अमेरिका में नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ताजपोशी के बाद उठाए गए सबसे बड़े कदमों में से एक H-1B वीजा बिल अमेरिकी संसद में पेश हो गया है. बिल के तहत H-1B वीजाधारकों के न्यूनतम वेतन को दोगुना करके एक लाख 30 हजार अमेरिकी डॉलर करने का प्रस्ताव है. भारतीय आईटी कंपनियों के लिए ये एक बुरी खबर है यही वजह है कि बिल पेश होने के बाद आईटी शेयर नीचे जा रहे हैं।
टीसीएस के शेयर 5.46 फीसदी, इंफोसिस के 4.57 फीसदी और विप्रो के 4.11 फीसदी गिरे. टेक महिंद्रा में 9.68 फीसदी, एचसीएल टैक्नोलॉजी में 6.25 फीसदी की गिरावट देखी गई. बीएसई का आईटी इंडैक्स 4.83 फीसदी गिरा.
अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में पेश इस बिल के चलते अमेरिकी कंपनियों के लिए विदेशी मूल के कर्मचारियों की भर्ती कठिन हो जाएगी. भारत के सॉफ्टवेयर उद्योग पर इसका खासा असर पड़ सकता है.
The High-Skilled Integrity and Fairness Act of 2017 नाम के इस विधेयक के पास होने के बाद उन कंपनियों को H-1B वीजा देने में तरजीह मिलेगी जो ऐसे कर्मचारियों को दो गुना वेतन देने के लिए तैयार होंगे. ऐसी कंपनियों को न्यूनतम वेतन की श्रेणी भी खत्म करनी होगी. वेतन में प्रस्तावित बढ़ोत्तरी लागू होने के बाद H-1B वीजा वाले कर्मचारियों को नौकरी देने वाली कंपनियों को भर्ती के लिए जरूरी अटेस्टमेंट प्रक्रिया से गुजरने की जरूरत नहीं होगी.
विधेयक को पेश करने वाले सांसद जो लोफग्रेन के मुताबिक ये बिल H-1B वीजा कार्यक्रम के तहत दुनिया की सबसे बेहतर प्रतिभाओं को अमेरिका लाने में कारगर साबित होगा. लोफग्रेन का कहना था कि बिल में ऐसी कंपनियों को तरजीह मिलेगी जो अपने कर्मचारियों को सबसे ज्यादा सैलरी देने को तैयार हैं. वहीं, अमेरिकी नागरिकों की नौकरियों के रोजगार आउटसोर्स करने वाली कंपनियों पर लगाम लगेगी.
क्या है H-1B वीजा?
H-1B वीजा एक नॉन-इमीग्रेंट वीजा है जिसके तहत अमेरिकी कंपनियां विदेशी एक्सपर्ट्स को अपने यहां रख सकती हैं. H-1B वीजा के तहत टेक्नोलॉजी कंपनियां हर साल हजारों कर्मचारियों की भर्ती करती हैं. H-1B वीजा दक्ष पेशेवरों को दिया जाता है, वहीं L1 वीजा किसी कंपनी के कर्मचारी के अमेरिका ट्रांसफर होने पर दिया जाता है. दोनों ही वीजा का भारतीय कंपनियां जमकर इस्तेमाल करती हैं.
क्या पड़ेगा असर
एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 86% भारतीयों को H-1B वीजा कंप्यूटर और 46.5% को इंजीनियरिंग पोजीशन के लिए दिया गया है. 2016 में 2.36 लाख लोगों ने H-1B वीजा के लिए अप्लाई किया था जिसके चलते लॉटरी से वीजा दिया गया. अमेरिका हर साल 85 हजार लोगों को H-1B वीजा देता है. इनमें से करीब 20 हजार अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में मास्टर्स डिग्री करने वाले स्टूडेंट्स को जारी किए जाते हैं.