प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 और 13 जून को होने जा रहे जी 7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने जा रहे हैं. कोरोना काल में वे इस सम्मेलन के साथ वर्चुअल अंदाज में जुड़ने जा रहे हैं. पिछले महीने तक कहा गया था कि पीएम जी 7 के लिए ब्रिटेन नहीं जाएंगे, उस समय कोरोना को ही वजह बताया गया था. लेकन बाद में यूके के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने पीएम मोदी की चिंताओं को समझा था और उन्हें वर्चुअल अंदाज में जुड़ने के लिए आमंत्रित किया. अब इसी का नतीजा है कि 2021 के इस जी 7 सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी के तीन संबोधन होने जा रहे हैं.
G7 के तीन सत्रों में होगा PM मोदी का संबोधन
बताया गया है कि पीएम मोदी तीन मुद्दों पर भाषण देने जा रहे हैं. उस लिस्ट में कोरोना काल में कैसे मजबूती से वापसी की जाए, कैसे हरित पर्यावरण बनाया जाए जैसे मुद्दों पर चर्चा होती दिख जाएगी. पीएम के ये भाषण 12 और 13 जून को होने जा रहे हैं. जानकारी के लिए बता दें कि जी 7 में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देश शामिल हैं. वहीं इस बार क्योंकि जी 7 का नेतृत्व यूके कर रहा है, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस सम्मेलन में जुड़ने का मौका मिला है. भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया जैसे देशों को भी आमंत्रित किया गया है. इस बार जी 7 में कोरोना वायरस, फ्री ट्रेड और पर्यावरण पर विस्तार से चर्चा होने जा रही है. ज्यादा फोकस इसी बात पर रहेगा कि कैसे दुनिया को कोरोना महामारी से मुक्त करना है और फिर एक मजबूत वापसी करनी है.
पहले भी भारत के प्रधानमंत्रियों को मिला मौका
वैसे पीएम नरेंद्र मोदी से पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और डॉक्टर मनमोहन सिंह को भी जी 7 में हिस्सा लेने का मौका मिला था. एक तरफ अटल बिहारी वाजपेयी ने 2003 में हिस्सा लिया था तो वहीं मनमोहन सिंह को 2005-2009 तक जाने का मौका मिला था. पीएम मोदी को भी साल 2019 में गुडविल पार्टनर के रूप में जी 7 का हिस्सा बनाया गया था. इसके बाद 2020 में भी उन्हें आमंत्रण दिया गया था, लेकिन तब कोरोना की वजह से उस सम्मेलन को ही रद्द करना पड़ गया.
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मंत्रियों ने भी लिया हिस्सा
अब इस साल फिर जी 7 का आयोजन हो रहा है और यूके इसका नेतृत्व करता दिख रहा है. पीएम मोदी से पहले इस सम्मेलन में भारत सरकार के तीन बड़े केंद्रीय मंत्री भी अपने मंत्रालय अनुसार हिस्सा ले चुके हैं. स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद इस सम्मेलन में हिस्सा लिया था.