अमेरिका में कोरोना वायरस की महामारी की त्रासदी ने सबसे ज्यादा अश्वेत आबादी को प्रभावित किया है. अश्वेत मतलब उन लोगों से हैं तो अफ्रीकी अमेरिकी हैं. अमेरिका में जिन लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है, उनमें अश्वेतों की संख्या आबादी के हिसाब सबसे ज्यादा है.
अधिकतर अश्वेत आबादी का रहन-सहन श्वेतों की तुलना में कमतर है. इनकी स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच भी कम है. अमेरिका में अश्वेत लोग डायबिटीज, दिल की बीमारी और फेफड़े की समस्या से सबसे ज्यादा पीड़ित हैं. कोरोना से अश्वेतों की ज्यादा मौत को लेकर मिशिगन की गवर्नर ग्रेटचेन व्हाइटमर ने कहा कि यह अमेरिकी समाज में लंबे समय से चली आ रही विषमता को दिखाता है. उन्होंने कहा कि यह स्वीकार्य नहीं है और इसे ठीक करने के लिए और काम करने की जरूरत है. किसी-किसी राज्य में तो अश्वेतों की आबादी 25 फीसदी है लेकिन कोरोना से हुई कुल मौतों में इनकी तादाद 70 फीसदी तक है. ट्रंप ने भी पहली बार संज्ञान लेते हुए इसकी जांच के लिए कमिटी बनाने के लिए कहा था.
कोरोना वायरस की महामारी में अश्वेत समुदाय की संवेदनशील स्थिति देखने के बाद से ही बहस शुरू हो गई थी कि क्या अमेरिका में श्वेत और अश्वेत के बीच का फर्क वाकई में कम हुआ है? पिछले सप्ताह, 46 साल के जॉर्ज फ्लॉयड नाम के एक अश्वेत की पुलिस कस्टडी में मौत होने के बाद ये बहस और तेज हो गई है. व्हाइट हाउस के बाहर बड़ी तादाद में लोग विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका में चुनावी बहस भी अब इसी घटना के इर्द-गिर्द घूम सकती है.
Police have made over 4,100 arrests during U.S. protests against racial police violence and the killing of #GeorgeFloyd, according to @AP.
They have not arrested 3 of the 4 officers involved in his death. #BlackLivesMatter #BLACK_LIVES_MATTER pic.twitter.com/oEh31aunHG
— Mehdi Rizvi (@MehdiRizvi123) June 1, 2020
क्या है पूरा मामला
25 मई की शाम को पुलिस को एक फोन आया कि एक ग्रॉसरी स्टोर पर जॉर्ज फ्लॉयड नाम के शख्स ने 20 डॉलर का नकली नोट दिया था. पुलिस वाले उन्हें अपनी गाड़ी में बैठाने की कोशिश कर रहे थे, तभी फ्लॉयड गिर गए. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि उन्हें सांस लेने में दिक्कत है. पुलिस के अनुसार, फ्लॉयड ने अधिकारियों को रोकने की कोशिश की, इसलिए उन्हें हथकड़ी पहना दी गई. सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में दिखता है कि पुलिस अधिकारी डेरेक चौविन का घुटना उनकी गर्दन पर था और फ्लॉयड को ये कहते सुना गया कि प्लीज मैं सांस नहीं ले सकता, मुझे मत मारिए. रिपोर्ट्स के मुताबिक, फ्लॉयड की कोरोना और लॉकडाउन के कारण सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी चली गई थी.
ऑटॉप्सी की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस अधिकारी ने फ्लॉयड की गर्दन पर आठ मिनट से ज्यादा वक्त तक अपना घुटना रखा था. इनमें से तीन मिनट ऐसे थे, जब फ्लॉयड बिल्कुल निष्क्रिय पड़ गए थे. फ्लॉयड को अस्पताल ले जाया गया, जहां एक घंटे बाद ही उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. फ्लॉयड के परिवार ने चौविन पर हत्या का आरोप लगाया है.
As a mother... watching and hearing George Floyd calling for his mother in his final moments on this earth made me cry this morning. It did.https://t.co/LLJXenubvs
— Carissa Lawson (@CarissaLawson) June 1, 2020
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इस घटना के बाद से ही अमेरिका में श्वेत बनाम अश्वेत की बहस तेज हो गई है. कई विश्लेषकों का मानना है कि इस घटना से लामबंदी बढ़ेगी और इसका चुनावी फायदा ट्रंप को मिल सकता है. ट्रंप कोरोना वायरस के कारण अमेरिका में बुरी तरह से घिरे हुए हैं. अब तक यहां एक लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी हैं. इस मामले में ट्रंप पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने मामले को ठीक से हैंडल नहीं किया. ऐसे में अगर श्वेत और अश्वेत के नाम पर गोलबंदी होती है तो ट्रंप के पक्ष में चीजों का जाना स्वाभाविक है. यहां श्वेत लोग पारंपरिक रूप से रिपब्लिकन पार्टी को वोट करते रहे हैं. जाहिर है ट्रंप इसी पार्टी के हैं और श्वेत यहां बहुसंख्यक हैं.
2016 की जनगणना के मुताबिक, अमेरिका में चार करोड़ की आबादी अश्वेतों की है जो कुल आबादी का करीब 13 फीसदी हैं. ये अमेरिका का सबसे बड़ा नस्ली अल्पसंख्यक समुदाय है. अफ्रीकन-अमेरिकी यानी अश्वेतों की ज्यादातर आबादी (करीब 55 फीसदी) दक्षिणी अमेरिका में रहती है. प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक, 2007-2009 में आई आर्थिक मंदी के दौरान श्वेत और अश्वेत के बीच आर्थिक विषमता की खाई और गहरी हुई. मध्यवर्ग में श्वेत और अश्वेत के बीच आर्थिक विषमता बहुत ज्यादा बढ़ी है. हालांकि, निचले तबके में श्वेत और अश्वेत के बीच फासला पहले की तुलना में कम हुआ है.
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अमेरिकी राजनीति में अश्वेत
लंबे वक्त तक चले गृह युद्ध के बाद 1965 में अमेरिका में पहली बार अश्वेतों को मतदान का अधिकार दिया गया था. 2009 में जब बराक ओबामा अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने थे तो इसे अमेरिकी लोकतंत्र में समानता के अधिकार का मील का पत्थर करार दिया गया. ओबामा की जीत ने ये साबित किया था कि अमेरिका की राजनीति में अश्वेतों की भी पकड़ मजबूत हुई है.
1965 में अमेरिकी सीनेट (संसद) में एक भी अश्वेत नहीं था और ना ही कोई अश्वेत गवर्नर. हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में केवल 6 सदस्य अश्वेत थे और सभी डेमोक्रेटिक पार्टी से ही थे. 2019 की बात करें तो 52 अश्वेत हाउस मेंबर्स हैं जो कि अमेरिकी आबादी में अश्वेत के अनुपात को देखते हुए सबसे बड़ी संख्या है. हालांकि, आज भी श्वेत और अश्वेत के बीच फासला पूरी तरह से नहीं खत्म हुआ है. जब ओबामा राष्ट्रपति बने तो उनकी कैबिनेट में भी केवल एक कैबिनेट सेक्रेटरी अश्वेत समुदाय से था. यही हाल ट्रंप कैबिनेट का भी है. ट्रंप की कैबिनेट में भी सिर्फ एक अश्वेत ही शामिल है. ट्रंप ने बेन कार्सन को हाउसिंग ऐंड अर्बन डिवलेपमेंट मिनिस्ट्री की जिम्मेदारी दी है.ट्रंप को मिलेगा फायदा?
गोसा नाम की एक अश्वेत महिला ने न्यूयॉर्क टाइम्स से बातचीत में कहा कि ट्रंप की नस्लवादी मानसिकता को समर्थन देने का सवाल ही नहीं उठता है. गोसा कहती हैं कि कोरोना महामारी के दौरान दक्षिणी अमेरिकी राज्यों और डेट्रॉयट, शिकागो जैसे शहरों में श्वेत की तुलना में अश्वेतों की ज्यादा मौत हुई. इसकी वजह से ट्रंप के खिलाफ अश्वेतों में गुस्सा बढ़ा है. तमाम अश्वेत हेल्थकेयर में श्वेत और अश्वेत के बीच कायम असमानता के लिए ट्रंप को कसूरवार मानते हैं. अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी इस घटना की निंदा की और कहा कि 2020 के अमेरिका में इसे बिल्कुल स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
My statement on the death of George Floyd: pic.twitter.com/Hg1k9JHT6R
— Barack Obama (@BarackObama) May 29, 2020
अश्वेत जॉर्ज फ्लायड की मौत के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्वीट कर चेतावनी दी थी कि जब लूट शुरू होती है तो शूटिंग भी शुरू हो जाती है. वहीं, डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे जो बाइडेन ने राष्ट्रीय एकता की अपील की और पुलिस सुधारों की मांग की. बराक ओबामा के कार्यकाल में बाइडेन उप-राष्ट्रपति रह चुके हैं और ओबामा उनके लिए वोट करने की अपील भी कर चुके हैं.
जॉर्ज फ्लॉयड की घटना के बाद से बाइडेन ट्रंप पर निशाना साध रहे हैं. बाइडेन ने कहा, भड़काऊ ट्वीट के लिए बिल्कुल भी वक्त नहीं है और ना ही हिंसा को प्रोत्साहित करने के लिए. ये एक राष्ट्रीय संकट है और हमें असली नेतृत्व की जरूरत है. वहीं, ट्रंप ने घटना के दिन एक और प्रेस कॉन्फ्रेंस की लेकिन अश्वेत फ्लॉयड की मौत का जिक्र तक नहीं किया और उसके बजाय विश्व स्वास्थ्य संगठन से बाहर होने का ऐलान करने में व्यस्त रहे. जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद उग्र विरोध-प्रदर्शनों के लिए ट्रंप वामपंथी संगठनों को कसूरवार ठहरा रहे हैं और अपने प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन पर अराजकतावाद को प्रोत्साहित करने का आरोप लगा रहे हैं.
“I don’t see any indication that there were any white supremest groups mixing in. This is an ANTIFA Organization. It seems that the first time we saw it in a major way was Occupy Wall Street. It’s the same mindset.” @kilmeade @foxandfriends TRUE!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) June 1, 2020
साउथ कैरोलाइना से सांसद रहे बाकरी सेलर्स ने द गार्डियन से कहा, राष्ट्रपति ट्रंप अक्सर सांस्कृतिक युद्ध छेड़ते नजर आते हैं लेकिन मुझे लगता है कि ये आग उनके राष्ट्रपति के दूसरे कार्यकाल की संभावना को खतरे में डाल सकती है. हालांकि, डेमोक्रेटिक पार्टी ऑपरेटिव के लीह डार्टी ने चेतावनी दी है कि ट्रंप का लूटर्स को शूट करने वाला ट्वीट अपने फैन बेस को और मजबूत करने के लिए जानबूझकर किया गया था. इसीलिए तनाव घटाने या एकता कायम रखने जैसी कोई अपील नहीं की गई. लीह ने कहा, मुझे लगता है कि राष्ट्रपति के ट्वीट जिस मकसद से किए गए थे, उसे पूरा करते हैं. वे अपनी ऑडियंस के एक हिस्से का प्रबल ध्रुवीकरण करना चाहते हैं.