फ्रांस ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा गाजा के लोगों को मिस्र और जॉर्डन में शिफ्ट करने के सुझाव का कड़ा विरोध किया. फ्रांस के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने जोर देकर कहा कि गाजा के लोगों का किसी भी तरह से जबरन विस्थापन स्वीकार नहीं किया जाएगा. यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब हाल ही में इजरायल और हमास के बीच संघर्ष विराम की घोषणा की गई.
स्पेन ने भी अमेरिका की इस योजना की निंदा की थी. स्पेन के विदेश मंत्री जोस मैनुअल आल्बार्स ने ब्रसेल्स में स्पष्ट रूप से कहा कि गाजा के लोग गाजा में ही रहने चाहिए. उन्होंने कहा कि गाजा फिलिस्तीनी राज्य का हिस्सा है और इसका शासन एक ही सरकार द्वारा किया जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि गाजा और वेस्ट बैंक को जल्द से जल्द एक राष्ट्रीय सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए.
गाजा के लोगों को शिफ्ट करने वाले संभावित देश में इंडोनेशिया का भी नाम!
इंडोनेशिया का नाम उन संभावित स्थानों में लिया गया था, जहां गाजा की 20 लाख आबादी को शिफ्ट करने का प्रस्ताव दिया गया था. हालांकि, इंडोनेशिया के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें कभी भी इस संबंध में कोई जानकारी या योजना नहीं मिली है. इंडोनेशिया ने अपने बयान में दोहराया कि गाजा के नागरिकों को विस्थापित करने या उन्हें हटाने का कोई भी कोशिश अस्विकार्य है.
इंडोनेशिया ने यह भी कहा कि गाजा से लोगों को हटाने की ऐसी कोशिश सिर्फ अवैध इजरायली कब्जे को स्थायी बनाएंगे और उन रणनीतियों के अनुरूप होंगे जो फिलिस्तीनियों को गाजा से भगाने के लिए बनाई गई हैं.
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इजरायल-हमास के बीच सीजफायर के बाद शुरू हुआ मामला
यह विवाद उस समय सामने आया जब इजरायल और हमास के बीच 15 महीनों के संघर्ष के बाद एक नाजुक सा संघर्ष विराम लागू हुआ है. संघर्ष विराम के कारण हजारों विस्थापित फिलिस्तीनी अपने घरों की ओर लौट रहे हैं और इस बीच, गाजा के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. इस हालात में, गाजा से नागरिकों को शिफ्ट करने का विचार न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद का कारण बना, बल्कि मानवीय नजरिए से भी सवालों के घेरे में है.