पाकिस्तान ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के संगठनों के खिलाफ फिर से कदम उठाया है. पाकिस्तान पर लगातार प्रतिबंधित समूहों के खिलाफ कदम उठाने का दबाव बना हुआ है. अब हाफिज सईद के मदरसों और स्वास्थ्य केंद्रों पर कार्रवाई की गई है.
इससे पहले भी पाकिस्तानी सरकार ने हाफिज के खिलाफ कदम उठाते हुए उसके संगठनों के चंदा लेने पर रोक लगा दी थी. बता दें कि पिछले महीने ही संयुक्त राष्ट्र के एक उच्च स्तरीय दल ने ऐसे ही कदमों का जायजा लेने के लिए पाकिस्तान का दौरा किया था.
भारत और अमेरिका बना रहे हैं दबाव
यूएन की टीम उन लोगों और समूहों के खिलाफ कार्रवाई का जायजा लेने आई थीस जिन पर उसने प्रतिबंध लगाया हुआ है. इसके अलावा भारत और अमेरिका लगातार हाफिज सईद के खिलाफ कदम उठाने की मांग कर रहे थे. माना जा रहा है कि इसी दबाव के बाद पाक सरकार ने यह कदम उठाया है.
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक इस सिलसिले में पंजाब सरकार ने आदेश दिए थे. रावलपिंडी जिला प्रशासन ने हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा (JUD) और फलाह-ए-इन्सानियत फाउंडेशन (FIF) के एक मदरसे और चार दवाखानों को अपने नियंत्रण में ले लिया. मदरसे का जिम्मा औकाफ़ विभाग को सौंपा गया जो मजहबी संपत्तियों पर नियंत्रण रखता है.
पाकिस्तान के लिए आसान नहीं यह काम
इस बारे में पंजाब सरकार ने बीते शुक्रवार को ही आदेश जारी कर दिए थे. जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'प्रांतीय सरकार ने रावलपिंडी में चार मदरसों की एक सूची जिला प्रशासन को सौंपी है. जिला प्रशासन की टीमें इन मदरसों में गईं लेकिन JUD ने इन मदरसों के साथ अपना कोई संबंध होने से इंकार किया है.' अधिकारी ने बताया कि सरकार ने ब्यौरों की जांच के लिए जिला प्रशासन, पुलिस और औकाफ़ विभाग की टीम बनाई है. उन्होंने बताया कि ऐसा ही अभियान अटक, चकवाल और झेलम जिलों में भी चलाया जाएगा.
डिप्टी कमिश्नर तलत महमूद गोंदाल ने कहा है कि सरकार ने JUD के एक मदरसे का और FIF के चार दवाखानों का नियंत्रण ले लिया है. हालांकि, यह माना जा रहा है कि पूरे पाकिस्तान में फैले JUD के कार्यालयों का नियंत्रण लेना सरकार के लिए आसान नहीं होगा.
यह है हाफिज पर एक्शन की वजह
पेरिस में 18 से 23 फरवरी तक 'फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स' (FATF) की बैठक होने जा रही है. खबरों में कहा गया है कि अमेरिका और भारत कोशिश कर रहे हैं कि पाकिस्तान को इंटरनेशनल मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग लिस्ट में शामिल किया जाए. FATF की इस लिस्ट में पाकिस्तान को पिछली बार फरवरी 2012 में डाला गया था और वह तीन साल तक इस लिस्ट में रहा था. संघीय मंत्रिमंडल ने प्रतिबंधित समूहों की आर्थिक मदद रोकने के लिए मंगलवार को नए नियमों को मंजूरी दी. पिछले हफ्ते पाकिस्तान ने आतंकवाद निरोधक कानूनों में राष्ट्रपति के एक अध्यादेश के जरिए बदलाव किया था. इसका मकसद हाफिज सईद से जुड़े संगठनों जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इन्सानियत फाउंडेशन और अन्य आतंकी गुटों को संयुक्त राष्ट्र के बैन संगठनों की लिस्ट में शामिल करना है.
अमेरिका पहले ही कर चुका है कार्रवाई
JUD को लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन माना जाता है. पाकिस्तान पर आतंकी समूहों पर लगाम कसने के लिए गहरा दबाव है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान पर आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगाया है और उसे दी जाने वाली करीब 2 अरब डॉलर की सुरक्षा सहायता रोक दी है.