गूगल (Google) ने अफगानिस्तान सरकार (Afghan government) के कई ईमेल अकाउंट्स को अस्थाई तौर पर बंद कर दिया है. बताया जा रहा है कि गूगल ने यह कदम पिछले अधिकारियों और अंतरराष्ट्रीय साझेदारों द्वारा छोड़े गए दस्तावेजों के लीक होने के डर से उठाया.
तालिबान के अमेरिका समर्थित सरकार को हटाकर अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से रिपोर्टों ने यह दावा किया जा रहा है कि तालिबान किस तरह से बायोमेट्रिक और अफगान पेरोल डेटाबेस का इस्तेमाल अपने दुश्मनों के खिलाफ कर सकते हैं.
कंपनी ने कहा- यह अस्थाई कार्रवाई
शुक्रवार को दिए बयान में गूगल ने इस बात की पुष्टि करने से रोक दिया कि अफगान सरकार के खातों को बंद कर दिया जा रहा था. यह कहकर कि कंपनी अफगानिस्तान में स्थिति की निगरानी कर रही थी और 'प्रासंगिक खातों को सुरक्षित करने के लिए अस्थायी कार्रवाई कर रही थी.'
पूर्व अधिकारियों के ईमेल की जानकारी चाहता है तालिबान
उधर, गनी सरकार में शामिल एक कर्मचारी ने रॉयटर्स को बताया कि तालिबान पूर्व अधिकारियों के ईमेल हासिल करने की कोशिश कर रहा है. अगस्त के आखिर में कर्मचारी ने बताया था कि तालिबान ने उससे उस मंत्रालय के सर्वर पर रखे डेटा को संरक्षित करने के लिए कहा था, जहां वह काम करता था. कर्मचारी ने कहा, अगर वह ऐसा करता है, तो तालिबान की पिछले मंत्रालय के नेतृत्व के डेटा और आधिकारिक संचार की जानकारी मिल जाएगी.
कर्मचारी ने बताया कि उसने तालिबान की बात नहीं मानी और तब से ही छिप गया. वहीं, रॉयटर्स ने भी सुरक्षा कारणों के चलते कर्मचारी की पहचान और उसके मंत्रालय के बारे में जानकारी नहीं दी.
दो दर्जन से ज्यादा सरकारी संस्थाएं करती थीं गूगल सर्वर का इस्तेमाल
सार्वजनिक रूप से मौजूद मेल एक्सचेंजर रिकॉर्ड के मुताबिक, दो दर्जन से ज्यादा अफगान सरकारी निकायों ने आधिकारिक ईमेल को संभालने के लिए गूगल के सर्वर का इस्तेमाल किया, इनमें वित्त मंत्रालय, उद्योग मंत्रालय, उच्च शिक्षा और खान मंत्रालय शामिल है. रिकॉर्ड के मुताबिक, स्थानीय सरकारी निकायों के अलावा अफगानिस्तान के राष्ट्रपति के प्रोटोकॉल के कार्यालय ने भी गूगल का इस्तेमाल किया है.
सरकारी डेटाबेस और ईमेल से पूर्व सरकार के कर्मचारियों, पूर्व मंत्रियों, सरकारी ठेकेदारों, आदिवासी सहयोगियों और विदेशी भागीदारों के बारे में जानकारी मिल सकती है.
यह जानकारी तालिबान के लिए वास्तविक धन के बराबर
इंटरनेट इंटेलिजेंस फर्म DomainTools के एक सुरक्षा शोधकर्ता चाड एंडरसन ने रॉयटर्स को यह जानकारी दी, कि अफगान के कौन से मंत्रालय किस ईमेल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं.
उन्होंने कहा, इस डेटा से जानकारी का वास्तविक खजाना उनके हाथ लगता. उन्होंने सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ बदले की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, यहां तक कि गूगल शीट पर कर्मचारियों की सूची भी एक बड़ी समस्या है.
मेल एक्सचेंजर रिकॉर्ड यह बताता है कि विदेश मंत्रालय और राष्ट्रपति समेत कई सरकारी एजेंसियां माइक्रोसॉफ्ट ईमेल सर्विस का भी इस्तेमाल कर रही थीं. हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि उन्होंने तालिबान के हाथ सरकारी डाटा जाने से रोकने के लिए क्या कदम उठाए. इस मामले में माइक्रोसॉफ्ट ने कोई भी बयान देने से इनकार कर दिया.