स्पेन के बार्सिलोना से जर्मन एयरलाइंस के लो कॉस्ट फ्लाइट जर्मनविंग्स की एयरबस ए 320 ने जब मंगलवार की सुबह 8 बजकर 35 मिनट पर जर्मनी के डुसलडॉर्फ के लिए उड़ान भरी तो सबकुछ ठीक ठाक था. अच्छे मौसम और एक खुशनुमा माहौल के बीच 144 मुसाफिरों ने छह क्रू मेंबर्स के साथ अपने सफर की शुरुआत की थी. आगे भी अगर सबकुछ ठीक रहता, तो तकरीबन दो घंटे और बीस मिनट बाद ये हवाई जहाज सुबह के 10 बजकर 55 मिनट पर जर्मनी की सरजमीं यानी डुसलडॉर्फ एयरपोर्ट पर उतर चुका होता, लेकिन इस हवाई जहाज की तकदीर में कुछ और ही लिखा था.
जर्मनविंग्स: 'जानबूझकर ध्वस्त किया प्लेन'
उड़ान भरने के तकरीबन 45 मिनट बाद अचानक ये हवाई जहाज एयर ट्रैफिक कंट्रोल यानी एटीसी की रडार से कुछ ऐसा गायब हुआ कि फिर कभी इस हवाई जहाज से दोबारा संपर्क नहीं हो सका. अगले चंद मिनटों में ही दक्षिणी फ्रांस के एलप्स की चोटियों से टकरा कर इस हवाई जहाज के परखच्चे उड़ गए. कहने की जरूरत नहीं है कि इस हादसे में 144 मुसाफिरों समेत इस हवाई जहाज में सवार सभी डेढ़ सौ लोगों की एक ही झटके में मौत हो गई.
हादसे के बाद मौका-मुआयने के साथ-साथ एजेंसियों ने ब्लैक बॉक्स की तलाश भी शुरू की. लेकिन ब्लैक बॉक्स के हाथ लगने के साथ ही इस एयरबस ए-320 के क्रैश होने से जुड़ी जो जानकारी सामने आई, उसने इस मामले की जांच कर रहे तमाम ऑफिसर्स के साथ-साथ पूरी दुनिया को चौंका दिया.
ब्लैक बॉक्स में दर्ज रिकॉर्ड्स की माने तो ये हवाई जहाज ना तो किसी तकनीकी खराबी का शिकार हुआ और ना ही खराब मौसम का. बल्कि इस एयरबस को खुद इस प्लेन के को-पायलट ने ही पहाड़ की चोटियों से टकरा दिया. और वो भी पूरे होशो-हवास में और जानबूझकर.
जर्मन विंग्स के इस मनहूस हवाई जहाज के क्रैश होने के बाद इसकी जांच में जुटी एजेंसियां जैसे-जैसे आगे बढ़ रही हैं, एक से बढ़ कर एक चौंकानेवाले खुलासे हो रहे हैं.
1. शुरुआती जांच में ही ये बात तो साफ हो चुकी है कि ये हवाई हादसा महज किसी तकनीकी खराबी या मानवीय भूल का अंजाम नहीं, बल्कि होशो-हवास में की गई उस हरकत का नतीजा थी, जिसके चलते डेढ़ सौ लोगों की जान चली गई और ऐसा करनेवाला भी कोई और नहीं, बल्कि इसी हवाई जहाज का वो को-पायलट था, जिस पर इस फ्लाइट में सवार सभी मुसाफिरों को महफूजउनके मंजिल तक पहुंचाने की जिम्मेदारी थी. लेकिन यही को-पायलट इतने लोगों की जान का दुश्मन बन गया.
2. फ्रैंच प्रोसिक्यूटर्स की मानें तो जर्मन मूल का को-पायलट आंद्रेस लुबिज अपने सीनियर पायलट कैप्टन पैट्रिक सॉनदेरहिमर के साथ उड़ान पर था. लेकिन बीच फ्लाइट में कैप्टन पैट्रिक जब अपने प्लैंड लैंडिंग के बारे में हवाई जहाज में सवार मुसाफिरों को एड्रैस कर रहे थे, न जाने क्यों पैट्रिक के साथ उनके को-पायलट आंद्रेस का रवैया थोड़ा रुखा हो गया और इसके बाद जैसे ही पायलट पैट्रिक कॉकपिट से बाहर निकले, इस फ्लाई में सवार सभी के सभी डेढ़ सौ मुसाफिरों की तकदीर में को-पायलट ने मौत लिख दी.
3. इनवेस्टिगेशन ऑफिसर्स की मानें तो ब्लैक बॉक्स में दोनों पायलट्स के बीच जो बातचीत रिकॉर्ड हुई है, इसमें मेन पायलट कैप्टन पैट्रिक कॉकपिट से टॉयलेट जाने या फिर किसी और वजह से बाहर निकलने से पहले को-पायलट आंद्रेस को प्लेन का चार्ज सौंपते हुए सुनाई दे रहे हैं. इसके बाद उनके कुर्सी से उठने की आवाज भी आती है और कॉकपिट के दरवाजे के बंद होने की भी. लेकिन इसके बाद जो कुछ होता है, वो बेहद भयानक है. को-पायलट आंद्रेस उनके बाहर निकलते ही फ्लाइट को तेजी से नीचे उतारना शुरू कर देता है. कुछ इतनी तेजी से 38 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ रहे इस हवाई जहाज को 8 हज़ार फीट तक आते-आते सिर्फ नौ मिनट लगते हैं और जब फ्लाइट 5 हजार फीट की ऊंचाई पर होता है, तो इससे एटीसी के लिए डिस्ट्रेस सिग्नल रिलीज हो जाता है.
4. इस दौरान मुसाफिर तो खामोश हैं, लेकिन मेन पायलट पैट्रिक बाहर से दस मिनट तक कॉकपिट का दरवाजा पीटते, चीखते, को पायलट को बार-बार दरवाजा खोलने के लिए कहते और इंटरकॉम से उन्हें फोन करने की कोशिश करते हुए सुनाई देते हैं. लेकिन को पायलट आंद्रेस बिल्कुल शांत रहता है और मुंह से कुछ भी नहीं कहता. यहां तक कि उसे सांस लेने में भी कोई दिक्कत नहीं है, क्योंकि कॉकपिट में उसके किसी मुश्किल हालात से जुझने का कोई संकेत भी नजर नहीं आता. लेकिन वो जानबूझ कर दरवाजा नहीं खोलता और फिर आखिरी चंद सेकेंड्स में मुसाफिरों की भयानक चीख के साथ एक जोरधार धमाका होता है और सबकुछ शांत हो जाता है.
5. जांच अधिकारियों के मुताबिक ये ना तो आंद्रेस ना तो आंतकवादी हमले का मोहरा लगता है और ही खुदकुशी करनेवाला. ऐसे में इस को-पायलट की इस हरकत पर रहस्य और भी गहरा जाता है. यही वजह है कि जांच एजेंसियां उसके बैंकग्राउंड में झांकने की कोशिश कर रही है, ताकि हादसे के पहले उसकी असल जेहनियत का पता चल सके.