जाने-माने पत्रकार और जिओ पॉलिटिकल एक्सपर्ट फरीद जकारिया ने कहा है कि नरेंद्र मोदी के पास एक बहुत शक्तिशाली विरासत छोड़ने और जवाहरलाल नेहरू के बाद सबसे महत्वपूर्ण भारतीय प्रधानमंत्री बनने का मौका है.
दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मौके पर इंडिया टुडे के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल से बात करते हुए फरीद जकारिया ने कहा कि पीएम मोदी के पास भारत की अर्थव्यवस्था को बदलने का मौका है जो अभी भी बहुत संरक्षणवादी (प्रोटेक्शनिस्ट) है.
'वर्ल्ड में सबसे प्रोटेक्शनिस्ट है भारत की अर्थव्यवस्था'
फरीद जकारिया ने कहा कि पीएम मोदी के पास भारत की अर्थव्यवस्था को बदलने का मौका है जो अभी भी बहुत प्रोटेक्शनिस्ट हैं. मैं येल बोर्ड में था. तब हमने देखा कि भारत में बहुत सारे पिछड़े औपनिवेशिक, उत्तर-औपनिवेशिक नियम हैं जो विदेशी यूनिवर्सिटियों पर शक करते हैं. भारत में टैरिफ अभी भी बहुत हाई हैं और भारत दुनिया में सबसे बड़ी प्रोटेक्शनिस्ट अर्थव्यवस्था है.
'आसान नहीं है नेहरू से आगे निकलना'
फरीद जकारिया ने कहा कि पीएम मोदी पास नेहरू के बाद सबसे महत्वपूर्ण भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने का मौका है. मुझे लगता है कि उनके लिए नेहरू से आगे निकलना कठिन होगा क्योंकि नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री थे. और यह उन्हें उस व्यक्ति के रूप में एक अद्वितीय दर्जा देता है जिसने आधुनिक भारत और विशेष रूप से आधुनिक भारतीय लोकतंत्र की स्थापना की. लेकिन फिर भी मोदी के पास एक बहुत शक्तिशाली विरासत छोड़ने का मौका है.
जकारिया ने कहा कि मुझे लगता है कि वह शायद दुनिया भर के इन सभी चुनावों में सबसे मजबूत स्थिति में हैं, क्यों? भारत अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. इसमें कुछ मोदी और उनकी नीतियां हैं और आपको इसका श्रेय उन्हें देना होगा. इसमें से 20 साल के सुधार शामिल हैं, जिन्होंने भारत को एक निश्चित गति दी है और अब वह रुकने वाली नहीं है.
'पीएम मोदी ने पकड़ी हिंदू गौरव की नब्ज'
उन्होंने आगे कहा कि पीएम मोदी ने भारतीयों के एक बड़े वर्ग की हिंदू गौरव की नब्ज को समझ लिया है. वे एक सामान्य हिन्दू के मन में पैदा होने वाले गौरव को समझते हैं पीएम भारत के एलीट वर्ग के बाहर से आते हैं. वह पहले नॉन इलीटिस्ट प्रधानमंत्री हैं. आप नेहरू, गांधी परिवार, नरसिम्हा राव यहां तक की मनमोहन सिंह के बारे में सोचें तो वे सभी शिक्षा के आधार पर एक खास प्रकार की एलिट पृष्ठभूमि से आते थे, लेकिन नरेंद्र मोदी एक सामान्य हिंदू की नब्ज को समझते हैं.
जकारिया ने कहा कि वे चाहते हैं कि वो इसका इस्तेमाल पॉजिटिव रूप में करें न कि लोगों को अलग-थलग करने में करें, वह इसका उपयोग सभी को ऊपर लाने के लिए कर सकते हैं. वह भारत के एक बड़े हिस्से के गौरव को भुनाने में सक्षम हैं. आप जानते हैं कि वह महसूस करते थे कि हम बॉम्बेवाले नहीं हैं, हम दिल्लीवाली नहीं हैं, हम इन आधुनिक विश्वविद्यालयों में नहीं गए, लेकिन हमारा वक्त आ गया है.
'तीसरे कार्यकाल में करने होंगे कई सुधार'
जब फरीद जकारिया से यह पूछा गया कि पीएम मोदी का संभावित तीसरा कार्यकाल कैसा होगा तो उन्होंने कहा कि अभी भी कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां भारत वैश्विक मानकों के अनुसार व्यापार करने के लिए बहुत मुश्किल जगह है. यह बहुत संरक्षणवादी है. श्रम कानून बहुत सख्त हैं. भूमि अधिग्रहण कठिन है. मोदी ने उनमें से कुछ चीजों के बारे में कुछ करने की कोशिश जरूर की है पर शायद तीसरे कार्यकाल में उन्हें इस सबमें सुधार करना होगा.
साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई है कि भारत अमेरिका के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत करेगा. इससे भारत को काफी लाभ होगा और इसके लिए कोई औपचारिकता की जरूरत नहीं है. मेरा मतलब जेनरेशन लेवल का स्तर सहयोग, संवाद, अर्थशास्त्र, व्यापार, टेक्नोलॉजी और शिक्षा का क्रॉस-फोर्टिलाइजेशन से है.