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इजरायल ने 7 अक्टूबर को अपनी घरती पर हुए सबसे बड़े आतंकी का सबसे बदला ले लिया है. कारण, इजरायल ने उस शख्स को उसी के घर में घुसकर मार गिराया, जिसे 7 अक्टूबर के हमले का सरगना बताया जाता है. दरअसल, इजरायल ने उस हमास के मुखिया इस्माइल हानिया को मार गिराया है, जिसे अमेरिका ने स्पेशल डेजिनेटेड टेरेरिस्ट घोषित कर रखा था. हानिया आमतौर पर कतर में रहता था, लेकिन शांति वार्ता के सिलसिले में उसका ईरान और टर्की आना जाना लगा रहता था. वो तेहरान ईरान के नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने आया था. यहां वो ईरान के सुप्रीम नेताओं से भी मिला था, लेकिन उसने शायद ही सोचा होगा कि चंद घंटे बाद इजरायल उसके वजूद का खात्मा कर देगा.
इजरायल ने हालांकि अब तक हानिया पर हमले को लेकर आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन हमास ने अपने बयान में कहा है कि इजरायल के हमले में तेहरान में हमास का मुखिया मारा गया. यानी, हमास के मुखिया को इजरायल ने उसी के घर में घुसकर मार डाला और वो भी उस तेहरान में, जहां हानिया घुस को महफूज समझता था. इस हमले के बाद ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने हमास नेता इस्माइल हानिया की हत्या के बाद इजरायल को कड़ी सजा देने की की कसम खाई है. सरकारी समाचार एजेंसी इरना को दिए गए एक बयान में उन्होंने कहा, “इस कार्रवाई के साथ, अपराधी और आतंकवादी इजरायली शासन ने अपने लिए कठोर सजा की ज़मीन तैयार कर ली है, और हम इस खून का बदला लेना अपना कर्तव्य समझते हैं क्योंकि वो इस्लामी गणतंत्र ईरान के क्षेत्र में शहीद हुआ था.”
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ऐसे मारा गया हमास चीफ हानिया
बता दें कि इजरायल ने पहले ही कह दिया था कि 7 अक्टूबर के गुनहगार चलती-फिरती लाश हैं. आज नहीं तो कल उनका अंत आएगा. एक-एक कर इजरायल अपने दुश्मनों का सफाया करता जा रहा है. लेकिन उसका सबसे बड़ा बदला आज बुधवार को पूरा हुआ है. पिछले साल 7 अक्टूबर को इजरायल पर 75 वर्षों में सबसे बड़ा हमला हमास ने किया था, जिसमें 1200 इजरायली मारे गए थे. हमास चीफ इस्लाइल हानिया उस वक्त कतर में था और उसने इस हमले का जश्न मनाया था. कल वो कतर से ईरान आया, जहां नए राष्ट्रपति के शपथग्रहण में शामिल हुआ. ईरान के राष्ट्रपति के अलावा सुप्रीम लीडर से मिला. और कल रात 2 बजे जब वो उत्तरी ईरान में बेहद सुरक्षित ठिकाने में सो रहा था तब हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल के हमले में वो मारा गया.
इजरायल का अगला टारेगट कौन?
इजरायल ने इस हमले पर चुप्पी साध रखी है. लेकिन ईरान ने सीधा आरोप इजरायल पर लगाया है. 12 घंटे पहले ही लेबनान में इजरायल के हवाई हमले में हिजबुल्लाह का नंबर 2 फौद शुकर मारा गया था. फौद गोलान में 12 इजरायली बच्चों के मिसाइल हमले में मारे जाने के बाद से इजरायल के निशाने पर था. इजरायल ने दोनों हत्याओं से ईरान को चौंका दिया है. जवाब में उसके सुप्रीम लीडर ने जहां सबसे बड़ी सैन्य बैठक कर इजरायल से बदला लेने की कसम खाई है. वहीं इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी सुरक्षा को लेकर बड़ी बैठक कर रहे हैं. इस बीच अब दुनियाभर में सबसे ज्यादा चर्चा यह हो रही है कि इजरायल के निशाने पर अब कौन है? कारण, चर्चा है अब हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह इजरायल का अगला टारगेट हो सकता है.
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कौन है हसन नसरल्लाह, जिस पर इजरायल की नजर
1992 से हसन नसरल्लाह हिजबुल्लाह का चीफ था. नसरल्लाह को उसके समर्थक करिश्माई व्यक्ति मानते हैं. नसरल्लाह की अगुवाई में ही हिजबुल्लाह ने इजरायल में कई बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया. 63 वर्षीय नसरल्लाह लेबनान का बड़ा राजनेता भी था. पूर्वी बेरूत में पला-बढ़ा नसरल्लाह ने कम उम्र में ही इस्लाम की बारीकी से पढ़ाई शुरू कर दी थी. हसन नसरल्लाह एक शिया आलिम (धार्मिक विद्वान) था. ऐसा कहा जाता है कि 1982 में लेबनान पर इजरायल के आक्रमण के बाद, वह 1980 के दशक के प्रारंभ में हिजबुल्लाह में शामिल हो गया था. 1992 में अपने पूर्ववर्ती सैयद अब्बास मुसावी की इजरायली सेना द्वारा हत्या के बाद वह समूह का नेता बन गया था. नसरल्लाह ने लेबनान पर इजरायली कब्जे के उत्तरार्ध में हिजबुल्लाह का नेतृत्व किया, जो 20वीं सदी के अंत में औपचारिक रूप से 15 वर्षों तक चला.
फिलिस्तीन-इजरायल जंग का नया अध्याय होगा शुरू?
अब, सवाल ये है कि हमास और हिजबुल्लाह अपने नेताओं पर हमलों का जवाब कैसे देंगे? ईरान हमले पर कैसी कार्रवाई करेगा? और मध्य पूर्व में लड़ाई का मोड़ लेगी? सवाल उठता है कि क्या फिलिस्तीन और इजरायल के बीच जंग का नया अध्याय शुरू होगा? हमास ने अपने बयान में कहा है कि इस्माइल हानिया की मौत बेकार नहीं जाएगी. साफ है कि हमास एक बार फिर कोई हमला कर इजरायल से बदला लेने की कोशिश करेगा. उधर इजरायल भी मौके का फायदा उठाकर हमास के पूर्ण खात्मे की कोशिश करेगा. हमास के सामने अब बड़ी चुनौती हानिया का उत्तराधिकारी चुनने की है.
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हमास और हिजबु्ल्लाह संगठन अलग, मकसद एक
बता दें कि हमास फिलिस्तीन तो हिजबुल्लाह लेबनान का आतंकी संगठन है. हिजबुल्लाह और हमास मध्य पूर्व के दो ताकतवर संगठन हैं, जो फिलिस्तीन की आजादी के लिए इजरायल से लड़ रहे हैं. दोनों के मकसद भले ही एक हों लेकिन जमीनी रणनीति और सैन्य क्षमताएं अलग-अलग हैं. हमास एक सुन्नी संगठन है तो हिजबुल्लाह शिया है. हिजबुल्लाह 1980 के दशक में उभरा था. जबकि, हमास की नींव 1920 में पड़ गई थी, लेकिन इसका गठन 1987 में हुआ था.
एक ओर हिजबुल्लाह लेबनान में राजनीतिक और सैन्य संगठन के तौर पर काम करता है. उसके नीता लेबनान में राजनीतिक फैसलों के साथ-साथ सैन्य गतिविधियों में भी शामिल रहते हैं. हिजबुल्लाह सीक्रेट तरीके से काम करता है, जिससे उसके आंतरिक कामकाज के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी मिल पाना मुश्किल होता है. हमास और हिजबुल्ला, दोनों ही संगठनों का एक ही मकसद है और वो है- इजरायल का विनाश. हमास और हिजबुल्लाह, दोनों को ही अमेरिका ने आतंकी संगठन घोषित कर रखा है.