संयुक्त राष्ट्र में जलवायु परिवर्तन पर अपने भाषण से 16 साल की एक लड़की ने दुनियाभर के नेताओं को झकझोर दिया. स्वीडन की 16 साल की पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने नेताओं पर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से निपटने में नाकाम होकर अपनी पीढ़ी से विश्वासघात करने का आरोप लगाया. उन्होंने पूछा कि आपने (ऐसा करने की) हिम्मत कैसे की?
ग्रेटा ने कहा कि युवाओं को समझ में आ रहा है कि जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर आपने हमें छला है. अगर आपने कुछ नहीं किया तो युवा पीढ़ी आपको माफ नहीं करेगी. बेहद गुस्से में ग्रेटा ने कहा कि आपने हमारे सपने, हमारा बचपन अपने खोखले शब्दों से छीना. हालांकि, मैं अभी भी भाग्यशाली हूं. लेकिन लोग झेल रहे हैं, मर रहे हैं, पूरा इको सिस्टम बर्बाद हो रहा है.
ग्रेटा थनबर्ग ने कहा कि हम सामूहिक विलुप्ति की कगार पर हैं और आप पैसों व आर्थिक विकास की काल्पनिक कथाओं के बारे में बातें कर रहे हैं. आपने साहस कैसे किया. ग्रेटा ने कहा कि आप लोग हमें निराश कर रहे हैं, लेकिन युवाओं ने आपके विश्वासघात को समझना शुरू कर दिया है. भविष्य की पीढ़ियों की नजरें आप पर हैं और यदि आप हमें निराश करेंगे तो मैं कहूंगी कि हम आपको कभी माफ नहीं करेंगे.
“Right here, right now is where we draw the line. The world is waking up. And change is coming, whether you like it or not.”
My full speech in United Nations General Assembly. #howdareyou https://t.co/eKZXDqTAcP
— Greta Thunberg (@GretaThunberg) September 23, 2019
कौन है ग्रेटा
ग्रेटा थनबर्ग स्वीडिश एनवायरनमेंट एक्टिविस्ट हैं जो जलवायु परिवर्तन को लेकर दुनियाभर में जागरूकता बढ़ाने का काम कर रही हैं. ग्रेटा थनबर्ग राजनेताओं को जलवायु संकट पर कार्रवाई की कमी के लिए जिम्मेदार ठहराती हैं. अगस्त 2018 में 15 साल की उम्र में थनबर्ग ने स्वीडिश संसद के बाहर प्रदर्शन करने के लिए स्कूल से छुट्टी ले ली थी.
उनके हाथ में बोर्ड पर लिखा था 'stronger climate action' यानी मजबूत जलवायु एक्शन. जैसे ही और बच्चों को इस बारे में मालूम चला तो वे भी ग्रेटा के साथ जुड़ गए.
ग्रेटा थनबर्ग ने अपने साथियों के साथ मिलकर ' Fridays for Future' के नाम से एक स्कूल जलवायु हड़ताल आंदोलन शुरू कर दिया. ग्रेटा जानती थीं कि अगर जलवायु संकट से बचना है तो शुरुआत घर से ही करनी होगी. ऐसे में उन्होंने सबसे पहले अपने माता- पिता की जीवनशैली में ऐसी चीजों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी, जिसमें कार्बन उत्सर्जन हो रहा था.