अश्वेत अमेरिकी नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड को ह्यूस्टन में आज अंतिम विदाई दी गई. 46 साल के फ्लॉयड को उनकी मां के पास वाले कब्र में दफनाया गया. इस दौरान परिवार वालों के अलावा और भी कई महत्वपूर्ण लोग मौजूद थे. फ्लॉयड की मौत ने एक बार फिर दुनियाभर में नस्लभेद के मुद्दे को गरम कर दिया. पूरी दुनिया में नस्लभेद के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं.
आज भी जिनेवा से लेकर अमेरिका और जर्मनी तक में लोग नस्लभेद के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं. फ्लॉयड के आखिरी शब्द ‘आई कांट ब्रिथ’ इस आंदोलन का एक अहम नारा बन गया. फ्लॉयड के अंतिम संस्कार से पहले ह्यूस्टन में 6 हजार से ज्यादा लोग इकट्ठा हुए. यहां फाउंटेन ऑफ प्राइज चर्च में छह घंटे तक उनका ताबूत रखा गया.
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ह्यूस्टन में ही जॉर्ज का बचपन बीता था. 25 मई के मिनेसोटा में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत हुई थी. महज 20 डॉलर के जाली नोट चलाने के आरोप में जॉर्ज को पकड़ा गया था और एक पुलिस वाले ने उसे जमीन पर गिराकर उसकी गर्दन को पांव से तब तक दबाए रखा जब तक उसकी मौत नहीं हो गई.
इसी घटना से अमेरिका में भारी उबाल है. ना सिर्फ अश्वेत समुदाय के लोग बल्कि श्वेत भी इसे लेकर सड़कों पर हैं. इस बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नेशनल गार्ड के सुरक्षा बलों को वॉशिंगटन से वापस जाने का आदेश दिया जिन्हें हिंसक झड़पों के बाद सुरक्षा में तैनात किया गया था.
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गौरतलब है कि अमेरिका में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत ने पूरी दुनिया को हिला कर रखा दिया. नस्लभेद के खिलाफ जगह-जगह हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. इस बीच नॉर्थ कैरोलिना से एक तस्वीर सामने आई है, जिसमें पुलिस प्रदर्शन करने वाले अश्वेत लोगों को बेंच पर बैठा कर उनके पांव धो रही है.