना समर्थन दोहराया. भारत और फ्रांस के बीच हस्ताक्षरित चार दस्तावेजों में लंबी अवधि का अंतरिक्ष सहयोग और सांस्कृतिक आदान प्रदान शामिल है.