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ईरान: खोमैनी की झुलसती PHOTO, महसा अमीनी को सपोर्ट... सुप्रीम लीडर की लाइव स्पीच पर साइबर अटैक

ईरान में एंटी हिजाब कैंपेन के लिए अब हैकर्स ने भी अपना समर्थन दिखाना शुरू कर दिया है. इसकी बानगी तब दिखी, जब ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खोमैनी के लाइव टीवी स्पीच को हैकर्स ने हैक कर लिया. उन्होंने स्पीच की जगह खोमैनी की जलती हुई तस्वीर के साथ प्रोटेस्ट के दौरान जान गंवाने वाली लड़कियों की फोटो दिखानी शुरू कर दी.

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हैकर्स ने खोमैनी की स्पीच के लाइव टेलीक्स्ट के दौरान ये तस्वीरें दिखाईं.
हैकर्स ने खोमैनी की स्पीच के लाइव टेलीक्स्ट के दौरान ये तस्वीरें दिखाईं.

महसा अमीनी की मौत के बाद ईरान में बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक तरफ पूरे देश में महिलाएं सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रही हैं तो वहीं दुनियाभर के कई देशों से उन्हें समर्थन भी मिल रहा है. विरोध कर रहीं महिलाओं को अब हैकर्स का समर्थन भी मिलने लगा है.

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ईरान इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक देश के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खोमैनी की लाइव स्पीच को हैकर्स ने निशाना बनाया है. महसा अमीनी और ईरान में चल रहे 'एंटी हिजाब कैंपेन' का समर्थन करते हुए हैकर्स ने टेलीविजन पर लाइव चल रही स्पीच को ही हैक कर लिया. भाषण के बीच में ही खोमैनी की झुलसती हुई तस्वीर दिखने लगी. इसके अलावा ईरान में प्रदर्शन के दौरान मारी गईं 3 लड़कियों की तस्वीर भी प्रदर्शित की गई. अटैक की जिम्मेदारी एडलैट-ए अली हैक्टिविस्ट ग्रुप ने ली है.

रिपोर्ट के मुताबिक हैकर्स ने खोमैनी की तस्वीर पर निशाना लगाते हुए एक मार्क भी दिखाया. इसके अलावा फारसी में कुछ पंक्तियां भी लिखी गईं. जिसमें कहा गया कि आपके हाथ हमारे युवाओं के खून से सने हुए हैं.

बता दें कि पुलिस कस्टडी में 22 साल की महसा अमिनी की मौत ने ईरान में 'एंटी हिजाब' मूवमेंट को भड़का दिया है. अमिनी को बिना हिजाब राजधानी तेहरान में घूमने पर गिरफ्तार किया गया. अरेस्ट होने के कुछ देर बाद ही वो कोमा में चली गईं और 3 दिन बाद (16 सितंबर) को पुलिस कस्टडी में उनकी मौत हो गई.

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इन्हें मिली हिजाब न पहनने पर सजा

- 12 जुलाई 2022 को ईरान की एक्ट्रेस रोश्नो को हिजाब न पहनने पर गिरफ्तार किया गया. कई दिनों तक टॉर्चर कर उनसे नेशनल टीवी पर माफी मंगवाई गई.

- 8 मार्च 2018 के दिन राजधानी तेहरान में एक महिला ने अनिवार्य हिजाब के खिलाफ विरोध जताया और अपना हिजाब उतारकर छड़ी के सहारे टांग दिया. महिला को 2 साल की सजा सुनाई गई. 3 महीने तक उसे पैरोल तक नहीं मिली.

- 2 फरवरी 2018 के दिन ईरान की पुलिस ने सार्वजनिक जगह पर बिना हिजाब के घूम रहीं 29 महिलाओं को गिरफ्तार किया. ईरानी पुलिस ने इसे विदेश में रह रहे ईरानियों के दुष्प्रचार का हिस्सा बताया.

हिजाब के खिलाफ कब शुरू हुए प्रोटेस्ट

ईरान में 1979 में इस्लामिक क्रांति हुई, जिसके बाद हिजाब की अनिवार्यता का कानून लागू किया गया. हिजाब अनिवार्य होते ही छिटपुट विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गए, लेकिन इस आंदोलन को असली हवा 2014 में मिली. दरअसल, ईरान की राजनीतिक पत्रकार मसीह अलीनेजाद ने लंदन की गलियों में टहलते हुए अपनी एक फोटो फेसबुक पर पोस्ट कर दी. अलीनेजाद की फोटो पर सैकड़ों ईरानी महिलाओं के कमेंट आए. इससे प्रभावित होकर उन्होंने एक और फोटो पोस्ट किया. ये फोटो तब का था, जब मसीह अलीनेजाद ईरान में थीं. इसमें भी वो हिजाब नहीं पहने हुई थीं. ईरान की महिलाओं ने भी बिना हिजाब के उन्हें अपनी फोटो भेजना शुरू कर दिया और इस तरह एक आंदोलन का जन्म हुआ. अलीनेजाद अब अमेरिका में रहती हैं.

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