रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिका-चीन के बीच जारी तनाव के बीच भारत में हो रहे जी-20 सम्मेलन में भारत की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. पिछले सप्ताह बेंगलुरु में हुई जी-20 की वित्त मंत्रियों की बैठक में यूक्रेन मुद्दे पर असहमति के कारण कोई संयुक्त बयान नहीं जारी हो पाया था. जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में सर्वसम्मति के लिए भारत ने नए सिरे से जोर दे रहा है.
सू्त्रों के अनुसार, रूस-चीन गठबंधन और जी-7 के नेतृ्त्व वाले देशों के बीच समन्वय बनाने के लिए 28 फरवरी और 1 मार्च की देर रात तक चर्चा हुई है. यह दूसरी बार है जब संयुक्त बयान जारी करने पर सहमति बनाने के लिए जी-20 के वार्ताकारों ने मुलाकात की है.
बेंगलुरु में जी-20 की बैठक में संयुक्त बयान को आखिरी रूप देने के समय रूस और चीन ने रूसी युद्ध से संबंधित दो पैराग्राफों पर आपत्ति जताई थी. चीन ने संयुक्त बयान के उस हिस्से पर आपत्ति जताई जिसमें रूस के हमले की कड़े शब्दों में निंदा की गई थी.
विदेश सचिव ने क्या कहा
बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा, "रूस-यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष की स्थिति को देखते हुए हम उम्मीद करते हैं कि यह मुद्दा विदेश मंत्रियों की बैठक में भी हावी रहेगा."
हालांकि, संयुक्त बयान को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देने से उन्होंने इनकार कर दिया. विदेश सचिव ने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि बैठक से पहले उसके परिणाम पर बात करना सही होगा. हमें जी-20 के अधिकारियों को यह तय करने देना चाहिए.
संयुक्त बयान जारी होने पर संशय
अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' के मुताबिक, राजनयिकों और अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि पश्चिमी देशों और रूस-चीन गठबंधन के बीच भारी मतभेदों के बावजूद भारत समन्वय बनाने की कोशिश कर रहा है. भारत ऐसा संयुक्त बयान तैयार कर रहा है जो सभी देशों को स्वीकार हो. फिलहाल, बयान में दो पैराग्राफ को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है.
इस बात को लेकर भी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है कि रूस और चीन पिछले साल इंडोनेशिया के बाली में आयोजित जी-20 में जारी हुए संयुक्त बयान की भाषा को स्वीकार करेंगे या नहीं.
गुरुवार को होने वाली बैठक से पहले इस मुद्दे को लेकर देर रात तक गंभीर चर्चा होती रही.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची से जब बेंगलुरु मीटिंग में संयुक्त बयान को लेकर उत्पन्न हुए मतभेदों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "दो देश रूस और चीन संयुक्त बयान से सहमत नहीं थे. आपको उनसे इस बारे में पूछने की आवश्यकता है कि उनका प्रोस्पेक्टिव क्या है? या वे अब बाली में जारी संयुक्त बयान से सहमत नहीं हैं?"
जयशंकर की कूटनीतिक परीक्षा
पिछले सप्ताह बेंगलुरु में हुए वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक के बाद यह दूसरी मंत्रिस्तरीय बैठक है. पिछले बैठक में संयुक्त बयान नहीं जारी होने के कारण इस बैठक में भारतीय वार्ताकारों पर सहमति बनाने का काफी दबाव है.
यहां यह बात ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बैठक के बाद संयुक्त बयान जारी करना कोई जरूरी प्रोसिजर नहीं है. हालांकि, सरकार 2022 में हुए बाली जी-20 संयुक्त बयान की निरंतरता सुनिश्चित करने के साथ-साथ दस्तावेज पर आम सहमति बनाने की कोशिश कर रही है. क्योंकि जी-20 मंत्रियों की अगली बड़ी बैठक सितंबर में ही होने की संभावना है. सितंबर में G-20 के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए नेता भारत आएंगे.
अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' के मुताबिक, 3 मार्च को होने वाली क्वॉड की बैठक ने कथित तौर पर चीन और रूस की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है.
समन्वय के लिए द्विपक्षीय बैठकों का दौर जारी
विदेश मंत्रियों की बैठक से पहले भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कई द्विपक्षीय बैठकें कीं. जिसमें ग्लोबल इकॉनमिक बॉडी की ओर से जारी होने वाले सर्वसम्मति दस्तावेज की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया. ग्लोबल इकॉनमिक बॉडी में 20 से ज्यादा विकसित और विकासशील देश शामिल हैं.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि उन्होंने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ व्यापक चर्चा की. इस दौरान भारत-रूस द्विपक्षीय सहयोग और जी-20 मुद्दों का भी आदान-प्रदान किया गया.
संयुक्त बयान पर समन्वय बनाने की कोशिशों के तहत गुरुवार को चीन विदेश मंत्री किन गांग (Qin Gang) और जयशंकर के बीच भी द्विपक्षीय बातचीत की उम्मीद की जा रही है. चीनी विदेश मंत्री ऐसे समय में भारत आ रहे हैं जब अप्रैल 2020 से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य गतिरोध जारी है.
भारत दौरे से पहले चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग (Mao Ning) ने बीजिंग में कहा कि चीन भारत के साथ अपने संबंधों को महत्व देता है. हालांकि जी-20 बैठक की रणनीति पर बिना कुछ बोले उन्होंने कहा कि चीन-भारत संबंध दोनों देशों और लोगों के मौलिक हितों को पूरा करता है.
इसके अलावा विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ब्रिटेन, अर्जेंटीना, नाइजीरिया, मेक्सिको, नीदरलैंड, यूरोपीय यूनियन के प्रतिनिधि जोशेप बॉरेल और अफ्रीकन यूनियन के प्रमुख और कॉमोरोस के विदेश मंत्री से भी मुलाकात की.
ब्राजील और इंडोनेशिया से भी चर्चा
जी-20 एजेंडे पर सदस्यों के बीच मतभेद को पाटने की कोशिश में एस जयशंकर ने मंगलवार शाम को तुर्की और ब्राजील के विदेश मंत्रियों से भी मुलाकात की. ब्राजील और इंडोनेशिया वर्तमान और भविष्य के जी20 अध्यक्षों के 'ट्रोइका' का निर्माण करते हैं और भारत के महत्वपूर्ण भागीदार देश के रूप में देखे जाते हैं.
सूत्रों के अनुसार, संयुक्त बयान पर समन्वय के लिए भारतीय जी20 वार्ताकारों ने बुधवार सुबह ब्राजील और इंडोनेशिया के प्रतिनिधिमंडलों के साथ मुलाकात की.