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'सरकारें हो या शख्स, लक्ष्मण रेखा कोई पार न करें...', आतंकी पन्नू पर बोले अमेरिकी राजदूत

भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि पन्नू की हत्या की साजिश मामले में भारत सरकार ने एक जांच के लिए एक आयोग का गठन किया था. मुझे बहुत खुशी है कि भारत सरकार ने जांच के लिए बनाए गए इस आयोग में ऐसे वरिष्ठ लोगों को रखा, जिनके पास बेइंतहा अनुभव हैं, जो घरेलू स्तर पर जुटे हैं ताकि हत्या की साजिश के प्रयासों से जुड़े सबूतों का पता लगाया जा सके. फिर चाहे इसके तार भारत सरकार से ही क्यों ना जुड़े हुए हो. 

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US Ambassador to India Eric Garcetti at the India Today Conclave 2024.
US Ambassador to India Eric Garcetti at the India Today Conclave 2024.

खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साजिश का मामला विवादों में है. भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी (Eric Garcetti) ने पन्नू मामले को लेकर नया बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरजमीं पर पन्नू की हत्या की कोशिश के आरोपों की भारत और अमेरिका मिलकर जांच कर रहे हैं. 

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गार्सेटी ने कहा कि किसी को भी लक्ष्मण रेखा को पार नहीं करनी चाहिए. किसी भी देश या सरकारी कर्मचारी को विदेशी नागरिक की हत्या में शामिल नहीं होना चाहिए. ये बिल्कुल अस्वीकार्य है. 

गार्सेटी ने कहा कि मुझे लगता है कि अभी तक इस मामले में भारत सरकार से जो कहा गया है, वो उन्होंने किया है. ऐसा ही हमने भी किया है. जब भी हम पर आरोप लगे हैं, हमने भी उसे गंभीरता ले लिया है.

उन्होंने कहा कि पन्नू की हत्या की साजिश मामले में भारत सरकार ने एक जांच के लिए एक आयोग का गठन किया था. गार्सेटी ने कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि भारत सरकार ने जांच के लिए बनाए गए इस आयोग में ऐसे वरिष्ठ लोगों को रखा, जिनके पास बेइंतहा अनुभव हैं, जो घरेलू स्तर पर जुटे हैं ताकि हत्या की साजिश के प्रयासों से जुड़े सबूतों का पता लगाया जा सके. फिर चाहे इसके तार भारत सरकार से ही क्यों ना जुड़े हुए हो. 

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गार्सेटी ने कहा कि अगर कोई अन्य देश अपने किसी नागरिक की हत्या की साजिश के प्रयास में अमेरिकी साजिश के आरोप लगाता तो हम भी इसी तरह के कदम उठाते. इस तरह किसी भी देश के लिए एक लक्ष्मण रेखा होनी चाहिए. हालांकि, गार्सेटी ने इन दावों को खारिज किया कि इस तरह की घटनाओं से दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध प्रभावित हो सकते हैं. गार्सेटी ने एक इंटरव्यू में कहा कि अमेरिकी सरकार की ओर से भी इसी तरह की जांच शुरू हुी है ताकि ये पता लगाया जा सके कि किसी नागरिक की हत्या के प्रयास में कोई अमेरिकी साजिश तो नहीं है.

क्या है मामला?

पिछले साल फाइनेंशियल टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि अमेरिका में पन्नू की हत्या की साजिश रची गई थी, जिसे अमेरिका ने नाकाम कर दिया था. कहा गया कि इस मामले को अमेरिका ने भारत सरकार के समक्ष भी उठाया था. 

रिपोर्ट में कहा गया था कि इस मामले से परिचित लोगों ने यह नहीं बताया कि क्या भारत के समक्ष इस मामले को उठाने की वजह से साजिशकर्ताओं ने अपनी योजना बदल दी या फिर एफबीआई के हस्तक्षेप से इस साजिश को नाकाम कर दिया गया. मामले में एक भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर पन्नू की हत्या की कथित साजिश रचने का आरोप लगा था. अमेरिकी अधिकारियों ने आरोप लगाया था कि निखिल गुप्ता न्यूयॉर्क शहर में रहने वाले सिख अलगाववादी पन्नू को मारने के लिए एक हत्यारे को 100,000 अमेरिकी डॉलर देने पर सहमत हुए थे. इसमें से 15 हजार डॉलर की एडवांस पेमेंट 9 जून 2023 को कर दी गई थी. लेकिन, जिस शख्स को इस काम के लिए हायर किया गया था, वह अमेरिकी एजेंसी का ही खुफिया एजेंट था.

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निखिल गुप्ता फिलहाल चेक गणराज्य की जेल में बंद है. अमेरिकी अधिकारियों का आरोप है कि एक अज्ञात भारतीय सरकारी कर्मचारी के निर्देश पर निखिल गुप्ता ने अमेरिका में पन्नू को मारने की साजिश रची थी. निखिल को 30 जून को अमेरिकी सरकार के अनुरोध पर चेक गणराज्य में गिरफ्तार किया गया था. 

PM मोदी ने दी थी प्रतिक्रिया

पीएम मोदी ने पिछले साल ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा था कि विदेशों में छिपे कुछ चरमपंथी समूह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में डराने-धमकाने और हिंसा भड़काने में लगे हुए हैं. उन्होंने कहा था कि सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी सहयोग दोनों देशों के बीच साझेदारी का प्रमुख पैमाना रहा है. मुझे नहीं लगता है कि कुछ घटनाओं को दोनों देशों के राजनयिक संबंधों से जोड़ना उचित है. हमें इस तथ्य को स्वीकार करने की जरूरत है कि हम बहुपक्षवाद के युग में जी रहे हैं. दुनिया एक दूसरे से जुड़ी होने के साथ-साथ एक दूसरे पर निर्भर भी है. 

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