विश्व के ताकतवर देशों के समूह ग्रुप ऑफ सेवन (G-7) ने शनिवार को गरीब देशों को चीन से मिल रही इंफ्रास्ट्रक्चर फंडिंग के जवाब में अमेरिका के नेतृत्व वाली योजनाओं का अनावरण किया. इन देशों ने भविष्य की महामारियों को रोकने के लिए एक नया समझौता किया है. एलीट पश्चिमी देशों का यह समूह 2019 के बाद पहली बार पर्सन-टू-पर्सन मीट में शामिल हुआ है.
जी-7 देशों ने सामूहिक तौर पर वादा किया है कि वे आर्थिक तौर पर पिछड़े और मध्यम देशों में अरबों के निवेश को प्रोत्साहित करेंगे. उनकी भागीदारी इन देशों में बढ़ेगी और योजनाओं में पारदर्शिता बरती जाएगी.
G-7 देशों की ब्लिड बैक बेटर वर्ल्ड Build Back Better World (B3W) परियोजना को चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ड एंड रोड पहल का जवाब माना जा रहा है. इसके जरिए गरीब और छोटे देशों को चीन की ओर से दिए गए असहनीय ऋण की आलोचना भी की गई है.
व्हाइट हाउस की ओर से साझा बयान के मुताबिक राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कार्बिस बे में शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन स्ट्रेटेजिक कंपटीशन विद बीजिंग पर अपने सहयोगी नेताओं को संबोधित किया. उनके साथ ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन और कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भी अपनी बातें साझा की.
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दुनिया को G-7 देशों से है बड़ी उम्मीद
G7 देश, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका - रविवार को औपचारिक रूप से समझौते को प्रकाशित करेंगे. इसके साथ ही इसकी अंतिम विज्ञप्ति में B3W पर और अधिक जानकारी सामने आएगी.
G7 नेताओं से उम्मीद की जा रही है कि वे इस साल और अगले साल गरीब देशों को एक अरब वैक्सीन खुराक दान करने का संकल्प लेंगे. हालांकि कैंपेनर्स इस बात को मानते हैं कोरोना संकट को खत्म करने के लिए किए जा रहे प्रयास धीमे हैं. व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि यह केवल चीन का सामना करने यह दुनिया के लिए एक सकारात्मक, सकारात्मक वैकल्पिक दृष्टि पैदा करने के बारे में है.
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