पाकिस्तान के लाहौर के फैसल में आजकल शांति है क्योंकि गुल्लू मौजूद नहीं है. गुल्लू नाम से कतई धोखा न खाएं. पाकिस्तान में इनका नाम क्युटत्व का नहीं, डर का पर्याय है.
कोठा पिंड में रहने वाला गुल्लू उर्फ शाहिद अजीज 11 लोगों की हत्या के आरोप में 11 साल की सजा काट रहा है.
कभी स्थानीय लोगों के हितों के लिए लड़ने का दावा करने वाले गुल्लू ने जल्द ही स्थानीय बदमाश के तौर पर अपनी पहचान बना ली. लाहौर के जिस इलाके में गुल्लू के आतंक के लिए जाना जाता है वह छात्रों और अच्छे खाने के लिए जाना जाता है.
गुल्लू एक संयुक्त परिवार से आते हैं. उन्होंने 12 सालों तक खाड़ी देशों में टेक्नीशियन के तौर पर काम किया है. गुल्लू को मशहूर होने की चाहत हमेशा से थी. उसने स्थानीय प्रशासन के भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रदर्शन शुरू किया जिसमें अपने आस-पास के लोगों को जोड़ा. इस अभियान को ठीकठाक सफलता मिली और लगभग दो हजार लोग इसमें शामिल हुए.
गुल्लू ने इसके बाद आस-पास के होटलों में वेटर का काम करने वाले लड़कों को लेकर नया अभियान शुरू किया. इस बार विरोध का कारण रोटी की कीमत बढ़ाना और वेटरों को कम तनख्वाह देना था. गुल्लू की छवि कमोबेश रॉबिनहुड की बन रही थी. उसके पड़ोसी बताते हैं कि गुल्लू की मूछें बहुत मशहूर थी. वो अन्याय नहीं सहता था. एक बार कुछ लोग महिलाओं को छेड़ रहे थे तो गुल्लू ने उनकी जमकर धुनाई कर दी थी. ये सारे किस्से उस दौर के हैं जब गुल्लू पाकिस्तान में मशहूर नहीं हुए थे.
स्थानीय लोगों के अनुसार गुल्लू नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल(एन) के दफ्तर रोजाना जाया करता था. पीएमएल के एक कार्यकर्ता के अनुसार मुख्यमंत्री शाहबाज शरीफ ने गुल्लू से प्रभावित होकर उन्हें शेर-ए-पंजाब का खिताब दिया था. हालांकि कई बार उनकी तुलना भारत के राजा भैया यानी यूपी के बाहुबली मंत्री रघुराज प्रताप सिंह से की जाती है. उनके एक मित्र ने बताया की हमने इंटरनेट पर उनकी एक तस्वीर देखी और तब से कुछ लोग दोनो में समानता ढूंढने लगे जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है.
2009 में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद गुल्लू ने आत्मदाह का प्रयास किया था. इस घटना के बाद गुल्लू पहली बार पूरे पाकिस्तान में चर्चा में आ गए थे. खुद को गुल्लू का दोस्त बताने वाले पीएमएल के एक कार्यकर्ता ने बताया कि गुल्लू दिल का अच्छा है लेकिन सियासतदानों ने उसे बलि का बकरा बना दिया. गुल्लू की पुलिस मुख्यालय के पास पार्क कारों पर खड़े होकर प्रदर्शन करने की तस्वीरें बहुत मशहूर हुई. इस दौरान कई पुलिसवाले आकर गुल्लू से गले मिल रहे थे.
ऐसी खबरें भी उड़ी कि गुल्लू पुलिस के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं. गुल्लू का नाम इसके बाद लगातार कई दंगों और अपराधिक घटनाओं में सामने आया. उन पर गंभीर मुकदमें दर्ज हुए. अपनी इमेज को लेकर हमेशा सतर्क रहने वाले गुल्लू ने मीडिया में अपनी छवि एक साधारण आदमी की बनाने की कोशिश की. लेकिन इस छवि का उन जज साहब पर कोई फर्क नहीं पड़ा जो गुल्लू के मुकदमे की सुनवाई कर रहे थे. गुल्लू फिल्मों में काम करना चाहते थे लेकिन लगता नहीं उनकी ये हसरत पूरी हो पाएगी क्योंकि 11 लोगों की हत्या के आरोप में उन्हें 11 साल की कैद की सजा सुनाई गई है.