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G-20: रूस और चीन के कारण मन मसोस कर रह गया भारत!

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जी-20 की बैठक के बाद कहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर देशों के बीच मतभेद थे जिस कारण कोई साझा बयान जारी नहीं हो सका. उन्होंने कहा कि ये मतभेद ऐसे मतभेद थे जिन्हें हम सुलझा नहीं सकते थे. उन्होंने बताया कि बैठक में 90 प्रतिशत मुद्दों पर देशों के बीच आम सहमति थी.

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विदेश मंत्री ने जी-20 की मीटिंग के बाद मीडिया से बात की है (Photo- Reuters)
विदेश मंत्री ने जी-20 की मीटिंग के बाद मीडिया से बात की है (Photo- Reuters)

गुरुवार को हुई जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में मेजबान भारत एक बार फिर संयुक्त बयान जारी करा पाने में विफल रहा है. भारत ने बैठक से पहले पूरी कोशिश की कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर सभी देशों के मतभेदों को किनारे कर जी-20 की बैठक के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया जा सके लेकिन सारी मेहनत पर पानी फिर गया.

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद कहा कि जी-20 की बैठकों में 'मतभेद' थे और सदस्य देश यूक्रेन युद्ध की स्थिति में सामंजस्य नहीं बना सके. सूत्रों का कहना है कि पिछली बार की तरह इस बार भी रूस और चीन ने साझा बयान में यूक्रेन मसले को लेकर इस्तेमाल की जा रही शब्दावली पर सवाल उठाए जिस कारण बयान जारी नहीं हो सका.

जयशंकर ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'देशों के बीच मुद्दे थे और बहुत स्पष्ट रूप से वे यूक्रेन संघर्ष से संबंधित थे. देशों के बीच मतभेद थे. ये ऐसे मतभेद थे जिन्हें हम सुलझा नहीं सकते थे.'

पिछले हफ्ते भी बेंगलुरु में आयोजित जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक में साझा बयान जारी नहीं हो पाया था. रूस और चीन ने बयान के उस हिस्से पर आपत्ति जताई थी जिसमें यूक्रेन में युद्ध के लिए रूस की कड़े शब्दों में निंदा की गई थी.

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इसके बाद भारत को चेयर्स समरी जारी कर बताना पड़ा था कि बैठक में यूक्रेन मुद्दे और रूस पर प्रतिबंधों को लेकर देशों के अलग-अलग आकलन थे. इस बार भी भारत ने एक आउटकम डॉक्यूमेंट जारी किया है.

यूक्रेन के अलावा बाकी मुद्दों पर आम सहमति

हालांकि, नई दिल्ली में विदेश मंत्रियों की बैठक में कई मुद्दों पर सभी देशों के बीच आम सहमति बनी है. विदेश मंत्री ने कहा, 'बड़ी संख्या में ऐसे मुद्दे हैं जिन पर सहमति बनी है. जैसे बहुपक्षवाद को मजबूत करना, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देना, जलवायु परिवर्तन, लैंगिक मुद्दे, आतंकवाद का मुकाबला करना ... विकासशील देशों के बहुत से मुद्दों पर आम सहमति बनी है.'

उन्होंने आगे कहा, 'अगर हम सभी मुद्दों पर सहमत होते तो एक सामूहिक बयान जारी होता. आउटकम डॉक्यूमेंट में भी आप देखेंगे कि 90 प्रतिशत मुद्दों पर हमारे बीच सहमति थी. बस दो पैरा पर हम सभी देशों की सहमति हासिल करने में सक्षम नहीं हो सके.'

असहमति वाले दो पैरा पिछले साल नवंबर में जी-20 की बैठक में जारी किए गए संयुक्त बयान से लिए गए हैं. इनमें रूस के यूक्रेन पर हमले की कड़े शब्दों में निंदा की गई है. रूस और चीन चाहते थे कि इन पैराग्राफ में इस्तेमाल शब्दों पर विचार किया जाए लेकिन बाकी सदस्यों ने सख्त रुख अपनाए रखा जिस कारण इस बार भी कोई साझा बयान जारी नहीं हो सका है.

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रूस को लेकर भारत का रुख अब भी कायम

वहीं, भारत भी शुरू से नहीं चाहता कि विकास के मुद्दों पर चर्चा के लिए बने संगठन जी-20 में युद्ध के मुद्दे को प्राथमिकता न दी जाए. भारत जी-20 की बैठकों में रूस-यूक्रेन युद्ध के लिए युद्ध शब्द के इस्तेमाल पर भी राजी नहीं था. भारत ने सदस्य देशों के बीच इस बात को लेकर सहमति बनान की कोशिश की थी कि इसे संकट या चुनौती कहकर संबोधित किया जाए. हालांकि, पश्चिमी देश इस पर राजी नहीं हुए थे.

भारत ने अब तक रूस-यूक्रेन युद्ध की आलोचना नहीं की है और रूस से अपनी तेल खरीद को भारत ने रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ाया है. भारत हमेशा से कहता आया है कि रूस-यूक्रेन के मसले का समाधान कूटनीति के जरिए हो.  

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