अमेरिकी सांसदों ने 18 खरब डॉलर के एक पैकेज को पारित किया. इसके साथ ही एच-1बी वीजा पर 4000 डॉलर का भारी भरकम शुल्क भी लगाया है, इस विधयेक से भारतीय आईटी कंपनियों को बड़ा झटका लगा है.
वहीं, पाकिस्तान को अमेरिकी सहायता पर कड़ी शर्तें लगाने का फैसला भी किया गया है. विधेयक में 11 खरब डॉलर का व्यय 30 सितंबर, 2016 तक सरकार के लिए है और 680 अरब डॉलर का कर पैकेज है. इसे अब राष्ट्रपति बराक ओबामा की मंजूरी के लिए व्हाइट हाउस भेजा गया है और वह जल्द ही इसे मंजूर कर कानून का रूप दे सकते हैं.
भारतीय आईटी कंपनियों के लिए यह विधेयक झटके वाला है क्योंकि उन्हें एच-1बी वीजा के लिए आवेदन करते हुए लाखों डॉलर रुपये देने होंगे. वे अमेरिका में कुशल आईटी कर्मियों से काम कराने के लिए इस कामकाजी वीजा पर काफी निर्भर रहते हैं.
आपको बता दें कि पहले यह फीस 2000 डॉलर की थी, जिसे बढ़ाकर 4000 डॉलर कर दिया गया है. अमेरिकी सरकार ने अगस्त 2010 में 2010-2015 तक के लिए H-1B वीजा की फीस 2000 डॉलर तय की थी, जिसे अब दोगुना कर दिया गया है. यह फीस पांच साल के लिए वैलिड थी, जो सितंबर में समाप्त हो गई थी. इसे रिन्यू नहीं किया गया था.
विधेयक के अनुसार उन्हें एच-1बी वीजा के लिए अतिरिक्त 4000 डॉलर और एल1 वीजा के लिए 4500 डॉलर चुकाने होंगे. विधेयक को ‘ओमनीबस’ नाम से जाना जाता है.