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जयशंकर ने सुनाई थी खरी-खोटी, जर्मनी ने दिया ऐसा जवाब

जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोलज ने कहा है कि एस जयशंकर ने यूरोप की मानसिकता को लेकर जो टिप्पणी की थी वो एक अहम टिप्पणी थी. जयशंकर ने कहा था कि यूरोप को लगता है कि उसकी समस्याओं को पूरा विश्व अपनी समस्या माने लेकिन जब पूरे विश्व में कोई समस्या आती है तो उसे लगता है कि यह उसकी समस्या नहीं है.

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूरोपीय मानसिकता पर सवाल उठाए थे (Photo- PTI)
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूरोपीय मानसिकता पर सवाल उठाए थे (Photo- PTI)

जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की यूरोप को लेकर पिछले साल की गई एक टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी है. एस जयशंकर ने पिछले साल स्लोवाकिया में GLOBSEC ब्रातिस्लावा फोरम के 17वें संस्करण के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत के रुख को लेकर एक सवाल पर कड़ा जवाब देते हुए यूरोप पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा था कि यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि उसकी समस्याएं दुनिया की समस्याएं हैं, लेकिन दुनिया की समस्याओं से उसे कोई लेना-देना नहीं है.

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समाचार एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मन चांसलर ने शुक्रवार को म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के दौरान विदेश मंत्री के इस बयान के संदर्भ में कहा कि जयशंकर ने एक अहम बात कही थी.

स्कोल्ज ने कहा, 'भारतीय विदेश मंत्री का यह बयान इस साल की म्यूनिख सुरक्षा रिपोर्ट में शामिल है और उन्होंने एक अहम बात कही है कि अगर अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सबसे मजबूत कानून मुखर होता है तो यह केवल यूरोप की समस्या नहीं होगी.'

उन्होंने यह भी कहा कि यूरोप या उत्तरी अमेरिका को अगर भारत के लिए विश्वसनीय बनना है तो केवल साझा मूल्यों पर जोर देना पर्याप्त नहीं है.

जर्मन चांसलर ने कहा, 'हमें संयुक्त रुप से एक बुनियादी शर्त के रूप में इन देशों के हितों और चिंताओं को संबोधित करना होगा. और यही कारण था कि पिछले साल जून में जी-7 शिखर सम्मेलन में बातचीत की टेबल पर एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के प्रतिनिधियों का होना मेरे लिए महत्वपूर्ण था. हम सचमुच इन देशों के साथ मिलकर काम करना चाहते थे ताकि वे रूस-यूक्रेन युद्ध, जलवायु परिवर्तन और कोविड-19 के कारण बढ़ती गरीबी और भुखमरी का सामना कर सकें.'

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विदेश मंत्री जयशंकर ने क्या कहा था?

पिछले साल, GLOBSEC ब्रातिस्लावा फोरम के दौरान एस जयशंकर से पूछा गया था कि जब भारत यूक्रेन के मामले में पश्चिमी देशों का साथ नहीं दे रहा है तो फिर चीन के साथ कोई समस्या होने पर ये देश भारत की मदद करने क्यों आएंगे.

जवाब में जयशंकर ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए कहा था, 'कहीं न कहीं यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि यूरोप की समस्याएं दुनिया की समस्याएं हैं लेकिन दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्याएं नहीं हैं.'

उन्होंने कहा था कि यूक्रेन में जो हो रहा है, उसके साथ भारत-चीन संबंधों की कड़ी को जोड़ने की कोशिश की जा रही है. लेकिन भारत और चीन के बीच जो कुछ भी हुआ है, वो यूक्रेन में कुछ भी होने से पहले से होता आया है. चीन को कहीं और से उदाहरण लेने की जरूरत नहीं है कि वो हमसे किस तरह से बातचीत करे, अच्छे रिश्ते रखे या बुरे रिश्ते रखे. 

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