जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक (Annalena Baerbock) दो दिवसीय दौरे पर सोमवार को नई दिल्ली पहुंच गईं. उन्होंने भारत दौरे से पहले भारत की खुलकर तारीफ करते हुए कहा कि उनका यह भारत दौरा रोमांचक होगा. बेयरबॉक ने कहा कि अगले साल की शुरुआत तक भारत आबादी के लिहाज से चीन को पछाड़ देगा. इसमें कोई संदेह नहीं है कि 21वीं सदी में इंडो पैसिफिक और उसकी सीमा से बाहर वैश्विक स्तर पर भारत की निर्णायक भूमिका होगी.
बेयरबॉक ने भारत रवाना होने से पहले कहा था कि भारत बीते 15 सालों में 40 लाख से अधिक लोगों को गरीबी के दायरे से बाहर निकालने में सफल रहा है, जो सराहना के योग्य है. इससे पता चलता है कि सामाजिक बहुलता, आजादी और लोकतंत्र भारत में आर्थिक विकास, शांति और स्थिरता का चालक है. मानवाधिकारों को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करना हमारे मुख्य एजेंडे में से एक होगा.
भारत के आधिकारिक रूप से G-20 समूह की अध्यक्षता संभालने के कुछ दिन बाद ही ब्योरबॉक भारत आने वाली हैं.
वैश्विक स्तर पर भारत की निर्णायक भूमिका
उन्होंने कहा कि भारत यात्रा का मेरा मुख्य एजेंडा क्लाइमेट चेंज, नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था है. बाली में G-20 समिट के दौरान भारत ने यह दिखा दिया है कि वह वैश्विक स्तर पर निर्णायक भूमिका निभाने के लिए तैयार है.
कई तरह की आंतरिक सामाजिक चुनौतियों के बावजूद मजबूत अर्थव्यवस्था और लोकतंत्र के लिहाज से भारत दुनिया के कई देशों के लिए एक रोल मॉडल है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र और 21वीं सदी में वैश्विक व्यवस्था को आकार देने में भारत की निर्णायक भूमिका होगी.
भारत सरकार ने सिर्फ G-20 के लिए ही नहीं बल्कि अपने खुद के लोगों के लिए भी महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं. जब नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार करने की बात आती है, भारत पहले की तुलना ऊर्जा ट्रांजिसन में कहीं आगे बढ़ना चाहता है. इसमें जर्मनी मजबूती से भारत के साथ खड़ा है. क्योंकि क्लाइमेट चेंज का प्रभाव हम सभी को प्रभावित कर रहा है. इससे यूरोप और भारत दोनों जगह लोगों की आजीविका प्रभावित हो रही है.
उन्होंने कहा कि इसलिए हम हमारे स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप से इतर भारत के साथ हमारे आर्थिक, क्लाइमेट और सुरक्षा नीति सहयोग को मजबूत करना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि मैं चाहती हूं कि भारत के साथ जर्मनी का मॉबिलिटी एग्रीमेंट भी हो, जिससे दोनों देशों के लोगों के लिए इस क्षेत्र में रिसर्च का काम आसान होगा.
कश्मीर पर दिया था विवादित बयान
जर्मनी की विदेश मंत्री बेयरबॉक ने अक्टूबर महीने में जर्मनी पहुंचे पाकिस्तान के के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के सुर में सुर मिलाते हुए कहा था कि कश्मीर की हालत को लेकर जर्मनी की भी भूमिका और जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा था कि हम कश्मीर मामले में शांतिपूर्ण समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र की बातचीत का समर्थन करते हैं.
उनके इस बयान पर भारत ने आपत्ति जताई थी. भारतीय विदेश विभाग के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा था कि वैश्विक समुदाय की अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद और खासतौर पर सीमावाद आतंकवाद को खत्म करने की जिम्मेदारी है.